तरक्की का सफर

लेखक: राज अग्रवाल


 भाग-१३


 

कमरे में घुसते ही राम ने कहा, सिमरन ये मैं क्या देख रहा हूँ?�

 

ओह गॉड! मेरे पति कि आवाज़ है! मुझे जाने दो�, सिमरन अपने आपको जय से छुड़ाने की कोशिश करने लगी।

 

चुप हो जाओ रानी, मैं तुम्हें तभी जाने दूँगा जब मेरा काम हो जायेगा�, जय ने हँसते हुए अपने लंड की रफ़्तार और तेज कर दी।

 

राम मुझे जाने दो! नहीं.... मैं तुम्हें नहीं करने दूँगी! अंजू ने विरोध करते हुए कहा, लेकिन ज़मीन पर कार्पेट पे लेट कर अपनी टाँगें फैला दी।

 

अंजू तुम्हें क्या हुआ?� जय ने पूछा।

 

आहहहह!!! राम ने अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया है और मुझे चोद रहा है�, अंजू ने जवाब दिया।

 

चोदने दो! मैं भी तो उसकी बीवी की गाँड मार रहा हूँ�, जय ने हँसते हुए कहा।

 

ओहहहहहहह नहीं!!! मुझे नंगा मत करो प्लीज़, नहीं.... तुमने तो अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया है�, मंजू सिसकी।

 

अब तुम क्यों चिल्ला रही हो?� विजय ने पूछा।

 

श्याम मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोद रहा है�, मंजू ने जवाब दिया।

 

चढ़ा रहने दे, मैं भी तो उसकी बीवी पर चढ़ा हुआ हूँ, मजे लो! विजय ने साक्षी की गाँड में धक्का मारते हुए कहा।

 

चारों जोड़े चुदाई में मस्त थे। दो बिस्तर पर और दो ज़मीन पर। ऐसा सामुहिक चुदाई का नज़ारा देखने लायक था। थोड़ी देर बाद सब थक कर चूर हो चुके थे। जय और विजय खड़े होने लगे।

 

तुम कहाँ जा रहे हो? अभी मुझे और चुदाना है! साक्षी ने विजय का हाथ पकड़ते हुए कहा।

 

नहीं, मैं थक चुका हूँ! अब मुझसे नहीं होगा�, विजय ने कहा।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

तुम्हें अब मैं चोदूँगा�, राम ने कहा।

 

हाँ राम! तुम मुझे चोदो�, साक्षी बोली।

 

चोदूँगा जरूर! लेकिन तुम्हें नहीं सिमरन को, तुम्हें श्याम चोदेगा�, राम ने कहा।

 

हाँ राम! मुझे चोदो प्लीज़....! फिर दोनों ने अपने-अपने पति के लंड को मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया।

 

अब चलो यहाँ से..... मुझसे सहा नहीं जा रहा है, देखो मेरी चूत कितनी गीली हो गयी है�, प्रीती मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेडरूम में ले आयी।

 

वहाँ वो चुदाई में मस्त थे और मैं अपनी प्रीती की जम कर चुदाई कर रहा था। उसके मुँह से सिसकरियाँ फूट रही थीं, ओहहहहहह हाँ!!!! जोर से!!! ओहहहह तुम्हारे लंड की तो मैं दीवानी हो गयी हूँ!!!! कितने लौड़ों से चुदवा चुकी हूँ पर तुम्हारे लंड का जवाब नहीं।

 

थोड़ी देर में हम झड़ कर अलग हुए ही थे कि चुदाई पार्टी हमारे कमरे में आ गयी।

 

कैसे रहा तुम लोगों के साथ?� प्रीती ने पूछा।

 

बहुत अच्छा रहा! सिमरन और साक्षी की चूत और गाँड सही में लाजवाब हैं�, जय बोला।

 

और तुम दोनों की चूत की खुजलाहट कैसी है?�

 

पहले से ठीक है पर अब भी खुजला रही है�, सिमरन ने जवाब दिया।

 

जाओ जा कर स्नान कर लो..... ठीक हो जायेगी�, प्रीती ने कहा, सब लोग तैयार हो जाओ... फिर पिक्चर देखने चलते हैं।

 

हम सब लोग तैयार होकर पिक्चर देखने गये और एक अच्छे रेस्तोरां में खाना खाया। घर पहुँचते हुए काफी देर हो चुकी थी। घर पहुँच कर हम सब ड्रिंक्स पीने बैठ गये। बाद में जब सब सोने की तैयारी करने लगे तो प्रीती बोली, सिमरन और साक्षी तुम आज रात राज के साथ सोओगी, और राम और श्याम, अंजू और मंजू के साथ! प्रीती ने कहा।

 

तो हम लोग किसके साथ सोयेंगे?� जय ने पूछा।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

तुम दोनों आज मेरे साथ सोओगे�, प्रीती बोली। प्रीती की आँखों में वासना भरी थी और उसकी आवाज़ नशे में बहक रही थी।

 

बेडरूम में मैंने जब अपने कपड़े उतारे तो सिमरन सिसकी, साक्षी! देख तो जीजाजी का लंड कितना लंबा और मोटा है!

 

हाँ यार! ये तो काफी मोटा और लंबा है, सुना है... मोटा लंड चुदाई में ज्यादा मज़ा देता है�, साक्षी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी, पहले मैं चुदवाऊँगी।

 

नहीं पहले मैं चुदवाऊँगी, पहले मैंने देखा है�, सिमरन बोली। वो दोनों भी नशे में थीं। उन्होंने पहले कभी शराब पी नहीं थी और आज प्रीती के जोर देने पर दोनों ने एक-एक पैग पिया था और उसमें ही दोनों को अच्छा खासा नशा हो गया था।

 

झगड़ा मत करो, पूरी रात पड़ी है�, मैंने दोनों को शाँत करते हुए कहा, सिमरन बड़ी है इसलिये मैं पहले सिमरन को चोदूँगा।

 

पूरी रात मैं दोनों को बारी-बारी से चोदता रहा।

 

सुबह जब मैं उठा तो दोनों लड़कियाँ गहरी नींद में सोयी पड़ी थी। बिना आवाज़ किये मैं कमरे से बाहर आ गया और देखा कि किचन में प्रीती नंगी ही चाय बना रही थी।

 

रात कैसी गयी?� प्रीती ने पूछा।

 

बहुत शानदार, दोनों की चूत वाकय में बहुत टाइट है।

 

हाँ मैं जानती हूँ! उनकी शादी हुए ज्यादा अरसा नहीं हुआ है, और तुम्हारे मोटे लंड के लिये तो चुदी हुई चूत भी टाइट है�, प्रीती बोली।

 

गुड मोर्निंग भाभी! अंजू किचन में आते हुए बोली।

 

आप दोनों नंगे क्यों हैं? क्या सुबह-सुबह चुदाई कर रहे थे?� मंजू ने हमें नंगा देख कर कहा।

 

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, हमने वैसे आज से फैसला किया है कि घर में सब नंगे ही घूमेंगे, कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा�, मैंने कहा।

 

अगर ऐसी बात है तो ठीक है�, दोनों ने अपने-अपने गाऊन उतार दिये और नंगी हो गयी।

 

हाँ... उम्मीद है कि बाकी भी सब मान जायें�, अंजू ने हँसते हुए कहा,कितना अच्छा लगेगा जब सब मर्द अपना लंड हवा में उठाये घूमेंगे�, अंजू बोली।

 

और हम चूज़ भी कर सकते हैं कि किससे चुदवाना है! मंजू ने कहा।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

भाभी! आपने हमारे पतियों के साथ क्या किया है जो अभी तक सो रहे हैं?� अंजू ने पूछा।

 

कुछ ज्यादा नहीं किया..... सिर्फ़ उनके लंड से उनके पानी की एक-एक बूँद निचोड़ ली! प्रीती खिलखिलाती हुई बोली,अब वो आराम से सो रहे हैं।

 

आओ मंजू देखते हैं, उनका लंड कितना सूखा हुआ है�, अंजू उसे बेडरूम की ओर घसीटती हुई बोली।

 

आधे घंटे बाद वो दोनों लौटीं,भाभी! उनके लंड में अभी थोड़ा पानी बचा था जो हमने चूस के निकाल दिया�, मंजू जोर से बोली और बाकी सब को उठाने चली गयी।

 

हम सब लोग नंगे ही नाश्ता कर रहे थे। जय और विजय कहाँ हैं?� मैंने पूछा।

 

हम यहाँ हैं भैया। दोनों किचन में नंगे आते हुए बोले। फिर जय और विजय ने राम और श्याम की ओर घूरते हुए कहा, तो वो तुम दोनों ही हो जिन्होंने हमारी बीवियों का कुँवारापन लूटा था।

 

हाँ लूटा था! तो क्या कर लोगे?� राम भी अकड़ कर बोला। मैं घबरा रहा था कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाये। मैंने अंजू और मंजू की ओर देखा।

 

सॉरी भैया, भाभी! इन्होंने चालाकी से हमारे मुँह से उगलवा लिया�, मंजू बोली।

 

इतने में जय बोला, करेंगे क्या!!! हमने भी तो तुम्हारी बीवियों की चूत और गाँड मारी है�, और हंसने लगा।

 

माहोल शाँत होते देख मेरी जान में जान आयी। अब तो घर में सब नंगे ही रहते और जो मन में आता उसे पकड़ कर चुदाई करने लगते। सारा दिन शराब और चुदाई चलती.... कौन किसे और कहाँ चोद रहा है कोई परहेज नहीं था। ऑफिस से लौटने के बाद मैं भी शामिल हो जाता था।

 

एक दिन ऑफिस से लौटा तो देखा कि अंजू के बेडरूम से आवाज़ें आ रही है। सभी लोग वहाँ थे सिवाय राम के।

 

प्रीती! राम के साथ बेडरूम में कौन है?� मैंने पूछा।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

तुम्हारी पहली कुँवारी चूत..... रजनी, आयी थी, टीना की बर्थडे पार्टी के बारे में बात करने, लेकिन इतने सारे खड़े लंड देख कर अपने आप को रोक नहीं सकी और पिछले चार घंटे से सबसे बारी-बारी से चुदवा रही है। प्रीती ने जवाब दिया। थोड़ी देर बाद राम और रजनी बेडरूम से बाहर आये। प्रीती! अब मैं चलती हूँ, कल मम्मी के साथ आऊँगी, फिर हम सब फायनल कर लेंगे�, रजनी ने कहा।

 

मेरी जान! तुम ऐसे कैसे जा सकती हो? राज अभी तो आया है और तुमने उससे चुदवाया भी नहीं है�, प्रीती हँसते हुए बोली।

 

सॉरी राज... आज नहीं! आज मेरी चूत और गाँड इतनी सुजी हुई है कि अब मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी, फिर कभी! ये कहकर वो चली गयी।

 

सभी लोग रजनी और टीना के बारे में जानना चाहते थे। प्रीती ने पूरी डीटेल में सब कुछ उन्हें बता दिया। दो दिन के बाद योगिता और रजनी आयीं। चार नौजवान और खड़े लंडों को देख कर योगिता के मन में चुदवाने की इच्छा जाग उठी।

 

मम्मी! जो काम की बात हम करने आये हैं..... पहले वो पूरा कर लेते हैं, बाद में हम दोनों मिलकर इन सबके लंड का पानी निचोड़ लेंगे�, रजनी ने कहा।

 

मैंने उन दोनों के लिये ड्रिंक्स बनाये और फिर हमने तय किया कि टीना का जन्मदिन कैसे मनाया जाये। तय ये हुआ कि हम लोग एक पार्टी रखेंगे और योगिता की जवाबदारी होगी कि वो टीना और उसके माता-पिता को पार्टी में लेकर आये।

 

अगर एम-डी रीना को भी साथ ले आया तो?� मैंने पूछा।

 

तुम उसकी चिंता मत करो, रीना नहीं आयेगी! कारण ये कि आज शाम को वो अपनी मौसी से मिलने जा रही है और टीना के जन्मदिन के बाद ही लौटेगी�, प्रीती ने कहा।

 

प्रीती! मुझे लगता है कि तुम्हें खुद राजू और मिली को पार्टी में इनवाइट करना चाहिये�, योगिता बोली।

 

ठीक है! मैं ही फोन किये देती हूँ! प्रीती ने फोन उठा कर एम-डी का नंबर मिलाया।

 

एम-डी बोल रहा हूँ�, दूसरी तरफ से आवाज़ सुनाई दी।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

सर, मैं प्रीती बोल रही हूँ, मैं आपको और मिली को शनिवार की शाम पाँच बजे मेरे घर पर कॉकटेल पार्टी की दावत देने के लिये फोन किया है।

 

शनिवार को हम नहीं आ सकते, उस दिन टीना का जन्मदिन है और मैंने उसे प्रॉमिस किया है कि उसे किसी स्पेशल जगह लेकर जाऊँगा�, एम-डी ने कहा।

 

सर! ये तो ठीक नहीं होगा! मेरी दोनों ननदें यहाँ आयी हुई हैं और आपसे मिलना चाहती हैं�, प्रीती ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा।

 

ये तो बहुत अच्छी बात है, मैं भी एक बार फिर उन्हें चोदना चाहता हूँ, लेकिन तुम ये कैसे कर पाआगी?� एम-डी ने कहा।

 

सर! उस दिन की पार्टी को आप टीना की बर्थडे पार्टी समझ लिजिये। इससे एक पंथ दो काज़ पूरे हो जायेंगे�, प्रीती ने सिगरेट का धुँआ छोड़ते हुए कहा।

 

हाँ! ये ठीक रहेगा। हम लोग शनिवार की शाम ठीक पाँच बजे पहुँच जायेंगे�, एम-डी दूसरी तरफ से बोला।

 

तो ठीक है सर! मैं शनिवार को आपका इंतज़ार करूँगी, और हाँ सर टीना और रीना को लाना मत भूलना�, कहकर प्रीती ने फोन रख दिया।

 

प्रीती! तुम तो कमाल की चीज़ हो, अब अंकल जरूर आयेंगे�, रजनी ने कहा।

 

अब काम खत्म हो गया है, चलो अब मस्ती की जाये�, योगिता अपना ब्लाऊज़ उतारते हुए बोली।

 

हाँ मम्मी, चलो चुदाई की जाये! रजनी बोली। दोनों माँ बेटियाँ शराब के नशे में चूर थीं और उनकी आँखों में वासना लहरा रही थी।

 

चलो लड़कों इनकी कपड़े उतारने में मदद करो, और इन्हें कमरे में ले जाकर इनकी सामुहिक चुदाई करो�, प्रीती ने हँसते हुए कहा, ऐसा कम बार होता है कि माँ बेटी साथ में चुदाई करवा रही हों।

 

चारों ने मिलकर उनके कपड़े उतारे और दोनों नंगी माँ-बेटी सिर्फ हा‌ई-हील के सैंडल पहने नशे में झूमति हु‌ईं उन चारों के सहारे बेडरूम में चली गयीं। ।

 

क्या सोच रहे हो भैया?� अंजू ने पूछा।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

शनिवर का दिन और टीना की कुँवारी चूत के बारे में ही सोच रहा होगा और क्या सोचेगा�, प्रीती ने अपना ग्लास हवा में झुलाते हुए कहा। वो भी नशे में धुत्त थी।

 

तुम हमेशा की तरह सही कह रही हो प्रीती�, मैंने कहा और सिमरन और साक्षी को बाँहों में भर लिया। आओ तुम दोनों मुझे शनिवार की थोड़ी सी प्रैक्टिस करा दो।

 

सिमरन और साक्षी को चोदने के बाद मैं शनिवार का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा। ऐसा लग रहा था कि समय जैसे थम सा गया हो। जैसे तैसे शनिवार का इंतज़ार खत्म हुआ।

 

शनिवार की सुबह मैं सोकर उठा तो देखता हूँ कि हॉल का सारा फर्निचर फिर से सजाया हुआ था और बीच में एक बेड बिछा दिया गया था। चारों लड़के नंगे उस पर ताश खेल रहे थे।

 

प्रीती कहाँ है?� मैंने उनसे पूछा।

 

वो किचन में शाम के लिये नश्त बाना रही है�, राम ने जवाब दिया।

 

मैं किचन में पहुँचा तो देखा कि वो पाँचों भी सिर्फ सैंडल पहने नंगी ही काम कर रही हैं। क्या हो रहा है?� मैंने पूछा।

 

तुम्हारी स्पेशल दवाई से नाश्ता बना रही हूँ, याद है ना आज तुम्हें टीना की कुँवारी चूत फाड़नी है�, प्रीती ने जवाब दिया।

 

वो तो मुझे याद है, पर हॉल के बीच में ये बेड क्यों बिछाया हुआ है, क्या शाम को कोई शो होने वाला है?� मैंने पूछा।

 

हाँ! शो ही तो होने वाला है, हम सब तुम्हें टीना की चूत फाड़ते हुए देखना चाहते हैं, तुम्हें अकेले ही मज़ा नहीं लेने देंगे�, प्रीती ने कहा।

 

हाँ! हम सब भी देखना चाहते हैं�, सभी ने मिलकर कहा।

 

तो तुम सब मुझे टीना की चूत फाड़ते देखना चाहते हो?� मैंने कहा।

 

तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?� प्रीती ने पूछा।

 

मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है, पर टीना को शरम आयी और वो ना मानी तो?� मैंने कहा।

 

टीना अगर नहीं मानी तो उस समय सोचेंगे, अब तुम जा कर तैयार हो जाओ। रजनी टीना को लेकर आती ही होगी�, प्रीती बोली। मैं नहा धोकर तैयार हो बाहर आया कि दरवाजे पर घंटी बजी। प्रीती ने अपना हाऊज़ कोट पहन कर दरवाजा खोल दिया।

 

दरवाजे पर रजनी और टीना थी। थैंक गॉड! तुम लोग आ गये, आओ अंदर आओ...... मैं तो समझी कि कहीं एम-डी को भनक तो नहीं लग गयी�, प्रीती ने रजनी से कहा।

 

प्रीती उन्हें लेकर हॉल में आयी। टीना बहुत ही सुंदर लग रही थी, उसका चेहरा गुलाब की तरह खिला हुआ था और उसके गुलाबी होंठ...... जी कर रहा था कि अभी आगे बढ़ कर उन्हें चूम लूँ।

 

टीना ने जब सबको नंगा देखा तो शरमा गयी और अपनी गर्दन झुका कर बोली, रजनी दीदी! ये सब नंगे क्यों हैं? �

 

ये नंगे नहीं हैं, आज ये सब जनब अवस्था में तुम्हारा जन्मदिन स्पेशल तरीके से मनायेंगे�, प्रीती बोली, आओ आज मैं तुम्हें अपने हाथों से तैयार करती हूँ�, कहकर प्रीती टीना को बेडरूम में ले गयी।

 

प्रीती इसकी चूत के बाल साफ करना मत भूलना�, रजनी ने कहा।

 

मुझे याद है! नहीं भूलूँगी! प्रीती बेडरूम में जाते हुए बोली।

 

इतनी देर कहाँ लगा दी?� मैंने रजनी से पूछा।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

शुक्र करो कि हम लोग पहुँच गये, वर्ना अंकल ने तो सब प्लैन चौपट कर दिया था�, रजनी अपने कपड़े उतारते हुए बोली।

 

अच्छा!!! ऐसा क्या हुआ?� मैंने पूछा।

 

क्या तुम अपने कपड़े नहीं उतारोगे?� रजनी बोली।

 

मैं बाद में उतार दूँगा, मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। पहले तुम बताओ क्या हुआ?� मैंने फिर पूछा।

 

हाई पेन्सिल हील के सैंडलों के अलावा अपने सब कपड़े उतार कर रजनी नंगी हो गयी और उसने   बताया:

 

मैं और टीना तैयार हो कर अंकल के कमरे में पहुँचे और उनसे जाने की इजाज़त मांगी तो वो बोले कि ऐसी भी क्या जल्दी है, तुम लोग रुको और हमारे साथ ही चलना।

 

मुझे काटो तो खून नहीं फिर भी मैं हिम्मत कर के बोली कि लेकिन अंकल क्यों, हम दोनों जाने के लिये तैयार हैं और आपको अभी कम से कम आधा घंटा लगेगा। हमें जाने दीजिये ना।

 

इतने में मिली आँटी हमारे बचाव में आ गयी और बोली कि जब बच्चे तैयार हैं तो तुम क्यों उन्हें रोक रहे हो, रजनी सही कह रही है हमें अभी आधा घंटा लगेगा, इनके जल्दी जाने में बुराई क्या है?�

 

अंकल ने कहा कि तुम राज को नहीं जानती, वो मौका मिलते ही टीना की कुँवारी चूत चोद देगा।

 

टीना बोली कि पापा.... ऐसे कैसे चोद देगा, मैं क्या बच्ची हूँ कि जिसका मन जब चाहा मुझे चोद देगा।

 

अंकल ने कहा कि मुझे यही तो डर है कि तुम अब बड़ी हो गयी हो।

 

मेरी मम्मी बोली कि तुम बेकार ही राज पर शक कर रहे हो..... जब उसका घर उसके मेहमानों से भरा पड़ा है तो वो टीना की चूत कैसे फाड़ेगा? फिर तुम भी तो वहाँ जा ही रहे हो।

 

अंकल बोले कि ठीक है! जाओ बच्चों इंजॉय करो और राज से कहना कि हम ठीक पाँच बजे पहुँच जायेंगे।

 

मैंने रास्ते में टीना से पूछा कि क्या तुम अपनी चूत चुदवाने के लिये तैयार हो�, तो उसने हाँ में जवाब दिया।

 

रजनी की बात सही थी। प्रीती और टीना ने हॉल में कदम रखा। दोनों ने सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहन रखे थे, बाकी बिल्कुल ही नंगी थीं। टीना ने अपने हाथों से अपनी सफ़ाचट चूत छुपा रखी थी।

 

अपनी गोरी और प्यारी चूत को मत छुपाओ टीना, इन सबको तुम्हारी चूत देखने दो�, रजनी बोली।

 

उसकी गोरी चूत को देखते ही मेरे लंड में तनाव आ गया। जैसे ही मैं अपने कपड़े उतार कर नंगा हुआ, मेरा लंड तन कर आसमान की तरफ खड़ा हो गया। मेरे लंड का सुपाड़ा एक नयी चूत की तमन्ना में और ज्यादा फूल कर लाल हो गया।

 

वाओ!!!! क्या लंड है�, अंजू बोली।

 

ये क्या बुरा है?� जय ने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा।

 

बुरा तो नहीं है पर छोटा है�, कहकर अंजू ने जय के लौड़े को चूम लिया।

 

प्रीती टीना को ले कर मेरे पास आयी और उसे मेरी और ढकेल कर बोली,लो अब.... आज की बर्थडे गर्ल को संभालो और इसका अच्छी तरह से जन्मदिन मनाओ।

 

मैं टीना को अपनी बाँहों में भर कर चूमने लगा। मेरे हाथ उसकी चूचियों को भींच रहे थे। मैंने उसे धीरे से गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके बगल में लेट गया। अब मैं उसके होंठों को चूस रहा था और हाथों से उसके मम्मे सहला रहा था।

 

कुछ देर तक तो टीना ने साथ नहीं दिया। फिर वो भी साथ देने लगी और वो भी मेरे होंठों का रसपान कर रही थी। वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मेरी जीभ से खेलने लगी।

 

पाँच मिनट बाद मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। उसने अपनी टाँगें इकट्ठी की हुई थी। मैं जोर-जोर से उसके होंठों को चूसते हुए अपना लंड और जोर से रगड़ने लगा। आआआआआहहहहहहह कहकर उसने अपनी टाँगें थोड़ी खोल दी।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

राज अब प्लीज़!!!! मुझे इस तरह तरसाओ नहीं, मेरी चूत में अब लंड डाल दो ना..... मुझसे नहीं रहा जाता�, कहकर उसने अपनी टाँगें पूरी फैला दीं।

 

थोड़ा सब्र करो मेरी जान!!! अभी घुसाता हूँ�, कहकर मैंने चारों तरफ देखा। प्रीती और रजनी हमें देख रही थी और बाकी सब एक दूसरे के शरीर को सहला रहे थे। इतने में दरवाजे की घंटी बजी।

 

सब लोग ध्यान दो! अब चूत फटने की घड़ी आ गयी है�, प्रीती बोली और अपना हाऊज़-कोट पहनते हुए दरवाजा खोलने गयी।

 

मैं देख तो नहीं सकता था पर मुझे सुनाई दिया, आइये सर, योगिता, मिली जी..... आप सब का हमारे घर में स्वागत है�, प्रीती ने उनका अभिवादन किया।

 

मैंने अपने लंड को टीना की चूत के छेद पर रख कहा,थोड़ा सहन कर लेना डार्लिंग! शुरू में थोड़ा दर्द होगा। उसने हिम्मत दिखते हुए सहमती में हाँ कहा।

 

मैंने अपने लंड का जोर का धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया।

 

आआआआआआआआआईईईईईई मर गयीईईई बहुत दर्द हो रहा है..... टीना दर्द के मारे चींखी। मैंने अपना लंड धीरे- धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया।

 

क्या बहुत दर्द हो रहा है?� मैंने उसकी चूचियों को सहलाते हुए कहा।

 

हाँ थोड़ा हो रहा है पर तुम रुको मत और मुझे चोदते जाओ�, उसने अपने कुल्हे उठाते हुए कहा।

 

ये कौन चींख रहा है?� एम-डी ने पूछा।

 

मुझे तो टीना की आवाज़ लग रही है�, मिली बोली।

 

हाँ वो टीना की आवाज़ ही है, मुझे लगता है कि राज ने टीना को उसके जन्मदिन का तोहफ़ा दे दिया है�, योगिता हँसते हुए बोली।

 

ओह गॉड! राज ने मेरी टीना की चूत फाड़ दी!!! कहते हुए एम-डी हॉल की ओर लपका। पीछे तीनों औरतें भी आयी।

 

मैं टीना की चूत में धीरे-धीरे धक्के मार रहा था और वो कमर उचका कर मेरा साथ दे रही थी।

 

राज रुक जाओ!!! ये मेरी बेटी है!!! एम-डी जोर से चिल्लाया।

 

राज! ये तुम क्या कर रहे हो?� मिली ने बेवजह पूछा।

 

मिली! क्या तुम अंधी हो गयी हो? देख नहीं सकती कि राज टीना की चुदाई कर रहा है�, योगिता जोर से हँसते हुए बोली।

 

योगिता, जिस तरह से तुम हँस कर बोल रही हो उससे तो यही लगता है कि तुम पहले से जानती थी कि क्या होने वाला है?� एम-डी गुस्से में बोला।

 

हाँ! मैं जानती ही नहीं थी बल्कि ये सब मैंने ही प्लैन किया था।

 

तुमने ऐसा क्यों किया योगिता, मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?� एम-डी बोला।

 

अपनी बे-इज्जती का तुमसे बदला लेने लिये�, योगिता बोली।

 

तुम्हारी बे-इज्जती? मैंने कब तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार किया?�

 

मुझे कब बे-इज्जत किया? भूल गये वो होटल शेराटन की शाम.... जब तुमने मेरी चूत को अपने बाप की जायदाद समझ कर राज को पेश की थी। मुझसे पहले पूछा भी नहीं और जब मैंने मना किया तो तुमने मुझे रजनी की चूत फाड़ देने की धमकी दी जबकि तुम उसको कुछ दिन पहले ही चोद चुके थे.... योगिता ने नफ़रत भरे शब्दों में कहा।

 

क्या?? तुमने अपनी बेटी समान भतीजी को चोदा? मैंने तुमसे ज्यादा बेशर्म इंसान नहीं देखा! मिली उसे घूरती हुई बोली।

 

मिली डार्लिंग! इन लोगों ने मेरे साथ छल किया था, मुझे नहीं मालूम था कि वो रजनी है�, एम-डी ने धीरे से कहा।

 

अब तुम कुछ भी कहो..... तुम इतने गिरे हुए इंसान हो कि कल अपनी बेटियों को भी चोदना चाहोगे! मिली पलटते हुए नफ़रत से बोली।

 

मेरा विश्वास करो मिली, ये सब प्रीती और राज की चाल थी।

 

ये सही है कि इसे पता नहीं था कि वो रजनी है पर इसे मेरे साथ ऐसा करने का क्या हक है? � योगिता बोली।

 

क्या तुम्हें राज के लंड से मज़ा नहीं आया?� एम-डी ऊँची आवाज़ में बोला।

 

मज़ा आया तो क्या, सवाल हक का है�, योगिता भी ऊँचे स्वर में बोली।

 

इससे पहले कि बात झगड़े का रूप ले लेती, प्रीती बीच में बोली, तुम लोग सब चुप हो जाओ..... प्लीज़ सब शाँत हो जायें।

 

जब सब शाँत हो गये तो उसने पूछा, क्या आप लोगों ने सुना टीना ने क्या कहा?� उन्होंने ना में गर्दन हिलायी।

 

टीना! तुमने क्या कहा था.... जरा दोबारा तो कहना! प्रीती ने टीना से कहा।

 

ओह राज! तुम रुक क्यों गये, कितना अच्छा लग रहा था, और चोदो ना..... टीना ने सिसकते हुए कहा।

 

सॉरी मेरी जान! मैं थोड़ा भटक गया था�, कहकर मैं अपना लंड फिर अंदर बाहर करने लगा।

 

जो होना था सो हो गया..... अब झगड़ने से कोई फ़ायदा नहीं है। टीना की चूत फट चुकी है और वो मज़े से चुदवा रही है। उसे मज़ा लेने दो और आप लोग भी मज़ा लो�, प्रीती ने कहा,लड़कियों! यहाँ आओ। जब लड़कियाँ नज़दीक आयीं तो उसने उनका एम-डी से परिचय कराया, सर! ये सिमरन और साक्षी हैं, अंजू और मंजू से तो आप मिल ही चुके हैं।

 

टीना और झगड़े को भूल कर एम-डी ने उनकी चूचियाँ दबाते हुए कहा, काफी सुंदर और मस्त हैं।

 

ऊऊऊऊहहहह! वे सिसकी।

 

तो मेरी तितलियों..... बताओ तुम्हारी चूत कैसी है?� एम-डी ने उनकी चूत को रगड़ते हुए पूछा।

 

भट्टी की तरह गरम! सिमरन ने अपना पैग पीते हुए कहा।

 

और आपके लंड की प्यासी...... साक्षी ने एम-डी के लंड को दबाते हुए कहा। बाकियों की तरह दोनों पर शराब का नशा सवार था।

 

तो तुम दोनों में पहले कौन चुदवाना चाहेगा?� एम-डी ने पूछा।

 

पहले मैं चुदवाऊँगी�, साक्षी एम-डी को पकड़ बोली।

 

नहीं मैं बड़ी हूँ...... पहले मैं! सिमरन बोली।

 

अच्छा झगड़ा मत करो, बेडरूम में चल कर तय करेंगे कि कौन पहले चुदवायेगा�, कहते हुए एम-डी उन्हें ले कर बेडरूम में चला गया। नंगी अंजू और मंजू भी ऊँची ऐड़ी की सैंडल खटखटाती और नशे में झूमती उनके पीछे-पीछे चली गयीं।

 

योगिता और मिली! ये चार तने-खड़े लंड तुम लोगों के लिये हैं, चाहे जैसे चुदवा सकती हो�, प्रीती ने चारों लड़कों की ओर इशारा करके कहा।

 

उनके खड़े लंड को देख कर मिली ये भूल चुकी थी कि उसकी बेटी की चूत अभी-अभी चुदी है और वो मज़े से चुदवा रही है। मैंने देखा कि योगिता और मिली ने मिल कर इतनी सी देर में व्हिस्की की एक पूरी बोतल पी ली थी और बाकी औरतों की तरह अपने हाई हील के सैंडलों के अलावा सारे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थीं।।

 

जय और श्याम के लंड पकड़ कर मिली बोली, काफी मोटे और लंबे हैं, योगिता तुम बाकी दो को लेकर बेडरूम में आ जाओ हम दोनों मिलकर इनका सारा रस निचोड़ लेंगे। मिली की आवाज़ नशे में बहक रही थी।

 

ये चार लंड हैं, तुम दोनों भी हमारा साथ क्यों नहीं देती?� योगिता ने प्रीती और रजनी से कहा।

 

नहीं हम लोग यहीं ठीक हैं.... राज टीना को चोदने के बाद हमारा खयाल रखेगा�, प्रीती ने कहा।

 

योगिता राम और विजय को लंड से पकड़ कर नशे में लड़खड़ाती हुई मिली के पीछे बेडरूम में चली गयी।

 

ये सब तो चल ही रहा था और मैंने अब अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।

 

ओहहहह राज हाँआंआं आऔर जोर से, चोदो मुझे..... टीना सिसकी।

 

मैं और तेजी से धक्के मारने लगा।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

हाँआआआआ ऐसे ही....ईईई....... कितना अच्छा लग रहा है!!!! टीना मेरे धक्कों का साथ देते हुए बोली।

 

मैं उसे चोदते हुए उसके मम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को चूस रहा था। ओहहहहहहह राज हाँ!!!!! ऐसे ही!!!!! ओहहहहह मेरा छूटने वाला है..... ओहहहह छूटा...आआआआ। और इतने में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मुझे लगा जैसे किसी नदी पर बांध को खोल दिया हो।

 

मैंने अपने स्पीड और तेज कर दी। ओहहह टीना तुम्हारी चूत कितनी प्यारी है... रानी!!! कहते हुए मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत में उढ़ेल दिया और उसे कस कर बाँहों में जकड़ लिया। मेरे लंड की पिचकारी ठीक उसकी बच्चे-दानी पर गिर रही थी। मैंने उसे चोदना चालू रखा।

 

टीना! जब तुम्हारी चूत से पहली बार पानी छूटा तो तुम्हें कैसा लगा?� रजनी ने पूछा।

 

दीदी! बहुत अच्छा लगा, ऐसा लगा कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ.... टीना मेरे धक्कों का साथ देते हुए बोली।

 

लगता है मेरा फिर छूटने वाला है�, कहते हुए टीना ने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर पे जकड़ दीं। उसके सैंडलों की ऐड़ियाँ मेरी कमर पे खरोंच रही थीं। मुझे भी अपने लंड में तनाव सा महसूस हुआ। वो मुझे बाँहों में जकड़ कर जोर-जोर से चिल्ला रही थी, हाँ हाँ राज!!!! और तेजी से धक्के मारो.....हाँ और जोर से!!!! और उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया। मेरा भी पानी छूट गया और हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में जकड़े अपनी साँसें संभालने लगे।

 

ओह राज!!!! अब मुझे चोदो�, प्रीती बिस्तर पर धड़ाम से गिरते हुए बोली,रजनी !अंदर से किसी लड़के को बुलाओ जो टीना की चूत को चोद सके। प्रीती और रजनी भी नशे में धुत्त थीं।

 

जैसे ही मैंने अपना लंड प्रीती की चूत में घुसाया तो मैंने देखा कि जय टीना पर चढ़ कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा रहा है।

 

क्या ये भी मुझे चोदेगा?� टीना ने फूछा।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

ये ही नहीं बाकी सब भी तुम्हें चोदेंगे! प्रीती बोली।

 

प्रीती को चोदने के बाद मैंने रजनी को भी चोदा। इतने में मैंने प्रीती को कहते सुना, राम! तुम ये क्या कर रहो हो।

 

टीना की गाँड मारने की तैयारी कर रहा हूँ�, राम ने जवाब दिया।

 

नहीं! टीना की गाँड मारने का पहला हक सिर्फ़ राज का है, तुम इसकी चूत चोदो जैसे औरों ने चोदा है.... प्रीती ने नशे में लड़खड़ाते से स्वर में जवाब दिया।

 

मेरे कहने पर राम ने टीना की चूत की चुदाई शुरू कर दी।

 

मैंने कमरे में झाँक कर देखा कि एम-डी सिमरन की चुदाई कर रहा था और दूसरे कमरे में श्याम और विजय योगिता और मिली को चोद रहे थे। अंजू और मंजू भी एक दूसरे की चूत चाट रही थीं और कामुक्ता से कराह रही थीं। उन सबकी सिसकरियाँ और मादक चींखें बता रही थी कि उन्हें बहुत मज़ा आ रहा है।

 

राज! क्या तुम टीना की गाँड मारने को तैयार हो?� प्रीती ने पूछा।

 

एक दम डार्लिंग! मैंने अपने खड़ा लंड दिखाते हुए कहा।

 

तो फिर किसका इंतज़ार कर रहे हो? शुरू हो जाओ! रजनी बोली।

 

मैं टीना के पास आकर उससे बोला, चलो टीना! अब घोड़ी बन जाओ..... मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा।

 

नहीं राज! गाँड में नहीं!!! टीना ने याचना भरे स्वर में कहते हुए प्रीती और रजनी की ओर देखा।

 

गाँड तो तुम्हें मरवानी पड़ेगी!!!! प्रीती बोली।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

नहीं दीदी! मैं मर जाऊँगी, राज का लंड कितना बड़ा और मोटा है�, टीना बोली।

 

क्या मैं और प्रीती मर गये जो तू मर जायेगी, अब जैसा राज बोलता है वैसा कर�, रजनी बोली।

 

टीना घोड़ी बन गयी और मैंने थोड़ा थूक लेकर उसकी गाँड के भूरे छेद पर रगड़ दिया। अपने लंड को छेद पर रख कर थोड़ा जोर लगाया कि वो जोर से चिल्लायी, ओहहहहह मर गयीईईई..... राज मेरी गाँड को बख्श दो!!!!

 

छोड़ो मुझे!!! उठो मेरे ऊपर से...... मुझे राज को टीना की गाँड मारने से रोकना है�, एम-डी की चिल्लाने की आवाज़ आयी।

 

मारने दो उसकी गाँड!!!! इधर मेरा छूटने वाला है�, सिमरन ने एम-डी को पकड़ते हुए कहा।

 

एम-डी सिमरन को जबरदस्ती अलग करते हुए हॉल में दाखिल हुआ। उसके पीछे चारों लड़कियाँ भी नशे में झुमती हुई आयी। रुक जाओ राज!!! टीना की गाँड मत मारना, मैं कहता हूँ रुक जाओ?� एम-डी जोर से चिल्लाया।

 

उसकी चिल्लाहट पर ध्यान ना देते हुए मैंने पूरे जोर से अपना लंड टीना की गाँड में घुसा दिया। जैसे ही लंड उसकी गाँड को चीरता हुआ अंदर तक गया तो टीना दर्द से छटपटाने और जोर से चिल्लाने लगी, मर गयीईई, राज निकाल लो!!!! बहुत दर्द हो रहा है.... ऊऊऊऊईईईई माँआआआआ! 

 

 

एम-डी ने जब देखा कि मैं उसकी बातों पे ध्यान नहीं दे रहा तो वो दूसरे में कमरे में भागा, मिली तू यहाँ चुदवा रही है और दूसरे कमरे में राज हमारी बेटी की गाँड मार रहा है।

 

किसे परवाह है..... मारने दो उसे उसकी गाँड, मुझे चुदवाने में मज़ा आ रहा है�, वो अपने कुल्हे उठा कर चुदवाते हुए बोली, हाँ ऐसे ही.... और जोर से। साफ ज़ाहिर था कि मिली को शराब और चुदाई के नशे में अपनी मस्ती के अलावा किसी भी बात की परवाह नहीं थी।

 

राजू अब कुछ नहीं हो सकता, राज का लंड उसकी गाँड को फाड़ चुका है। जाओ और जा कर चूत के मज़े लो... अगर तुम में ताकत बची हो तो.... योगिता जोर से हँसते हुए बोली।

 

टीना की गाँड भी इसे चार चूतों को चोदने से नहीं रोक सकती..... जब तक कि इसमें ताकत ना रहे और ताकत के लिये ये अपनी दूसरी बेटी की चूत को भी चुदवा सकता है�, मिली जोर से बोली, क्यों ठीक बोल रही हूँ ना डार्लिंग! जाओ और अब चुदाई के मज़े लो और हमें भी मज़े लेने दो...।

 

एम-डी बिना एक शब्द कहे कमरे से बाहर आ गया और लड़कियाँ उसे लेकर वापस बेडरूम में घुस गयीं। जब मैं टीना की गाँड मार कर अलग हुआ तो रजनी ने उससे पूछा, टीना! क्या गाँड मरवाने में मज़ा आया?�

 

दीदी! शुरू में दर्द हुआ था लेकिन बाद में मज़ा आया�, टीना बोली।

 

चलो लड़कों! अब तुम सब टीना की गाँड मार सकते हो�, प्रीती ने आवाज़ लगायी।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

सभी ने फिर बारी-बारी से टीना की गाँड मारी। हम सब आराम कर रहे थे कि एम-डी की आवाज़ सुनाई दी, बस लड़कियों! अब मेरे लंड में और ताकत नहीं है, मैं घर जाऊँगा। एम-डी कपड़े पहन बाहर आया और मिली के पास पहुँचा।

 

मिली! चलो घर चलो।

 

तुम्हें जाना है तो जाओ मेरा अभी हुआ नहीं है। मिली अपने कुल्हे उछालती हुई बोली, हाँआआआ राम और जोर से चोदो..... ओहहहह आआआहहह।

 

मैंने कहा ना कि चलो यहाँ से!!!! राम छोड़ो उसे, हमें घर जाना है�, एम-डी ने थोड़ा गुस्से में कहा।

 

राम ने उसकी बातों पे ध्यान दिये बिना दो चार धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।

 

योगिता! तुम भी हमारे साथ क्यों नहीं चलती? राजू के लंड में तो जान नहीं है.... शायद हम दोनों मिलकर कुछ कर सकें�, मिली लड़खड़ाते स्वर में बोली।

 

ठीक है! चलती हूँ पर पहले मुझे खलास तो होने दो... योगिता बोली, हाँ श्याम चोदो मुझे जोर से..... और जोर से...... मेरा छूटने वाला है।

 

श्याम भी छूटने के करीब था और दो चार धक्कों के बाद वो उसके बदन पर निढाल पड़ गया।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

साथ में मिलकर कुछ करेंगे???� टीना ने पूछा।

 

थोड़े दिनों में तुम सब जान जाओगी�, रजनी ने कहा।

 

थोड़ी देर बाद में योगिता और मिली ने नशे में झूमते हुए जैसे-तैसे अपने कपड़े पहने और एम-डी के साथ जाने के लिये तैयार हो गयीं। टीना! कपड़े पहनो और हमारे साथ चलो�, एम-डी कड़क कर टीना से बोला।        इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

 

टीना सोच में पड़ गयी और चारों तरफ देखाने लगी पर उसकी मदद में कोई कुछ नहीं बोला। वो ही हिम्मत करके बोली, पापा! आप लोगों को जाना है तो जाओ.... मुझे यहाँ अच्छा लग रहा है। उसकी बातों को सुन हम सब ने ताली बजा कर स्वागत किया।

 

राजू!!! टीना इक्कीस की हो गयी है और वो जो चाहे कर सकती है, और वैसे भी राज उसकी गाँड और चूत दोनों फाड़ ही चुका है। वो और चुदवाना चाहती है तो उसे रहने दो�, मिली एम-डी को घसीटती हुई बाहर ले गयी।

 

!!! क्रमशः !!!


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