तरक्की का सफ़र

लेखक: राज अग्रवाल


 भाग-४


 

मैं शाम को ठीक आठ बजे होटल शेराटन में एम-डी के सूईट में पहुँचा, तो वहाँ सिर्फ़ एम-डी और महेश ही थे और कोई नहीं।

 

और सब लोग कहाँ हैं?� मैंने महेश से पूछा।

 

इस मीटिंग में और कोई नहीं है�, महेश ने हँसते हुए कहा, एम-डी और मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है, तुम बैठो।

 

मुझे कुछ अजीब लग रहा था। मैं महेश की बतायी सीट पर बैठ गया।

 

राज को कुछ पीने को दो महेश, एम-डी ने कहा।

 

क्या लोगे राज?� महेश ने बार की तरफ बढ़ते हुए पूछा।

 

स्कॉच विद सोडा�, मैंने जवाब दिया।

 

महेश ने ग्लास पकड़ाया और मैंने उसमें से सिप लिया, चीयर्स! काफी अच्छी है, मैंने कहा।

 

हाँ! बीस साल पुरानी स्कॉच है और इससे अच्छी स्कॉच मॉर्केट में नहीं मिलेगी, महेश ने कहा।

 

हाँ लगता तो ऐसा ही है..., पर मैं इसे अफोर्ड नहीं कर सकता, बहुत महंगी है, मैंने जवाब दिया।

 

क्या पता, आज के बाद तुम यही स्कॉच रोज़ पियो, महेश ने हँसते हुए कहा।

 

ये सोच कर कि शायद मुझे मेरी तरक्की के लिये बुलाया है, मैंने एक जोर का घूँट लिया।

 

महेश बता रहा था कि तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो ऑफिस में, और स्टाफ भी बहुत खुश है तुम्हारे कम से, एम-डी ने कहा।

 

सर! ये बहुत ही होशियार और मेहनती लड़का है, महेश ने कहा ।

 

थैंक यू सर।

 

राज तुम्हारी वाइफ प्रीती बहुत ही सुंदर है, उसका शरीर तो गज़ब का ही है, एम-डी ने कहा।

 

सर! उसके मम्मे मत भूलिये, और उसकी गाँड..., जब हाई-हील के सैंडलों में चलती है तो, दिल ठहर जाता है! महेश ने कहा।

 

सर! मेरे काम और मेरी तरक्की के बीच में ये प्रीती कहाँ से आ गयी?� मैंने हकलाते हुए पूछा।

 

देखा महेश! मैं ना कहता था कि राज होशियार और अक्लमंद लड़का है, ये पहले ही समझ गया कि हमने इसे तरक्की के लिये बुलाया है। महेश इसे वो लैटर दो जो तुमने तैयार किया है, एम-डी ने महेश से कहा।

 

महेश ने अपनी पॉकेट से लैटर निकालते हुए मुझे दिया, पढ़ो बेटा।  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

लैटर एम-डी का साइन किया हुआ था। मेरी तरक्की कर दी गयी थी और मेरी तनख्वाह जो मैंने सपने भी नहीं सोची थी, उतनी कर दी गयी थी। अपनी उत्सुक्ता में मैंने महेश से भी कहे बिना खुद ही बॉटल उठा ली और अपने लिये एक तगड़ा पैग बना लिया।

 

क्या सोच रहे हो? क्या तुम्हें तरक्की और इतना अच्छा वेतन नहीं चाहिये?� महेश ने मेरे हाथ से लैटर वापस लेते हुए कहा।

 

हाँ सिर! मुझे चाहिये�, मैंने जवाब दिया।

 

तो इस तरक्की को तुम्हें कमाना पड़ेगा, महेश ने कहा

 

मैं कुछ समझा नहीं कि मुझे ये तरक्की कमानी पड़ेगी..., मगर कैसे?� मैंने पूछा।

 

राज तुम बहुत ही लक्की लड़के हो कि तुम्हें प्रीती जैसी बीवी मिली। तुम तो रोज़ उसे नंगा देखते होगे, उसके मम्मे दबाते होगे। और उसकी चूत और गाँड भी मारते होगे। मैं दावे से कह सकता हूँ कि उसकी चूत बहुत ही टाइट होगी, एम-डी ने कहा।

 

मैं चौंक गया। ये लोग मेरी बीवी के बारे मैं बात कर रहे थे, पर मैं चुप रहा।

 

उसकी गाँड भी प्यारी होगी राज, मैं जानता हूँ तुम खूब कस कर उसकी गाँड मारते होगे, महेश ने कहा।  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

मन तो कर रहा था कि उठकर इन दोनों की पिटायी कर दूँ। मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें करने का इन्हें क्या हक है, पर डर रहा था कि कहीं मैं अपनी तरक्की और नौकरी ना खो दूँ, इसलिये मैंने हल्के से ऐतराज़ दिखाते हुए कहा, प्लीज़ सर! आप मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें ना करें।

 

एम-डी ने विषय को बदलते हुए कहा, राज मैं जानता हूँ कि जिस फ्लैट में तुम रह रहे हो, छोटा है। क्या तुम नियापेनसिआ रोड पर कंपनी के फ्लैट में रहना चाहोगे और तुम्हें किराया भी नहीं देना पड़ेगा।

 

नियापेनसिआ रोड, मुंबई के सबसे पॉश इलाके में फ्लैट! मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ, हाँ सर! क्यों नहीं रहना चाहुँगा?� मैंने खुशी से जवाब दिया।

 

राज! ये तरक्की, ये फ्लैट सब कुछ तुम्हारा हो सकता है, अगर तुम एम-डी पर एक एहसान कर दो, महेश ने कहा।

 

एम-डी पर एहसान? सर अगर मेरे वश में हुआ तो एम-डी के लिये मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ, मैंने ग्लास में से स्कॉच का बड़ा घूँट भरते हुए कहा।

 

महेश! राज का ग्लास भरो, एम-डी ने कहा सच तो ये है राज कि जिस दिन से मैंने तुम्हारी बीवी प्रीती को देखा है, मैं रात को सो नहीं पाया हूँ। मैं उसके ही सपने देखता हूँ। तुम्हें अपनी बीवी को तैयार करते हुए उसे हम दोनों को सौंपना है। फिर तुम्हें तरक्की भी मिल जायेगी और फ्लैट भी। हम लोग तुम्हारी दूसरे तरीके से भी मदद करेंगे।

 

हम दोनों को?� मैं समझा नहीं।

 

हाँ! हम दोनों को, एम-डी ने कनफर्म किया।  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

मैं एक दम सकते की हालत में था। क्या कहूँ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने अपना ग्लास एक ही झटके में खाली कर दिया। ओह गॉड! ये लोग मेरी बीवी पर नज़र रखते हैं, ये दोनों उसे चोदना चाहते है। मुझे लगा सारा आसमान मेरे सिर पर गिर पड़ेगा।

 

ये आआआ...प क्या कह रहे हैं सर, मैंने थोड़ा गुस्से में, पर नीची आवाज़ में कहा,क्या आप दोनों मेरी बीवी को चोदना चाहते हैं।

 

मैं नहीं कहता था सर! अपना राज समझदार लड़का है, हाँ! राज हम तुम्हारी बीवी प्रीती को चोदना चाहते हैं�, महेश ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।

 

नहीं! मैं ऐसा नहीं कर सकता�, मैंने सुबकते हुए कहा, प्रीती बहुत सीधी लड़की है, वो भगवान को बहुत मानती है और डरती है और सबसे बड़ी बात, वो पतिव्रता नारी है। वो नहीं मानेगी।

 

हम भी भगवान से डरने वालों में से हैं�, एम-डी ने कहा।

 

राज! ठंडे दिमाग से सोचो, तुम तरक्की के साथ दुनिया का सब सुख और आराम पा सकते हो। कंपनी के साथ रहते हुए तुम कहाँ से कहाँ पहुँच सकते हो�, एम-डी ने कहा।

 

ओह गॉड! ये मैं कहाँ फँस गया�, मैं सोच रहा था। मेरे अंदर का शैतान मुझे भड़का रहा था कि राज हाँ कर दे! इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा! कितनी औरतें हैं जो अपने पति के होते हुए दूसरों से चुदवाती हैं। उनके पति को पता भी नहीं चल पाता क्योंकि चूत में तो कोई फ़रक नहीं आता। फिर तुम्हें तो उसकी चूत हासिल रहेगी ही। और सोचो नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में रहना..., वो सब सुख और आराम। मगर मेरे अंदर का इनसान मुझे मना कर रहा था कि ये सब पाप है और मुझे उक्सा रहा था राज मना कर दे...! अभी और इसी वक्त!  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

वो नहीं मानेगी सर! मैं जानता हूँ, मैंने जवाब दिया।

 

कैसे नहीं मानेगी? अगर वो पतिव्रता है तो तुम्हारा हुक्म कभी नहीं टालेगी, एम-डी ने कहा।

 

सर आप समझते क्यों नहीं...? मैं जानता हूँ।

 

महेश! तुमने राज को वो फोटो दिखाये कि नहीं?� कहकर एम-डी ने मेरी बात काटी।

 

महेश ने अपने पॉकेट से एक लिफाफा निकाल कर मुझे पकड़ा दिया। मैंने देखा उस लिफ़ाफ़े में मेरी और मेरी तीनों एसिस्टेंट्स की चुदाई की तसवीरें थी। मुझे नहीं मालूम कि कैसे और किसने ये तसवीरें खींची थीं। मैं सकते का हालत में था। आपको ये कहाँ से मिली और आपको किसने बताया?� मैंने डरते हुए पूछा।

 

किसी ने नहीं! हमारी कंपनी में कौन क्या कर रहा है, ये जानना हमारा फ़र्ज़ है�, एम-डी ने जवाब दिया।

 

मेरा दिमाग चकरा रहा था। अगर ये फोटो प्रीती ने देख लिये तो वो जरूर मुझे छोड़ के चली जायेगी। इनका आप क्या करेंगे?� मैंने पूछा।

 

ये तुम पर निर्भर करता है, या तो प्रीती को तैयार करो और अपनी तरक्की, फ्लैट और ये सब तसवीरें, नैगेटिव के साथ तुम्हें हासिल हो जायेंगी या फिर कल सुबह ये तसवीरें तुम्हारी बीवी को मिल जायेंगी और तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। ये फैसला तुम्हें करना है।

 

मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने अपना मन पक्का कर लिया और कुर्सी पर से खड़ा होते हुए कहा, ठीक है सर! मैं प्रीती को तैयार कर लूँगा।

 

तुम काफी समझदार हो राज! बहुत तरक्की करोगे भविष्य में�, एम-डी ने मेरी पीठ थापथपायी।

 

तुम्हें विश्वास है... तुम ये काम कर लोगे?� महेश ने पूछा।

 

हाँ सर! मैं कर लूँगा, आप मुझे सिर्फ़ समय और तारीख बतायें�, मैंने जवाब दिया।

 

ठीक है! शनिवार की शाम हम तुम्हारे घर ड्रिंक्स लेने के बहाने आयेंगे, पर तुम्हारी बीवी का मज़ा लेंगे�, एम-डी ने कहा।

 

हाँ सर! ये ठीक रहेगा! प्रीती को होटल में चोदने की बजाये उसी के बिस्तर पर चोदा जाये तो बढ़िया है�, महेश ने कहा।

 

मैंने उनसे विदा ली और इस दुविधा के साथ अपने घर पहुँचा कि अब प्रीती को कैसे तैयार करूँगा। ड्रिंक्स ज्यादा होने कि वजह से हमारी बात नहीं हो पायी और मैं सो गया।

 

सुबह प्रीती ने पूछा, राज कल रात तुम्हारी मीटिंग किस विषय में थी?�

 

ऐसे ही ऑफिस की नॉर्मल मीटिंग थी... मैं चाह कर भी उसे कुछ कह नहीं पाया। हाँ मैंने सैटरडे को एम-डी और महेश को ड्रिंक्स पर बुलाया है, ध्यान रखना�, मैंने प्रीती से कहा।

 

उन्हें घर पर क्यों बुलाया? तुम्हें मालूम है ना वो मुझे अच्छे नहीं लगते, प्रीती ने नाराज़गी जाहिर की।

 

प्रीती! वो मेरे बॉस हैं, और तुम्हें उनसे अच्छे से बिहेव करना है। जब उन्होंने घर आने को कहा तो क्या मैं उन्हें मना कर सकता था?� मैंने प्रीती को समझाया।

 

बुधवार की शाम कुछ लोग ड्रिंक्स का सामान दे गये, जो महेश ने भिजवाया था।

 

बास्केट में स्कॉच और कोक देख कर प्रीती ने पूछाये सब क्या है?�

 

बॉस के लिये स्कॉच और कोक... मैंने जवाब दिया।

 

जब मैंने महेश से पूछा कि कोक क्यों भिजवायी तो महेश ने कहा, राज ये स्पेशल तरह की कोक है, इसमें उत्तेजना की दवाई मिलायी हुई है। इसे प्रीती को पिलाना, उसका दिमाग काम करना बंद कर देगा।  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

पूरा हफ्ता बीत गया और शनिवार आ गया। पर मैं प्रीती को कुछ नहीं बता पाया। मैंने सब कुछ भगवान के सहारे छोड़ दिया।

 

ठीक आठ बजे एम-डी और महेश पहुँच गये।

 

वेलकम सर, हैव अ सीट, मैंने उन दोनों का स्वागत किया।

 

नमस्ते सर! प्रीती ने भी स्वागत किया।

 

हेलो राज! हेलो प्रीती! आज तो तुम कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही हो�, एम-डी ने जवाब दिया।

 

प्रीती ने लाइट ब्लू रंग की साड़ी और उसके ही मैचिंग का टाइट ब्लाऊज़ पहन रखा था। साथ ही उसने सफ़ेद रंग के पेंसिल हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे और वो बहुत ही सुंदर लग रही थी।

 

थैंक यू सर, आइये बैठिये, मैं कुछ खाने को लाती हूँ�, प्रीती ने किचन कि ओर जाते हुए कहा।

 

कोई जल्दी नहीं है, आओ हमारे साथ बैठो�, एम-डी ने कहा।

 

प्रीती भी मेरे साथ उनके सामने बैठ गयी। मैंने स्कॉच के पैग बनाये और एम-डी और महेश को पकड़ा दिये।

 

तुम भी कुछ क्यों नहीं लेती?� एम-डी ने प्रीती से कहा।

 

सर! मैं शराब नहीं पीती, हाँ! मैं एक कोक ले लूँगी। मैंने प्रीती को वो स्पेशल कोक पकड़ा दिया।

 

प्रीती ने चीयर्स कहकर उस कोक में से एक घूँट भरा। मैं कुछ नाश्ता ले कर आती हूँ, कहकर किचन की ओर चली गयी।

 

राज तुमने उसे सब बता दिया?� एम-डी ने पूछा।

 

नहीं सर! अभी तक नहीं, पर आप चिंता ना करें मैं उसे तैयार कर लूँगा�, मैंने समझाया।

 

थोड़ी देर में वो नाश्ते की प्लेट टेबल पर सजाने लगी। नीचे झुकते वक्त उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया और उसकी छाती की गहरायी दिखने लगी। एम-डी और महेश उसके भरे भरे मम्मों को घुरे जा रहे थे। प्रीती को जब एहसास हुआ तो उसने खड़ी हो कर अपनी साड़ी ठीक कर ली।

 

ओह आज कितनी गर्मी है�, कहकर उसने अपना कोक एक ही साँस में खाली कर दिया।

 

हम तीनों उस पर कोक का असर होते देख रहे थे। उसकी हालत खराब हो रही थी, एक्सक्यूज़ में, मैं अभी आयी�, कहकर वो किचन की और बढ़ गयी।

 

थोड़ी देर बाद उसकी आवाज़ आयी, राज! जरा यहाँ आना।

 

राज! तुमने मेरे कोक में क्या मिलाया?� उसने अपनी हालत को संभालते हुए पूछा।

 

मैंने कहाँ कुछ मिलाया है?� मैंने अंजान बनते हुए कहा।  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

मेरे सिर पर कसम खाकर कहो तुमने कुछ नहीं मिलाया, और सच-सच बताओ क्या बात है, तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो, उसने अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।

 

अब समय आ गया था कि मैं प्रीती को सब कुछ सच सच बता दूँ। ठीक है सुनो! मैं तुम्हें बताता हूँ। तुम्हें याद है लास्ट संडे जब मैं कंपनी की मीटिंग में गया था। ये कहकर मैंने उसे शुरू से आखिर तक सब बता दिया सिवाय उन तसवीरों के।

 

और तुम मान गये, अपनी बीवी को उनसे चुदवाने के लिये?� उसने नाराज़ होते हुए कहा।

 

क्या करता मेरे पास कोई चारा नहीं था, इन्होंने मुझे गबन के इल्ज़ाम में जेल जाने की धमकी दे दी थी। तुम ही बताओ मैं क्या करता?�

 

मैं जेल नहीं जाना चाहता प्रीती! प्लीज़ मान जाओ और साथ दो�, मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

 

नहीं मैं नहीं मानुँगी! क्या तुमने मुझे रंडी समझ रखा है?� कहकर वो अपनी चूत जोरों से खुजलाने लगी।

 

कोक का असर उस पर चढ़ता जा रहा था। ठीक है! मत मानो, मैं जेल चला जाऊँगा और तुम आराम करना। पर याद रखना मेरे जेल जाने की वजह तुम ही होगी। अच्छा पत्नी धर्म निभा रही हो तुम। मैं अभी जा कर उनसे कह देता हूँ�, कहकर मैं किचन के बाहर जाने लगा।

 

उसने मुझे रोका, ठहरो! तुम यही चाहते हो ना कि मैं रंडी बन जाऊँ? तो ठीक है मैं रंडी बनुँगी और तुम्हारे बॉस से ऐसे चुदवाऊँगी कि वो भी ज़िंदगी भर याद रखेंगे। लेकिन हाँ! मैं तुम्हें ज़िंदगी भर माफ़ नहीं करूँगी, कि, मैं रंडी तुम्हारी वजह से बन रही हूँ, ये कहकर वो अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगी।

 

मैं मन ही मन खुश हुआ कि चलो मान तो गयी। क्या करेगी? थोड़े दिनों में सब भूल जायेगी। ठीक है! मैं उन्हें जा कर बताता हूँ कि तुम तैयार हो गयी हो।

 

नहीं!!! मैं खुद बताऊँगी! तुम जाओ, उसने कहा।

 

मैंने कमरे में आकर उन्हें इशारे से बताया कि प्रीती राज़ी हो गयी है। दोनों ही खुश हुए और अपने ड्रिंक्स लेने लगे। दोनों ही बेसब्र नज़र आ रहे थे।

 

कितनी देर में आयेगी राज? अब नहीं रहा जाता, एम-डी ने पूछा।

 

सर इंतज़ार करें, अभी पाँच मिनट में आयेगी�, मैंने जवाब दिया।

 

ठीक पाँच मिनट बाद प्रीती कमरे में दाखिल हुई। उसकी आँखें सुर्ख लाल हो गयी थी। मैं समझ गया कि वो रोती रही थी। वो उनके सामने आकर चेयर पर बैठ गयी और खुद के लिये ग्लास में कोक लिया और उसमें स्कॉच मिलाकर एक ही झटके में पी गयी। मैं प्रीती को शराब पीते देख भौंचक्का रह गया क्योंकि उसे शराब से नफरत थी।

 

उसका पल्लू नीचे गिर पड़ा मगर उसने उसे वैसे ही रहने दिया। उसके मम्मे नज़र आ रहे थे। एम-डी और महेश की नज़रें उसके मम्मों पर ही गड़ी हुई थीं। उसके ब्लाऊज़ के दो बटन खुले हुए थे।

प्रीती उनकी आँखों में देख कर बोली,अच्छा तुम दोनों हरामी आज मुझे चोदने आये हो!! तो इंतज़ार किस बात का कर रहे हो? चलो दोनों शुरू हो जाओ।

 

वो दोनों चौंक कर मेरी तरफ देखने लगे। मैं भी प्रीती का ऐसा कहते सुनकर चौंक पड़ा था। मुझे नहीं मालूम था कि प्रीती इस भाषा में उनसे बात करेगी।

 

प्रीती की बात सुनकर एम-डी ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मैंने म्यूज़िक लगा दिया। अब एम-डी प्रीती को अपनी बाँहों में भर कर गाने की ट्यून पर थिरक रहा था। जब एम-डी ने उसे किस करना चाहा तो पहले तो उसने ऐतराज़ दिखाया पर बाद में अपने होंठ एम-डी के होंठों पर रख कर चूसने लगी। एम-डी भी उसे-जोर से भींच रहा था। प्रीती की साड़ी खुलती जा रही थी।  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

मेरे मन में जलान की भावना उठी, पर इस कुरबानी के बदले मुझे जो मिलने वाला था, ये सोच कर मैं खुश हो रहा था।

 

अब मुझसे नहीं रहा जाता�, कहकर महेश प्रीती के दोनों मम्मे अपने हाथों में पकड़ कर भींचने लगा और अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ने लगा। महेश प्रीती की नंगी गर्दन और पीठ पर चुम्मे ले रहा था।

 

नाचते हुए जैसे ही वो मेरे पास से गुजरे, मैंने प्रीती के पेटीकोट के नाड़े को पकड़ा और उसका पेटीकोट खुल गया और उसके साथ ही उसकी साड़ी। उधर महेश ने उसके ब्लाऊज़ के बाकी के बटन खोल कर उसकी ब्रा भी उतार दी।

 

दोनों ही काफी उत्तेजित हो चुके थे। उन्होंने अपनी पैंटें उतार दी और अपने अंडरवीयर भी उतार दिये। एम-डी का लंड इतना मोटा और लंबा नहीं था पर महेश का लंड काफी लंबा और मोटा था पर मेरे लंड से ज्यादा नहीं। मैंने प्रीती की पैंटी में अपनी अँगुली फँसा कर उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो उन दोनों के बीच में सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई-हील सैंडल पहने बिल्कुल नंगी थी।

 

उसके मम्मे दबाते हुए महेश अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ रहा था और एम-डी अपना लंड उसकी चूत पर घिस रहा था।

 

मममम... कितना अच्छा लग रहा है�, कहकर प्रीती ने अपने दोनों हाथों से दोनों लंड पकड़ लिये। अब वो उन्हें धीरे-धीरे हिला रही थी।

 

महेश मुझसे अब रहा नहीं जाता, मैं अब इसे चोदना चाहता हूँ�, एम-डी ने सिसकरी भरते हुए कहा।

 

एम-डी ने प्रीती को गोद में उठाकर बिस्तर पे लिटा दिया। और खुद उस पर लेट कर पहले उसके मम्मे चूसने लगा और निप्पल पर अपने दाँत गड़ाने लगा। फिर नीचे की ओर खिसक कर उसकी चूत को चाटने लगा।

 

ये आप क्या कर रहे हैं सर! मैंने आज तक किसी की चूत नहीं चाटी। महेश ने आश्चर्य में कहा।

 

तुम्हें नहीं पता तुम आज तक क्या मिस करते आये हो, ये कहकर एम-डी जोर जोर से प्रीती की चूत चाटने लगा और फिर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर उसे चोदने लगा।

 

महेश ने प्रीती के मम्मे खाली देखे तो उन्हें पीने लगा और जोर से भींचने लगा। प्रीती ने दोनों के सिर पर दबाव बढ़ाते हुए कहा,हाँ इसी तरह मेरी चूत चाटो, पियो मेरे मम्मों को..., भींच डालो मेरी चूचियों को।

 

ओहहहहहह कितना अच्छा लग रहा है हाँआँआँ इसी तरह चोदो... ओहहहहहह गॉड!!!! हाँआआआआआँ और अंदर तक अपनी जीभ डाल दो और जोर से चोदो....  ऊऊऊऊहहहहह मेरा छूटने वाला है.... हाँ और जोर से�, कहकर प्रीती की चूत ने अपना पानी एम-डी के मुँह पर छोड़ दिया।

 

मगर एम-डी ने उसकी चूत को चाटना बंद नहीं किया बल्कि और तेजी से चाटने लगा। प्रीती में फिर गर्मी बढ़ने लगी। उसने महेश के बाल पकड़ कर अपने मम्मों पर से हटाया और एम-डी के बाल पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, अब मुझे चोदो, मुझसे रहा नहीं जा रहा।

 

उसकी टाँगें चौड़ी कर के एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में घुसेड़ दिया। महेश क्या शानदार चूत है, काफी टाइट भी लग रही है, प्रीती की चूत को निहारते हुए एम-डी बोला।

 

अरे सालों!!!! ये तुम्हें क्या हो गया है�, प्रीती ने अपनी टाँगें उछालते हुए उत्तेजना में कहा, क्या अब तुम्हारी माँ आकर बतायेगी मादरचोद!!!!! की चूत में लंड डालने के बाद क्या करना चाहिये, लंड घुसाया है तो चोदो भी।

 

प्रीती की बातें सुन कर एम-डी ने उसे चोदना शुरु कर दिया। काफी दिलकश नज़ारा था। मैंने पहले कभी प्रीती का ये रूप नहीं देखा था।

 

उत्तेजना में महेश से रहा नहीं जा रहा था। उसने अपना लंड प्रीती के मुँह में देने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को हटाते हुए कहा, थोड़ा सब्र करो... तुम्हारा भी नंबर आयेगा पहले इसके लंड को तो देख लूँ।

 

लेकिन महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और फिर अपना लंड उसके मुँह में घुसाने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को जोर से दबाते हुए कहा,साले हरामी! एक बार बोला तो समझ में नहीं आता क्या? अबकी बार किया तो तेरे लंड को चबा कर नाश्ता समझ कर खा जाऊँगी।

 

घबरा कर महेश पीछे हट गया और फिर एम-डी के पीछे प्रीती के पैरों के पास आकर उसके सैंडल के तलवे पर अपना लंड घिसने लगा। एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था। उसका लंड प्रीती की चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। ये देख मुझ में भी गर्मी आने लगी। प्रीती का ये रूप मेरे लिये भी आश्चर्य भरा था। मैं भी अपना लंड बाहर निकाल कर उसे सहला रहा था।  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

हूँ... हाँ... करते हुए एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था।

 

हाँ!! इसी तरह चोदो... थोड़ा और जोर से, प्रीती के मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी।

 

एम-डी जोर-जोर से अपने लंड को पिस्टन की तरह प्रीती की चूत के अंदर-बाहर कर रहा था। प्रीती उन्माद के सागर में डूबी हुई थी और अपनी कमर उछाल कर एम-डी की हर थाप का जवाब अपनी थाप से दे रही थी।

 

हाँ बहुत मज़ा आ रहा है, और तेजी से इसी तरह चोदते रहो, रुकना नहीं!!! प्रीती अपनी टाँगें उछालते हुए कह रही थी।

 

एम-डी की रफ़्तार थोड़ी धीरे पड़ी...

 

साले रुकना नहीं, मेरा छूटने वाला है... हाँ!!! चोदते रहो!!! लगता है तुम्हारा छूट गया।

 

एम-डी का पानी छूट चुका था पर वो अपना लंड प्रीती की चूत के अंदर बाहर करने की पूरी कोशिश कर रहा था।

 

हाँ!! इसी तरह चोदते रहो, मेरा छूटने वाला है अगर रुके तो जान से मार दूँगी... दो तीन धक्कों की बात है... हाँ इसी तरह ऊऊऊऊऊहहहहह..... मेरा छूट गया�, अपना पानी छोड़ कर प्रीती बिस्तर पर निढाल पड़ गयी।

 

प्रीती एम-डी का चेहरा अपने हाथों में ले कर उसे किस करने लगी। जैसे ही एम-डी उस पर से उठा तो मैंने देखा कि मुट्ठी भर पानी प्रीती की चूत से निकल कर बिस्तर पर गिर पड़ा। प्रीती ने एम-डी को परे ढकेल दिया और अपनी उखड़ी साँसों पर काबू पाने लगी।

 

एम-डी ने भी अपनी साँसें संभालते हुए कहा, महेश अब तुम इसे चोदो! सच कहता हूँ, आज तक इतनी मस्त चूत नहीं चोदी।

 

हाँ सर! चोदूँगा, पर मैं पहले इसकी गाँड मारना चाहता हूँ, इसकी गाँड ने मुझे पहले दिन से ही दीवाना बना कर रखा हुआ है�, जवाब देते हुए महेश ने पलट कर प्रीती से कहा, रंडी पलट कर लेट!!! अब मैं अपना लंड तेरी गाँड में घुसाऊँगा।

 

मुझे आश्चर्य हुआ जब प्रीती बिना किसी आनाकानी के घोड़ी बन गयी। महेश ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसाना शुरू किया,ओईईई माँआआआ!!!!, प्रीती जोर से दर्द के मारे चिल्लायी, हरामजादे!!!! क्या मुझे मार डालेगा???? पहले इस पर कुछ लगा तो ले।

 

महेश ने उसकी गाँड पर थूक कर एक जोर का धक्का दिया और अपना पूरा लंड उसकी गाँड में समा दिया। ओयीईईईईईईई माँआआआआआ बहुत दर्द हो रहा है, प्रीती चिल्लायी, साले हरामी!!!!

 

महेश थोड़ी देर के लिये रुक गया, �सर! आप भी इसकी गाँड मार के देखिये, मैं सच कहता हूँ इसकी गाँड इसकी चूत से ज्यादा टाइट और मस्त है, लगता है राज इसकी गाँड इतनी नहीं मारता�, महेश ने एम-डी से कहा।

 

चुप करो हरामजादों!!! तुम लोग कोई कंपनी की मीटिंग में नहीं हो, दर्द दिया है तो मज़ा भी देना सीखो, इतना कहकर प्रीती पीछे की और धक्के लगाने लगी, साले!!! अब मेरी गाँड को चोदना शुरू कर।

 

प्रीती की बातें सुन महेश ने अपना लंड जोर से उसकी गाँड में घुसा दिया। हरामजादी! मुझे हरामी कह रही थी, ले! कितना चुदवाना चाहती है�, महेश अब जोर-जोर से उसकी गाँड को रौंद रहा था, साली!! आज तेरी गाँड का भुर्ता ना बना दिया तो मुझे कहना।

 

करीब पाँच मिनट के बाद प्रीती चिल्लायी, हाँ!!! ऐसे ही चोदते जाओ, मेरी चूत को रगड़ो.... चूत को रगड़ो।

 

प्रीती की बातों को अनसुना कर महेश अपना लंड उसकी गाँड के अंदर-बाहर कर रहा था। उन्हें देख कर मैं भी लंड को हिला रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो रही थी।

 

मेरी चूत को रगड़ो ना!!! प्रीती जोर से चिल्लायी।

 

महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और जोर से उसे चोदने लगा। उसकी हरकत से लग रहा था कि उसका पानी छूटने वाला है। फिर एक झटके में अपना लंड अंदर तक दबा कर वो ढीला पड़ गया।

 

प्रीती ने देखा कि जब उसकी बात कोई नहीं सुन रहा है तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को रगड़ना शुरू किया और अपनी अँगुली चूत के अंदर बाहर करने लगी। उसके मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी, हाँआआआआआँ ऐसे ही चोदो......, हाँआआआआआआँ.... बहुत मज़ा आ रहा है�, कहकर वो शाँत हो गयी।

 

महेश ने अपना मुरझाया हुआ लंड प्रीती की गाँड से बाहर निकाला। प्रीती की गाँड और चूत से पानी टपक रहा था। ये देख कर मैंने भी अपना वीर्य वहीं ज़मीन पर छोड़ दिया।

 

सर! क्या गाँड थी, बहुत मज़ा आया�, महेश ने एम-डी से कहा।

 

इनकी चुदाई देख कर एम-डी का लंड फिर से तन गया था। महेश के हटते ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसा दिया। हाँ चोदो!! मेरी गाँड को चोदो, फाड़ दो इसे आज!! प्रीती जोर से चिल्लायी।  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

अगले दो घंटे तक एम-डी और महेश प्रीती को अलग-अलग तरह से चोदते रहे। दोनों थक कर चूर हो चुके थे।

 

क्या हो गया है तुम दोनों को? अपना लंड खड़ा करो, अभी मेरा मन नहीं भरा... मैं अभी और चुदवाना चाहती हूँ�, प्रीती उनके लंड को हिलाते हुए कह रही थी।

 

लगता है.... अब हमारा लंड खड़ा नहीं होगा�, एम-डी ने कहा।

 

मैं देखती हूँ... मैं क्या कर सकती हूँ�, कहकर प्रीती ने एम-डी का लंड अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसना शुरू किया।

 

थोड़ी देर में ही एम-डी का लंड फिर से खड़ा हो गया। आओ!!! अब मुझे चोदो�, प्रीती ने अपनी टाँगें चौड़ी करते हुए कहा।

 

जैसे ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में डाला, महेश ने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। थोड़ी ही देर में एम-डी और प्रीती झड़ कर अपनी साँसों को संभाल रहे थे।

 

एम-डी के हटते ही प्रीती ने महेश से कहा, महेश अब तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदो।

 

महेश, प्रीती के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा।

 

ओहहहहह महेश तुम कितनी अच्छी तरह से चोदते हो!!!!! आआआआआहहहह ओहहहहह। प्रीती मज़े लेते हुए बोल रही थी।

 

उसकी उत्तेजनात्मक बातों को सुन कर महेश में और जोश आ गया। वो जोर-जोर से उसे चोद रहा था।

 

हाँआआआआ इसी तरह से चोदते जाओ आआआ और  जोर से  हाँआँआँआआआ, अपना लंड अंदर तक डाल दो.... खूब मज़ा आ रहा है�, अपनी टाँगें उछाल कर प्रीती महेश के धक्कों का साथ दे रही थी।

 

अचानक प्रीती चिल्लायी, साले ये क्या कर रहा है.... मुझे बीच में छोड़ कर मत जाना!!! मेरा भी छूटने वाला है!!!!!

 

पर बेचारा महेश क्या करता। उसके लंड ने पानी छोड़ दिया था और मुर्झा कर प्रीती की चूत से बाहर निकल पड़ा।

 

साले हरामी!!!! तू इस तरह मुहे बीच में छोड़ के नहीं जा सकता�, प्रीती चिल्लायी, अगर लंड से नहीं चोद सकता तो इसे अपनी जीभ से चाटकर मेरा पानी छुड़ा।

 

प्रीती की हालत देख कर महेश प्रीती की टाँगों बीच आ गया और अपनी जीभ से प्रीती की चूत को जोर-जोर से चाटने लगा।

 

हाँ इसी तरह चाटते जाओ!!! अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो... हाँ अब अच्छा लग रहा है.... चाटते जाओ आआआआहहहहह ऊऊऊऊऊऊऊहहहहह�, चिल्लाते हुए प्रीती की चूत ने पानी छोड़ दिया।

 

अपनी साँसों को संभालते हुए प्रीती दोनों से बोली, अब मुझे कौन चोदेगा?�

 

मुझ में तो और ताकत नहीं है... एम-डी ने कहा।

 

�...और मुझे भी नहीं लगता कि मेरा लंड फिर खड़ा हो पायेगा�, महेश बोला।

 

अगर अब और नहीं चोद सकते तो अपने घर जाओ प्रीती ने उन दोनों को बेड पेर से धक्का देते हुए कहा, हाँ जाते हुए अपनी ऐय्याशी की कीमत चुकाना नहीं भूलना!

 

क्या नज़ारा था ये। मैंने आज से पहले प्रीती को इस तरह बोलते और गर्माते नहीं देखा था। मेरा खुद का पानी तीन बार छूट चुका था।

 

जब एम-डी घर जाने को तैयार हुआ तो उसने मुझे नियापेनसिआ रोड के फ्लैट की चाबी देते हुए कहा, राज, प्रीती वाकय शानदार और कमाल की है, आज से पहले मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं आया, जब उसकी गंदी-गंदी बातें सुनता था तो मुझ में दुगना जोश चढ़ जाता था।

 

मैंने प्रीती की ओर देखा। वो अपने सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी थी और छत को बेजान आँखों से घूर रही थी। उसकी हालत को देख कर मैं डर रहा था।

 

हाँ राज! प्रीती वाकय में दमदार औरत है, कईंयों को चोदा पर प्रीती जैसी कोई नहीं थी�, कहकर महेश ने मुझे वो तस्वीरों वाला लिफाफा पकड़ा दिया,लो राज!! आज तुमने ये सब कमा लिया है।

 

हाँ! प्रीती कुछ अलग ही है, आज पहली बार इसने महेश को चूत चाटने पर मजबूर कर दिया�, एम-डी ने हँसते हुए कहा।

 

महेश ने हँसते हुए कहा, सर!! अब चलिये... देर हो रही है।  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

चलिये सर! मैं आप लोगों को कार तक छोड़ आता हूँ�, मैं उनके साथ बाहर की ओर बढ़ा, सर! प्रीती ठीक हो जायेगी ना?�

 

चिंता मत करो राज। बीते वक्त के साथ सब ठीक हो जाती हैं, तुम परेशान मत हो�, एम-डी ने मुझे आशवासन दिया।

 

तस्वीरों को अपनी मोटर-साइकल की डिक्की में छुपाने के बाद मैं घर में घुसा तो देखा प्रीती बिस्तर पर नहीं थी। मैंने बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनी तो वहीं बैठ गया और प्रीती के बाहर आने का इंतज़ार करने लगा।

 

थोड़ी देर बाद प्रीती नहाकर बाथरूम से बाहर निकली। उसने पारदर्शी नाइट गाऊन पहन रखा था।

 

प्रीती तुम कमाल की थी.... एम-डी और महेश दोनों खुश थे�, मैंने खुश होते हुए कहा।

 

मेरी बात को नज़र अंदाज़ करते हुए उसने कहा, ओह गॉड! इतना रगड़-रगड़ कर नहाने के बाद भी मुझे लगता है कि मेरे शरीर का मैल नहीं धुला है।

 

फिक्र मत करो डार्लिंग!! थोड़े दिनों में सब ठीक हो जायेगा�, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।

 

रुक जाओ!!! मुझे हाथ लगाने की कोशिश भी मत करना�, वो बिफ़रते हुए बोली।

 

उसका गुस्से से भरा चेहरा और उसका बदला रूप देख कर मैं मन ही मन घबरा गया और चुप हो गया।

संभोग की सलवटों और वीर्य के धब्बों से भरी चादर को देख कर वो रोते हुए बोली, ओह गॉड! मैं तो इस बेड पर आज के बाद सो नहीं पाऊँगी, और वो रोने लगी।

 

लाओ!!! मैं ये चादर बदल देता हूँ�, मैंने उसे कहा।

 

कोई जरूरत नहीं!!! आज के बाद हर रात तुम इस बिस्तर पर सोगे और मैं वहाँ सोफ़े पर, कहकर वो तकिया और नयी चादर ले कर सोफ़े पर चली गयी।

 

मैं कुछ और कर नहीं सकता था। जो होना था वो हो चुका था। शायद समय प्रीती के घावों को भर दे। मेरा मन दुखी था पर क्या कर सकता था। इन ही सब विचारों में घिरा मैं सो गया।

 

!!! क्रमशः !!!


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