तरक्की का सफ़र
लेखक: राज अग्रवाल
भाग-१२
प्रीती के वापस आने के बाद हम लोग खाना खाकर बिस्तर पर लेटे थे, �और बताओ प्रीती शादी कैसी गयी?�
�राज! ये कोई भी वक्त है सवाल करने का, तुम्हें पता है तुम्हारे लंड के बिना मेरी चूत की क्या हालत हो रही है�, प्रीती अपनी चूत को खुजाते हुए बोली।
मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, �मैं जानता हूँ मेरी जान!� मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा।
�अच्छा अब चिढ़ाना बंद करो और मेरी कस कर चुदाई करो�, प्रीती अपने कपड़े उतारते हुए बोली।
मैंने जमकर उसकी चुदाई की और प्रीती इसी बीच चार बार झड़ी। सच कहता हूँ, प्रीती जैसी चूत किसी की भी नहीं थी। जब हम थक कर लेट गये तो मैंने दो सिगरेट जलाते हुआ पूछा, �अब बताओ सब कैसा रहा?� और एक सिगरेट प्रीती को दे दी।
�हाँ..... सब अच्छा रहा, मेरी दोनों भाभियाँ सिमरन और साक्षी बहुत ही सुंदर हैं। सिमरन, राम की बीवी, थोड़ी पतली है और उसकी चूचियाँ भी छोटी नारंगी जैसी हैं और वहीं साक्षी, श्याम कि बीवी, भरी-भरी है और चूचियाँ तो मानो दो खरबूजे लटक रहे हों�, प्रीती ने कहा।
�तुम ये सब मुझे बताकर उकसाने की कोशिश क्यों कर रही हो?� मैंने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
�क्यों ना उकसाऊँ? कोई एक बार की चुदाई से तो तुम मुझे छोड़ने वाले नहीं हो�, प्रीती ने हँसते हुए कहा, �अच्छा अब तुम बताओ पीछे से कैसा रहा...? क्या रजनी बराबर आती रही है?�
�हाँ! रजनी बराबर आती थी और शबनम, समीना और नीता भी अक्सर आ जाया करती थीं।� फिर मैंने उसे अनिता और ज़ुबैदा के इंटरव्यू के बारे में बताया।
�लगता है तुम्हें अनिता के रूप में एक हीरा हाथ लग गया है?� प्रीती ने कहा।
�हाँ! मैं भी ऐसा ही सोच रहा हूँ�, मैंने कहा।
एक दिन प्रीती बोली, �राज! आज कुछ अच्छी खबरें हैं।�
�सबसे पहली बात, मेरे भाई अपनी बीवियों के साथ हमारे पास रहने आ रहे हैं�, प्रीती ने कहा।
�तो वो दोनों चुदकड़ हमसे मिलने आ रहे हैं....� मैंने हँसते हुए कहा।
�क्या तुम अब भी नाराज़ हो कि मेरे भाइयों ने तुम्हारी कुँवारी बहनों की चूत फाड़ी थी?�
�नहीं! बिल्कुल भी नहीं, उनकी जगह कोई भी होता तो वही करता, उन्हें कुँवारी चूत चोदने का मौका मिला और उन्होंने चोदा�, मैंने कहा, �अच्छा अब दूसरी बात बताओ?�
�बात ये है कि तुम्हारी बहनें अंजू और मंजू भी अपने पति, जय और विजय के साथ उसी समय हमारे पास आ रही हैं�, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
�क्या इन सब को साथ में इकट्ठा करना ठीक रहेगा? जबकि जो कुछ मेरी बहनों और तुम्हारे भाइयों के बीच हुआ?� मैंने कहा, �और क्या तुम टीना का जन्मदिन भूल गयी। इतनी भीड़ में कैसे उसे चोदूँगा?�
�नहीं! मैं नहीं भूली हूँ!� प्रीती ने मेरे लंड को चूमते हुए कहा, �विश्वास रखो मेरे राजा! टीना की कुँवारी, सील बंद चूत का उदघाटन तुम ही करोगे।�
प्रीती कुछ सोच में पड़ी हुई थी। उसके होंठों को चूमते हुए मैंने पूछा, �क्या सोच रही हो?�
�कुछ अच्छा और कुछ शरारती�, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
�मैं भी तो सुनूँ।�
�देखो राज! मैं एक हिसाब बराबर करने की सोच रही थी, जैसे मेरे भाइयों ने तुम्हारी बहनों को चोदा है उसी तरह तुम्हारी बहनों के पति जय और विजय को भी मेरे भाइयों की बीवी सिमरन और साक्षी को चोदने का मौका मिलना चाहिये�, प्रीती ने जवाब दिया।
�लेकिन इससे मेरी बहनों का कुँवारापन तो वापस नहीं आ जायेगा�, मैंने कहा।
�हाँ.... उनका कुँवारापन तो मैं वापस नहीं ला सकती लेकिन कुछ भी नहीं से कुछ तो अच्छा है�, प्रीती ने जवाब दिया।
�लेकिन तुम ये सब करोगी कैसे?�
�ये सब मैं उनके आ जाने पर सोचुँगी�, प्रीती ने जवाब दिया, �और दूसरी बात..... तुम भी मेरी दोनों भाभी, सिमरन और साक्षी को चोद सकते हो।�
�और एक बात..� वो कुछ कहती उसके पहले मैंने कहा, �अब ये मत कहना कि तुम अपने भाइयों और मेरी बहनों के पतियों से चुदवाना चाहती हो?�
�नहीं मेरे भाइयों से तो नहीं...... हाँ! जय और विजय से जरूर चुदवाना चाहुँगी�, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
�कब आ रहे हैं ये लोग?�
�सोमवार की सुबह मेरे भाई लोग और उसी दिन शाम को तुम्हारी बहनें�, प्रीती ने कहा।
�क्या तुम जय और विजय को राम और श्याम के बारे में बताओगी?� मैंने पूछा।
�अगर जरूरत पड़ी तो ही बताऊँगी, इसलिये मैंने मेरे भाइयों को और तुम्हारी बहनों को साफ लिख दिया है कि वो आपस में उसी तरह मिलें जैसे पहली बार मिल रहे हों�, प्रीती ने बताया।
�लगता है तुमने सब सोच रखा है�, मैंने कहा, �लेकिन टीना उनके आने के दो हफ़्ते बाद इक्कीस की हो जायेगी, उसे दिया वचन कैसे पूरा करोगी?�
�उसकी तुम चिंता मत करो, तुम्हें एम-डी के सामने ही टीना की कुँवारी चूत चोदने के मौका मिलेगा..... ये मेरा तुमसे वादा है�, प्रीती ने कहा।
सोमवार को राम और श्याम आ गये। उनकी पत्नियाँ सिमरन और साक्षी दोनों खुबसूरत थीं। मेरा लंड तो उन्हें देखते ही खड़ा हो गया। मुझसे उनका परिचय कराने के बाद प्रीती ने उन्हें उनका कमरा दिखाया और अपने भाइयों को खुद के बेडरूम में आने को कहा, कि उसे कुछ बातें करनी हैं।
थोड़ी देर बाद हम चारों हमारे बेडरूम में इकट्ठा हुए। प्रीती ने बात की शुरुआत की, �अच्छा राम और श्याम! मैं तुम लोगों से कुछ पूछना चाहती हूँ, और इसका जवाब मुझे सच-सच देना?�
�हाँ दीदी!� दोनों जवाब दिया।
�राम तुम बताओ, शादी के वक्त क्या सिमरन कुँवारी थी?�
मुस्कुराते हुए राम ने कहा, �हाँ दीदी! एक दम कुँवारी थी।� इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
�तुम्हें कैसे मालूम कि वो कुँवारी थी? कई लड़कियाँ शादी से पहले चुदवा लेती हैं पर बाद में नाटक करती हैं, जैसे कुँवारी हों�, प्रीती ने पूछा।
�नहीं दीदी! ऐसा नहीं था! जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसा था तो उसे सही में दर्द हुआ था और खून भी बहुत गिरा था�, राम ने जवाब दिया।
�ठीक है, और तुम श्याम! साक्षी के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?� प्रीती ने पूछा।
�साक्षी भी कुँवारी थी दीदी! उसकी चूत की झिल्ली भी एकदम मंजू...� श्याम कहते हुए रुक गया और शर्म से गर्दन झुका ली।
�श्याम! शरमाओ मत और बताओ, राज को उसकी बहनों की चुदाई के बारे में सब मालूम है�, प्रीती ने कहा।
�साक्षी का इतना खून नहीं गिरा था, जितना सिमरन का गिरा था, जैसे राम ने बताया।�
�क्या उनकी चूत पर बाल हैं या उन्होंने अपनी चूत एक दम चिकनी बना रखी है?� प्रीती ने पूछा।
�बहुत बाल हैं दीदी, एक बार मैंने सिमरन से साफ करने को कहा था, तो उसने कहा कि अगर बाल साफ करने की चीज़ होती तो भगवान औरत की चूत पर बाल ना बनाता�, राम ने जवाब दिया। प्रीती ने श्याम की ओर देखा।
�दीदी! तुम्हें पता है.... जब मैंने साक्षी से एक दिन कहा, कि तुम्हारी चूत बिना बालों के और सुंदर और प्यारी लगेगी तो उसने कहा कि चूत चोदने के लिये है ना कि नुमाइश करने के लिये�, श्याम ने हँसते हुए जवाब दिया।
�क्या तुम दोनों ने एक दूसरे की बीवी को चोदा है?� प्रीती ने अपना प्रश्न जारी रखा।
�मैंने एक बार पूछा था.... लेकिन सिमरन ने साफ़ मना कर दिया था�, राम ने हँसते हुए कहा।
�क्या तुम एक दूसरे की बीवी को चोदना चाहोगे?�
�हाँ दीदी जरूर! दोनों ने साथ में जवाब दिया।�
�लेकिन दीदी! तुम ये सब सवाल क्यों कर रही हो?� श्याम ने पूछा।
�दो मिनट रुक जाओ! सब बता दूँगी, पहले एक आखिरी सवाल का जवाब और दे दो�, प्रीती ने कहा, �क्या तुमने उनकी गाँड मारी है?�
�गाँड!!! भगवान की तौबा!!! एक बार मैंने उससे कहा तो इतना नाराज़ हो गयी कि पाँच दिन तक मुझे हाथ भी लगाने नहीं दिया�, राम ने जवाब दिया।
�मैंने एक बार कोशिश की थी लेकिन उसके बाद उसने कहा कि अगर मैंने दोबारा गाँड मारने की कोशिश कि तो वो मुझे छोड़ के चली जायेगी�, श्याम ने कहा।
�अच्छा?? क्या तुमने उनकी चूत चाटी है और क्या वो तुम्हारा लौड़ा चूसती हैं?� प्रीती ने फिर पूछा।
�हाँ उसे चूत चटाने में मज़ा आता है और मेरा लौड़ा भी चूसती है.... लेकिन मुझे मुँह में झड़ने नहीं देती है�, राम ने कहा।
�हाँ! उसे बहुत मज़ा आता है और मेरा पानी भी पी जाती है�, श्याम ने जवाब दिया।
�अब आखिरी सवाल...... क्या उन्हें चुदाई में मज़ा आता है?� प्रीती ने पूछा।
�हाँ! बहुत मज़ा आता है और उसका बस चले तो हर वक्त चुदती रहे�, राम ने कहा।
�हाँ दीदी! साक्षी को तो कुछ ज्यादा ही मज़ा आता है...... ऐसे उछल-उछल कर चुदाती है कि क्या बताऊँ�, श्याम ने हँसते हुए जवाब दिया।
�तुम दोनों के लिये एक खुश खबर है...... अंजू और मंजू भी तुम लोगों से मिलने आ रही हैं। वो लोग शाम को पहुँचेंगे�, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
�हाँ खबर तो अच्छी है लेकिन....!� राम ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
�उन्हें फिर चोदने का ख्वाबी पुलाओ मत पकाओ...... उनके पति भी साथ में आ रहे हैं�, मैंने कहा।
�क्या तुम उन्हें दोबारा चोदना चाहोगे?� प्रीती ने पूछा पर दोनों हरामी चुप रहे और मेरी तरफ देख रहे थे।
�राज से मत डरो और सच सच बोलो?� प्रीती ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
�हाँ! सही में वो दोनों बहुत अच्छी थीं।�
�ठीक है! मैं अब बताती हूँ कि ये सब किस लिये था, जैसे तुम दोनों ने अंजू और मंजू की कुँवारी चूत को चोदा था वैसे ही उनके पति तुम्हारी बीवियों को चोदें और उनकी कुँवारी गाँड भी मारें�, प्रीती ने कहा।
कमरे में अचानक खामोशी छा गयी। कोई कुछ नहीं बोला।
�ज़रा सोचो! अगर ये हो जाये तो तुम लोग एक दूसरे की बीवी को भी चोद सकोगे। उनकी गाँड भी मार सकोगे...... वो तुम्हारे लंड का पानी भी खुशी-खुशी पी जायेंगी�, प्रीती ने कहा, �और दूसरी बात! तुम्हें अंजू और मंजू को भी दोबारा चोदने का मौका मिलेगा और साथ ही दूसरी लड़कियों को भी जिन्हें हम जानते हैं।�
�मुझे मंजूर है, मैं देखना चाहुँगा जब वो सिमरन की गाँड में अपना लंड घुसायेंगे�, राम ने हँसते हुए कहा।
�मुझे भी मंजूर है, पर ये होगा कैसे?� श्याम ने पूछा।
�ये सब मेरे पर छोड़ दो, तुम लोगो सिर्फ़ इतना करना कि जब अंजू और मंजू आयें तो ऐसे मिलना जैसे पहली बार मिल रहे हो... वो भी ऐसा ही करेंगी�, प्रीती ने कहा।
�ठीक है? तुम लोग तैयार रहना.... मैं बता दूँगी तुम्हें�, प्रीती ने कहा।
शाम को मेरी बहनें अपने पति, जय और विजय, के साथ पहुँच गयीं।
�सॉरी अंजू-मंजू! तुम लोगों को हॉल में ही सोना पड़ेगा..... कारण, हमारे यहाँ तीन ही बेडरूम हैं और वो पहले से ही बुक हैं�, प्रीती ने कहा।
�कोई प्रॉब्लम नहीं भाभी! हमें साथ में सोने की आदत है�, अंजू हँसते हुए बोली।
थोड़ी देर बाद प्रीती, अंजू और मंजू को अपने बेडरूम में ले आयी और उन्हें सब बताया तो, अंजू ने हँसते हुए कहा, �अच्छा ऑयडिया है भाभी! और जय-विजय को उन्हें चोदने में मज़ा आयेगा, मैं जानती हूँ।�
�क्या हम लोग उन्हें बता दें?� मंजू ने पूछा।
�नहीं! अभी कुछ मत बताना...... बस कल उन्हें थियेटर में पिक्चर दिखाने जरूर ले जाना�, प्रीती ने कहा।
प्रीती ने अपना प्लैन अपने भाइयों को बताया और कहा कि देखना कल दोपहर में सिमरन और साक्षी मेरे साथ घर में अकेली हों।
प्रीती ने अपना प्लैन कुछ इस तरह से बनाया था: मैं अपनी बहनों और उनके पति, और राम और श्याम को पिक्चर दिखाने ले जाऊँगा। प्रीती सिमरन और साक्षी को घर पर ही रोक लेगी, कारण, दोनों को खाना बनाने का बहुत शौक है।
सुबह जब हम लोग नश्ता कर रहे थे तो मैंने सबसे पूछा, �पिक्चर देखने कौन कौन चल रहा है, बड़ी ही अच्छी इंगलिश पिक्चर चल रही है।�
�भइया हम चारों चल रहे हैं�, अंजू ने जवाब दिया।
�ना बाबा! मैं तो नहीं जाऊँगी, मुझे वैसे भी इंगलिश पिक्चर पसंद नहीं है�, साक्षी ने कहा।
�और मैं तो वैसे भी नहीं जा पाऊँगी क्योंकि प्रीती दीदी ने मुझे प्याज के पकोड़े कैसे बनाये जाते हैं, वो सिखाने का वादा किया है�, सिमरन बोली।
�ठीक है! अगर तुम लोग नहीं जाना चाहती तो मत जाओ..... हम राज के साथ चले जाते है�, राम और श्याम साथ-साथ बोले। जब हम जाने को तैयार हुए तो प्रीती मेरे पास आयी और मुझे समझाया, �तुम अपना मोबाइल ऑन रखना और जब मैं तीन बार बज़ा कर बंद कर दूँ तो जय-विजय को पहले भेज देना और जब दोबारा फोन करूँ तब ही तुम आना।�
हम लोग पिक्चर देखने घर से निकल पड़े। �राम! मैं थियेटर फोन करके पता कर लेता हूँ कि टिकट अवेलेबल हैं कि नहीं।�
�हाँ! वो ठीक रहेगा�, राम ने कहा।
मैंने थियेटर फोन लगा कर बात की। टिकट अवेलेबल होते हुए भी उनसे झूठ बोल दिया कि हाऊज़ फ़ुल है।
�टिकट तो हैं नहीं! फिर क्या करना चाहिये, अंजू?�
�ऊममम अब क्या करें भैया? चलो कहीं चल कर आईसक्रीम खाते हैं�, मंजू ने कहा।
थोड़ी देर में मेरे फोन की घंटी तीन बार बज कर बंद हो गयी। मैं समझ गया कि घर में दोनों चिड़ियाँ चुदवाने को तैयार हो रही हैं। मैंने सबसे कहा, �चलो अब घर चल कर ही कुछ करते हैं?�
�इतनी जल्दी क्या है जीजाजी?� राम ने कहा।
�चलना है तो चलो या आईसक्रीम को साथ ले लो�, मैंने कहा।
�बेवकूफ़! भूल गये क्या?� अंजू उसके कान में फुसफुसायी और मंजू उसे जबरदस्ती उठाती हुई खड़ी हो गयी।
जब हम घर पहुँचे तो मैंने जय और विजय से कहा, �तुम दोनों फ्लैट पर जाओ.... वहाँ तुम्हें तुम्हारी भाभी प्रीती मिलेगी, अगर वो वहाँ ना हो तो घंटी मत बज़ाना। उसके आने के बाद ही फ्लैट में जाना।�
�लेकिन ये सब क्या है भैया?? मैं कुछ समझा नहीं�, विजय ने पूछा?
�अभी समझाने का वक्त नहीं है, प्रीती तुम्हें सब समझा देगी�, मैंने दोनों को ढकेलते हुए कहा।
आधे घंटे के बाद प्रीती का फोन आया कि हम लोग आ सकते हैं। प्रीती हमें दरवाजे पर मिली।
�क्या हो रहा है?� मैं धीरे से फुसफुसाया।
�चुदाई का पहला दौर खत्म हो चुका है और दूसरे की तैयारी हो रही है�, प्रीती धीरे से बोली।
�क्या सिमरन की गाँड फाड़ दी?� राम ने पूछा।
�अभी तो नहीं.... लेकिन शायद दूसरे राऊँड के बाद!�
�भाभी अपने ये सब कैसे किया?� अंजू ने पूछा।
�मैंने उन दोनों को कोक में एम-डी की स्पेशल दवाई मिला कर दी थी�, प्रीती ने जवाब दिया।
�ऐसे नहीं!!! हमें ज़रा डिटेल में बताइये�, मंजू बोली।
प्रीती ने शुरू से बताना शुरू किया।
तुम लोगों के जाने के बाद हम लोग साथ मिल कर किचन में खाना बनाने लगे, किचन गर्मी में एक दम तप रहा था।
�दीदी बहुत गर्मी हो रही है ना?� सिमरन बोली।
�फ़्रिज में कोक पड़ी है तुम लोग वो ले लो....� मैंने कहा। दोनों फ्रिज से कोक ले के पीने लगी। लेकिन पंद्रह मिनट के बाद भी मुझे उन पर कोई असर होते नहीं दिखा तो मुझे लगा कि आज मेरा प्लैन फ़ेल हो जायेगा..... मैं सोच पड़ गयी।
�लेकिन आप कोक के भरोसे क्यों थी, ऐसा क्या है कोक में?� श्याम ने पूछा।
�वो कोई साधारण कोक नहीं है�, अंजू बोली।
�उस कोक में मिली दवाई को पीने से औरत की चूत में खुजली होने लगती है�, मंजू बोली।
�ऐसी भी कोई दवाई होती है...... पहली बार सुना है�, राम हँसते हुए बोला।
�तुम दोनों क्या समझते हो कि तुम बहुत सुंदर और हैंडसम हो जो अंजू और मंजू ने अपनी कुँवारी चूत तुम्हें चोदने के लिये दे दी, नहीं! ये इसी दवाई का कमाल था जो तुम इनकी जवानी का मज़ा उठा पाये�, प्रीती थोड़ा झल्लते हुए बोली, �इस दवाई से इनकी चूत में इतनी खुजली मच चुकी थी कि अगर तुम्हारा लंड ना होता तो ये किसी गली के कुत्ते से भी चुदवा लेती।�
इतना सब सुनकर दोनों शाँत हो गये।
�भाभी फिर क्या हुआ?� अंजू ने पूछा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
दवाई का उन पर असर नहीं हो रहा था, मैं सोच में पड़ गयी...... फिर मुझे एक खयाल आया..... मैंने प्याज के पकोड़ों में वो दवा मिला दी और सिमरन के रूम में प्लेट में लगा ले गयी।
�सिमरन! ये पकोड़े टेस्ट करो और बताओ कैसे बने हैं?�
सिमरन ने एक पकोड़ा मुँह में रखा और बोली कि �दीदी ये तो बहुत ही टेस्टी हैं.... अपने लिया कि नहीं?�
मैंने भी एक पकोड़ा टेस्ट किया और उसे और लेने को कहा कि �और खा कर देखो।�
यही मैंने साक्षी के साथ किया। दोनों बड़े चाव से पकोड़े खा रही थीं। तुम्हें फोन किया क्यों कि मुझे विश्वास था कि उनकी चूत में खुजली जरूर मचेगी।
इतनी देर में जय और विजय आ गये, मैं उन्हें अपने बेडरूम में ले आयी, वो दोनों बौखला गये थे और बोले कि �भाभी ये सब क्या है?�
मैंने कहा कि �इसके पहले कि मैं तुम्हारे प्रश्न का जवाब दूँ.... तुम दोनों मेरे एक प्रश्न का जवाब दो, क्या तुम दोनों सिमरन और साक्षी को चोदना चाहोगे?�
मेरा सवाल सुनकर दोनों चौंक गये और बोले कि �भाभी ये आप क्या कह रही हैं, वो दोनों आपकी भाभीयाँ हैं।� मैंने कहा कि �वो दोनों मेरी क्या हैं, ये मुझे सोचने दो, तुम जवाब दो कि क्या चोदना चाहोगे?�
�हाँ भाभी! ऐसा मौका फिर कब मिलेगा।� जय ने अपने लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए जवाब दिया।
अंजू शरारती मुस्कान के साथ बोली, �म...म...म मेरे जय का लंड नयी चूत का नाम सुनते ही खड़ा हो जाता है!�
फिर विजय ने पूछा कि �भाभी! क्या वो तैयार हो जायेंगी?� और जय ने कहा कि �भाभी लेकिन राम और श्याम को पता चलेगा तो वो क्या सोचेंगे।�
�राम और श्याम की चिंता मत करो.... वो सब मुझ पर छोड़ दो और रही सिमरन और साक्षी कि बात तो वो तुमसे भीख मांगेंगी कि आओ मेरी चूत में अपना लंड डाल दो। सिर्फ़ उतना करो जितना मैं कहती हूँ।�
मेरी बात सुनकर जय ने कहा कि �ठीक है.... आप क्या चाहती हैं हमसे?�
�कुछ नहीं! इंतज़ार करो जब तक वो खुद चल कर तुम्हारे पास चुदवाने के लिये नहीं आती हैं और हाँ! उन्हें तब तक मत चोदना जब तक वो गाँड मरवाने के लिये तैयार ना हो जायें..... ये दोनों बातें बहुत जरूरी हैं।�
जय ने अपना लंड जोर से दबाया और बोला कि, �यार! ये तो बहुत ही अच्छी बात है, चूत के साथ गाँड भी मारने को मिलेगी और वो भी दोनों की।�
मैं ये कहकर रूम के बाहर आ गयी कि �यहीं इंतज़ार करो और ज़न्नत के मज़े लेने के सपने देखो।�
थोड़ी देर में सिमरन कमरे में आयी, उसकी साड़ी का पल्लू जमीन पेर रेंग रहा था, ब्लाऊज़ के तीन बटन खुले हुए थे। उसके माथे पर पसीन चमक रहा था और चेहरे से साफ लग रहा था कि वो कितनी उत्तेजना में थी।
सिमरन अपने एक हाथ से अपनी चूचियाँ भींच रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। वो बोली कि, �दीदी! राम कहाँ है और कितनी देर में आयेगा?�
मैंने धीरे से जवाब दिया कि, �तुम्हें पता है ना कि वो लोग पिक्चर देखने गये हैं?�
उसने अपनी चूत और जोरों से खुजाते हुए पूछा कि �ऐसा मेरे ही साथ क्यों होता है, मुझे जब भी उसकी जरूरत होती है वो मेरे पास नहीं होता..... वापस कब आयेगा?�
मैंने जवाब दिया कि, �करीब तीन घंटे में।�
सिमरन झल्लाते हुए बोली कि, �अब मैं क्या करूँ! मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही है कि मुझसे सहन नहीं हो रहा।�
इससे पहले कि मैं उसको जवाब दे पाती, साक्षी कमरे में आयी। उसकी हालत भी सिमरन के जैसे ही थी। साड़ी ज़मीन पर रेंग रही थी, और दोनों हाथ चूत को खुजला रहे थे। उसने भी पूछा कि, �दीदी! श्याम कब तक आयेगा?�
मैंने कहा कि �मैंने अभी सिमरन को बताया है कि तीन घंटे से पहले नहीं।� वो जोर-जोर से अपनी चूत को भींचते हुए बोली कि, �ओह! गॉड तब तक मैं क्या करूँ?�
मैं अपने दोनों हाथ पीछे से उसकी चूचियों पर रख कर बोली कि, �क्या तुम्हारी चूत में भी सिमरन की तरह खुजली हो रही है?�
उसने कहा कि �हाँ दीदी! बहुत जोरों से और मुझ से सहा नहीं जा रहा।�
मैंने उसके मम्मे और जोर से दबाते हुए कहा कि �फिर तो ऐसी परस्थिति में एक ही सलाह दे सकती हूँ कि तुम दोनों अपनी अँगुली से अपनी चूत चोद लो।�
�दीदी! मैं आपके कहने से पहले तीन बार कर चुकी हूँ लेकिन शांती नहीं पड़ रही?� सिमरन बोली।
�और दीदी मैं तो ब्रश के हैंडल और अपनी सैंडल की हील तक से कर चुकी हूँ लेकिन पता नहीं जितना करती हूँ उतनी ही खुजली और बढ़ रही है।� ये कहते हुए साक्षी की आँखों में आँसू आ गये।
फिर मैंने पूछा कि, �क्या इसके पहले भी तुम्हारी चूत खुजलाती थी?� तो साक्षी बोली कि, �दीदी! खुजलाती तो थी पर आज जैसी नहीं, पता नहीं आज क्यों इतनी खाज मच रही है।�
फिर मैंने कहा कि, �फिर तो इसका एक ही इलाज है कि किसी मोटे और तगड़े लंड का इंतज़ाम किया जाये।�
सिमरन ने कहा कि, �हाँ! हम जानते हैं कि ये खाज लंड से ही बुझेगी, पर इसके लिये हमें राम और श्याम का तीन घंटों तक इंतज़ार करना होगा और तब तक हमारी जान ही निकल जायेगी।�
�मैं उनके लंड की नहीं किसी और लंड की बात कर रही थी।�
सिमरन ने कहा कि, �आप ऐसा कैसे कह सकती हैं।�
�मैं श्याम के साथ बेवफ़ाई नहीं करूँगी�, साक्षी ने कहा।
�ये फैसला तुम दोनों को करना है!� ये कहकर मैं उन दोनों की चूत रगड़ने लगी।
थोड़ी देर दोनों शाँत रहीं, उनकी सिसकरियाँ बढ़ रही थी और उनसे सहा नहीं जा रहा था। साक्षी ने कंपकंपाते हुए पूछा कि, �भाभी! यहाँ पर कोई है क्या?�
�हाँ! जय और विजय हैं ना, मेरे ख्याल से तुम दोनों उन दोनों से चुदवा लो? दोनों दिखने में सुंदर हैं और मैं विश्वास से कहती हूँ कि उनका लंड भी लंबा और मोटा होगा।�
�अगर हमारे पतियों को पता चल गया तो क्या होगा?� सिमरन ने पूछा।
�पहले तो उनको पता नहीं चलेगा, और अगर पता चल भी गया तो कोई खून की नदियाँ नहीं बहेंगी, इसका वादा मैं करती हूँ। अब इसके पहले कि देर हो जाये... जा कर उन्हें पूछो, शायद वो तुम्हारी सहायता करने को तैयार हो जायें....� मैंने कहा।
�दीदी! आप पूछो ना! हमें शरम आती है....� सिमरन बोली।
�ठीक है आओ मेरे साथ!� और मैं उन दोनों का हाथ पकड़ कर मेरे बेडरूम में ले आयी जहाँ जय और विजय थे।
�अरे तुम दोनों कब आये?� मैंने पूछा। विजय बताने लगा पर उसकी बात पूरी हो पाती उसके पहले ही सिमरन जोर से बोली कि �तुम तीनों चुप हो जाओ, दीदी पूछना चाहती है कि क्या तुम दोनों हमें चोदोगे?�
�प्लीज़ हमें चोदो ना!� साक्षी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। मैंने उनका लंड खड़े होते हुए देखा।
जय ने कहा कि, �हाँ! चोदेंगे पर एक शर्त पर....� तो सिमरन ने पूछा कि, �शर्त? कैसी शर्त?�
�शर्त ये है कि तुम्हें हमसे गाँड भी मरवानी होगी!� विजय ने कहा।
साक्षी बोली कि, �नहीं! मैं अपनी गाँड नहीं मरवाऊँगी, मैंने श्याम को भी अपनी गाँड आज तक मारने नहीं दी है।�
प्रीती ने एक सिगरेट सुलगाते हुए आगे बताया: कमरे में सन्नाटा छा गया तो मैं बोली, �तुम दोनों इन्हें अपना लौड़ा दिखाओ..... शायद इनका विचार बदल जाये!� दोनों ने अपने कपड़े उतार दिये और अपना लंड पकड़ कर हिलाने लगे। उनका मोटा ताज़ा लंड देखकर सिमरन और साक्षीके मुँह में पानी आ गया और दोनों सोचने लगी कि गाँड मरवायें कि नहीं।
सिमरन जय की तरफ बढ़ते हुए बोली कि �तुम हमारी गाँड मार सकते हो लेकिन हमारी चुदाई करने के बाद।�
साक्षी भी पीछे कहाँ रहने वाली थी, अपने आपको विजय की बाँहों में धकेल कर बोली कि, �गाँड मारनी है तो मार लेना, लेकिन चूत चोदने में देर मत करो।�
�प्लीज़! इस कमरे में नहीं! मुझे दूसरे कमरे में ले चलो..... यहाँ साक्षी है....� सिमरन ने कहा।
जय ने सिमरन को बेड पर ढकेलते हुए कहा कि, �तो इसमें क्या है? ज्यादा मज़ा ही आयेगा जब हम दोनों भाई तुम दोनों को एक ही बिस्तर पर चोदेंगे।�
मैं रूम के बाहर आ चुकी थी। थोड़ी देर में मुझे सिसकरियों की आवज़ सुनाई दे रही थी। मैंने कमरे में झाँक कर देखा कि सिमरन और साक्षी अगल बगल लेटी थीं। दोनों की टाँगें हवा में थी और जय विजय उनकी कस कर चुदाई कर रहे थे। थोड़ी देर में उनके कुल्हे भी उछल उछल कर दोनों का साथ दे रहे थे। मैं कुर्सी पर बैठ कर सिगरेट पीते उनकी चुदाई का तमाशा देख रही थी। दोनों अब जम कर चुदवा रही थीं ।
�ओहहहहह और जोर से चोदो ना�, सिमरन सिसकी।
�आँआँआआआआआआ चोदो मुझे.... और जोर से चोदो!!!!!, आहहहहह क्या तुम्हारा लंड है.... और तेजी से आआआओऊऊ!!!� साक्षी भी कामुक्ता भरे शब्द बोल रही थी।
�हाँआँआआआआ इसी तरह से!!!!! तुम्हारे लंड का जवाब नहीं!!!!� सिमरन ताल से ताल मिलाते हुए बोल रही थी। प्रीती ने आँखें नचाते हुए हमें बताया।
प्रीती ने कहानी जारी रखते हुए कहा, �साक्षी सिसक रही थी कि �विजय क्या कर रहे हो? और जोर से चोदो ना, आज मेरी चूत का भोंसड़ा बना दो..... आआआआहहहहह ओहहहहह जोर से हाँआआआआआ!!!�
�ओहहहहह जय!!! जोर से...... हाँआआआआ चोदते जाओ!!!! मेरा छूटाआआआआ!!!!� कहकर सिमरन बेड पर पसर गयी और अपनी साँसें संभालने लगी।
�ऊऊऊऊईईईईईई माँआँआआआआ.... हाँआआआआआ जोर से!!!!! चोदो और जोर से!!!!! मैं गयीईईईई!!!!� और साक्षी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और जोर-जोर से धक्के लगाते हुए जय और विजय ने भी अपना पानी छोड़ दिया। चारों एक दूसरे को बुरी तरह से चूम-चाट रहे थे। प्रीती विस्तार से उनकी कहानी सुना रही थी।
प्रीती आगे बोली: सिमरन जय को बुरी तरह चूमती हुई बोली कि, �थैंक यू जय! मज़ा आ गया..... एक बार और चोदो ना!�
विजय बिस्तर से उठने लगा तो साक्षी उसका हाथ पकड़ कर बोली कि, �तुम कहाँ चले? क्या तुम दोबारा नहीं चोदोगे?�
विजय ने कहा कि, �चोदूँगा लेकिन इस बार तुम्हें नहीं.... सिमरन को! जय तुम साक्षी को चोदो मैं सिमरन को देखता हूँ।�
दोनों ने अपनी जगह बदल ली और अपने खड़े लंड को दोनों की चूत में डाल कर चोदने लगे।
प्रीती ने अपनी सिगरेट को ऐशट्रे में बुझते हुए बात पूरी की। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
हम सब दरवाजे से कान लगाये सुन रहे थे, जहाँ से सिसकरियों की और कामुक बातों की आवाज़ें आ रही थीं। चुदाई इतनी जोर से चल रही थी कि बिस्तर भी चरमरा उठ था। थोड़ी देर बाद एक दम खामोशी छा गयी। लगता था कि उनका दूसरा दौर भी समाप्त हो चुका है। सिर्फ़ उनकी उखड़ी साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
�जय! अपना लंड खड़ा करो.... मुझे और चुदवाना है?� साक्षी बोली।
�एक काम करो! मेरे लंड को मुँह में लेकर जोर से चूसो..... जिससे ये जल्दी खड़ा हो जायेगा�, जय ने कहा।
�मैंने आज तक लंड नहीं चूसा है और ना ही चूसूँगी�, साक्षी ने झूठ कहा।
�लंड नहीं चूसोगी तो चुदाई भी नहीं होगी�, जय ने कहा, �देखो सिमरन कैसे लंड को चूस रही है और वो खड़ा भी हो गया है।�
�उसे चूसने दो! मैं लंड खड़ा होने का इंतज़ार कर लूँगी�, साक्षी ने कहा।
थोड़ी देर बाद साक्षी गिड़गिड़ाते हुए बोली, �जय प्लीज़! चोदो ना मुझसे नहीं रहा जाता।�
�चुदवाना है तो तुम्हें पता है क्या करना पड़ेगा?� जय ने कहा।
�तुम बड़े वो हो!� कहकर साक्षी, जय के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
�संभल कर! कहीं मेरे लंड पर दाँत ना गड़ा देना।�
साक्षी अब जोर-जोर से लंड को चूस कर खड़ा करने की कोशिश कर रही थी। �ममम... देखो! खड़ा हो रहा है ना? और जोर से चूसो!� जय ने अपना लंड उसके मुँह में और अंदर तक घुसा दिया।
�मममम.... देखो ना! खड़ा हो गया है..... अब चोद दो ना!� साक्षी बोली।
�ठीक है! अब घोड़ी बन जाओ, अब मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा�, जय ने कहा।
�नहीं! पहले चूत की चुदाई करो...... फिर गाँड मारना�, साक्षी बोली। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
�गाँड नहीं तो चूत भी नहीं!� जय ने कहा।
�तुम बड़े मतलबी हो�, साक्षी घोड़ी बनते हुए बोली।
�विजय! क्या तुम सिमरन की गाँड मारने को तैयार हो?�
�हाँ! पहले इसे लौड़ा तो चूस लेने दो�, विजय बोला।
�लौड़ा बाद में चूसाते रहना, अब हम साथ-साथ इनकी गाँड का उदघाटन करते हैं�, जय ने कहा।
�ठीक है सिमरन! अब तुम घोड़ी बन जाओ!� विजय ने कहा।
�तुम इसकी बातों पे ध्यान मत दो, मुझे लौड़े को चूसने दो�, सिमरन और जोर से लौड़े को चूसते हुए बोली।
�नहीं सिमरन पहले गाँड!� विजय बोला।
�ओहहहहह धीरे से करो ना!!!! मुझे दर्द रहा है!!!!! ऊऊऊऊऊ मर गयीईईईईई�, साक्षी दर्द से कराह उठी।
�थोड़ा दर्द सहन करो, मेरा लंड बस घुस ही रहा है, क्या तुम्हें महसूस हो रहा है?� जय ने अपना लंड घुसाते हुए कहा।
�ऊऊऊऊहहहहह हाँआआआआ...� साक्षी कराही।
�मेरा घुस गया, विजय तुम्हारा क्या हाल है?�
�मैं इसकी चूत में अपना लंड डाल कर उसे गीला कर रहा हूँ, कारण इसकी चूत के जैसी ही इसकी गाँड भी टाइट होगी ना!� विजय ने कहा।
�ज्यादा मत सोचो..... और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में पेल दो�, जय बोला!
�तुम उसकी बातों पे ध्यान मत दो, ओहहहहह मर गयीईईईई...... निकाल लो दर्द हो रहा....आआ है!!!!!� सिमरन दर्द में जोर चिल्लायी।
�विजय! और जोर से डालो!� जय जोर से बोला।
�हाय भगवान!!!! मैं मरीईईई, विजय, प्लीईईज़!!!! धीरे करो...... दर्द हो रहा है.....� सिमरन दर्द से छटपटा रही थी। उसकी आँखों में आँसू आ गये थे।
�अब मेरा भी पूरा घुस चुका है, जय!� विजय बोला।
�ठीक है..... फिर मेरे धक्के से धक्का मिलाओ और साथ में इनकी गाँड मारो!� जय ने कहा। इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!
दोनों ताल से ताल मिला कर उनकी गाँड मार रहे थे। कमरे से उनकी कराहने की आवाज़ आ रहा थी। माहोल एकदम गरम हो रहा था। हम सब को भी अपनी हालत पर काबू करना मुश्किल हो रहा था।
�आखिर में विजय ने सिमरन की गाँड मार ही दी!� राम बोला।
�हाँ और जय का लंड साक्षी की गाँड में घुसा हुआ है!!!� श्याम ने मंजू की चूचियों को भिंचते हुए कहा, �अब मैं तुम्हें चोदूँगा।�
�हाँ! अब हम उनकी बीवीयों को उनके सामने ही चोदेंगे�, राम ने अंजू को गोद में उठाते हुए कहा।
�आगो बढ़ो और मज़े करो�, प्रीती ने उन्हें बढ़ावा दिया। �और हाँ! तुम दोनों को एक दूसरे की बीवी को भी चोदना है�, प्रीती राम और श्याम से बोली।
�चलो हम लोग तमाशा देखते हैं�, मैं प्रीती से बोला।
�प्लीज़ राज! मेरे और अपने लिये एक-एक पैग बना दो ना!� प्रीती पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाते हुए बोली।
!!! क्रमशः !!!
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