मैं हसीना गज़ब की
लेखिका: शहनाज़ खान
भाग ३
हनीमून के दौरान हमने मसूरी में खूब मजे किये। जावेद तो बस हर वक्त अपना हथियार खड़ा ही रखता था। सलमान अक्सर मुझसे मिलने के लिये एकाँत की खोज में रहते थे जिससे मेरे साथ बदमाशी कर सकें लेकिन मैं अक्सर उनकी चालों को समझ के अपना पहले से ही बचाव कर लेती थी।
इतना प्रिकॉशन रखने के बाद भी कईं बार मुझे अकेले में पकड़ कर चूम लेते या मेरे कानों में फुसफुसा कर अगले प्रोग्राम के बारे में पूछते। उन्हें शायद मेरे बूब्स सबसे ज्यादा पसंद थे। अक्सर मुझे पीछे से पकड़ कर मेरे मम्मों को अपने हाथों से मसलते रहते थे जब तक कि मैं दर्द के मारे उनसे छिटक कर अलग ना हो जाऊँ।
जावेद तो इतनी शैतानी करता था कि पूछो मत। काफी सारे स्नैप्स भी लिये। अपने और मेरे कुछ अंतरंग स्नैप्स भी खिंचवाये। खींचने वाले सलमान जी ही रहते थे। उनके सामने ही जावेद मुझे चूमते हुए, बिस्तर पर लिटा कर, मेरे बूब्स को ब्लाऊज़ के ऊपर से दाँतों से काटते हुए और मुझे अपने सामने बिठा कर मेरे ब्लाऊज़ के अंदर हाथ डाल कर मेरे मम्मों को मसलते हुए कईं फोटो खींचे।
एक बार पता नहीं क्या मूड आया, मैं जब नहा रही थी तो बाथरूम में घुस आये। मैं तब सिर्फ एक छोटी सी पैंटी में थी। वो खुद भी एक अंडरवीयर पहने हुए थे।
�इस पोज़ में एक फोटो लेटे हैं।� उन्होंने मेरे नंगे बूब्स को मसलते हुए कहा।
�नहीं! मैं सलमान के सामने इस हालत में?.. बिल्कुल नहीं.. पागल हो रहे हो क्या?� मैंने उसे साफ़ मना कर दिया।
�अरे इसमें शरम की क्या बात है। सलमान भाई तो घर के ही आदमी हैं। किसी को बतायेंगे थोड़े ही। एक बार देख लेंगे तो क्या हो जायेगा। तुम्हें खा थोड़ी जायेंगे|� जावेद अपनी बात पर जिद करने लगा।
�जावेद इतना खुलापन अच्छी बात नहीं है। सलमान घर के हैं तो क्या हुआ.... हैं तो पराये मर्द ही ना.... और हमसे बड़े भी हैं। इस तरह तो हमारे बीच पर्दे का रिश्ता हुआ। पर्दा तो दूर, तुम तो मुझे उनके सामने नंगी होने को कह रहे हो। कोई सुनेगा तो क्या कहेगा,� मैंने वापस झिड़का।
�अरे मेरी जान! ये दकियानुसी खयाल कब से पालने लग गयी तुम। कुछ नहीं होगा। मैं अपने पास एक तुम्हारी अंतरंग फोटो रखना चाहता हूँ जिससे हमेशा तुम्हारे इस संगमरमर जिस्म की खुश्बू आती रहे।�
मैंने लाख कोशिशें की मगर उन्हें समझा नहीं पायी। आखिर में राज़ी हुई मगर इस शर्त पर कि मैं जिस्म पर पैंटी के अलावा ब्रा भी पहने रहुँगी उनके सामने। जावेद इस के लिये राज़ी हो गये। मैंने झट से होल्डर पर टंगे अपने टॉवल से अपने जिस्म को पोंछा और ब्रा लेकर पहन ली। जावेद ने बाथरूम का दरवाजा खोल कर सलमान को फोन किया और उन्हें अपनी प्लैनिंग बतायी। सलमान मेरे जिस्म को नंगा देखने की लालसा में लगभग दौड़ते हुए कमरे में पहुँचे।
जावेद ने उन्हें बाथरूम के अंदर आने को कहा। वो बाथरूम में आये तो जावेद मुझे पीछे से अपनी बाँहों में संभाले शॉवर के नीचे खड़े हो गये। सलमान की नज़र मेरे लगभग नंगे जिस्म पर घूम रही थी। उनके हाथ में पोलैरॉयड कैमरा था।
"म्म्म्म्म.... बहुत गर्मी है यहाँ अंदर। अरे साले साहब! सिर्फ फोटो ही क्यों, कहो तो कैमकॉर्डर ले आऊँ। ब्लू फ़िल्म ही खींच लो,� सलमान ने हंसते हुए कहा।
�नहीं जीजा जी! मूवी में खतरा रहता है। छोटा सा स्नैप कहीं भी छिपा कर रख लो,� जावेद ने हँसते हुए अपनी आँख दबायी।
�आप दोनों बहुत गंदे हो।� मैंने कसमसाते हुए कहा तो जावेद ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर मेरे होंठ सील दिये।
�शॉवर तो ओन करो.... तभी तो सही फोटो आयेगा,� सलमान ने कैमरा का शटर हटाते हुए कहा।
मेरे कुछ बोलने से पहले ही जावेद ने शॉवर ऑन कर दिया। गरम पानी की फुहार हम दोनों को भिगोती चली गयी। मैंने अपनी छातियों को देखा। ब्रा पानी में भीग कर बिल्कुल पारदर्शी हो गयी थी और जिस्म से चिपक गयी थी। मैं शरम से दोहरी हो गयी। मेरी नजरें सामने सलमान पर गयीं तो मैंने पाया कि उनकी नजरें मेरे नाभी के नीचे टाँगों के जोड़ पर चिपकी हुई हैं। मैं समझ गयी कि उस जगह का भी वही हाल हो रहा होगा। मैंने अपने एक हाथ से अपनी छातियों को ढका और दूसरी हथेली को अपनी टाँगों के जोड़ पर अपने पैंटी के ऊपर रख दिया।
�अरे अरे क्या कर रही हो...... पूरा स्नैप बिगड़ जायेगा। कितना प्यारा पोज़ दिया था जावेद ने.... सारा बिगाड़ कर रख दिया।� मैं चुपचाप खड़ी रही। अपने हाथों को वहाँ से हटाने की कोई कोशिश नहीं की। वो तेज कदमों से आये और जिस हाथ से मैं अपनी बड़ी-बड़ी छातियों को उनकी नजरों से छिपाने की कोशिश कर रही थी, उसे हटा कर ऊपर कर दिया। उसे जावेद की गर्दन के पीछे रख कर कहा, �तुम अपनी बांहें पीछे जावेद की गर्दन पर लपेट दो।� फिर दूसरे हाथ को मेरी जाँघों के जोड़ से हटा कर जावेद की गर्दन के पीछे पहले हाथ पर रख कर उस मुद्रा में खड़ा कर दिया। जावेद हमारा पोज़ देखने में बिज़ी था और सलमान ने उसकी नज़र बचा कर मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से मसल दिया। मैं कसमसा उठी तो उसने तुरंत हाथ वहाँ से हटा दिया।
फिर वो अपनी जगह जाकर लेंस सही करने लगा। मैं जावेद के आगे खड़ी थी और मेरी बांहें पीछे खड़े जावेद की गर्दन के इर्दगिर्द थी। जावेद के हाथ मेरे मम्मों के ठीक नीचे लिपटे हुए थे। उसने हाथों को थोड़ा सा उठाया तो मेरे बूब्स उनकी बाँहों के ऊपर टिक गये। नीचे की तरफ़ से उनके हाथों का दबाव होने की वजह से मेरे उभार और उघड़ कर सामने आ गये थे।
मेरे जिस्म पर कपड़ों का होना और ना होना बराबर था। सलमान ने एक स्नैप इस मुद्रा में खींची। तभी बाहर से अवाज आयी.... �क्या हो रहा है तुम तीनों के बीच?�
मैं आपा की आवाज सुनकर खुश हो गयी। मैं जावेद की बाँहों से फ़िसलकर निकल गयी।
"आपा.... । समीना आपा देखो ना। ये दोनों मुझे परेशान कर रहे हैं।� मैं शॉवर से बाहर आकर दरवाजे की तरफ़ बढ़ना चाहती थी लेकिन जावेद ने मेरी बाँह पकड़ कर अपनी ओर खींचा और मैं वापस उनके सीने से लग गयी। तब तक आपा अंदर आ चुकी थी। अंदर का माहोल देख कर उनके होंठों पर शरारती हंसी आ गयी।
�क्यों परेशान कर रहे हैं आप?� उन्होंने सलमान को झूठमूठ झिड़कते हुए कहा, �मेरे भाई की दुल्हन को क्यों परेशान कर रहे हो?�
"इसमें परेशानी की क्या बात है। जावेद इसके साथ एक इंटीमेट फोटो खींचना चाहता था, सो मैंने दोनों की एक फोटो खींच दी।� उन्होंने पोलैरॉयड की फोटो दिखाते हुए कहा।
�बड़ी सैक्सी लग रही हो।� आपा ने अपनी आँख मेरी तरफ़ देख कर दबायी।
�एक फोटो मेरा भी खींच दो ना इनके साथ।� सलमान ने कहा।
�हाँ हाँ आपा! हम तीनों की एक फोटो खींच दो। आप भी अपने कपड़े उतारकर यहीं शॉवर के नीचे आ जाओ,� जावेद ने कहा।
�आपा आप भी इनकी बातों में आ गयी,� मैंने विरोध करते हुए कहा। लेकिन वहाँ मेरा विरोध सुनने वाला था ही कौन।
सलमान ने फटा फट अपने सारे कपड़े उतार कर टॉवल स्टैंड पर रख दिये। अब उनके जिस्म पर सिर्फ एक छोटी सी फ्रेंची थी। फ्रेंची के बाहर से उनका पूरा उभार साफ़ साफ़ दिख रहा था। मेरी आँखें बस वहीं पर चिपक गयी। वो मेरे पास आ कर मेरे दूसरी तरफ़ खड़े होकर मेरे जिस्म से चिपक गये। अब मैं दोनों के बीच में खड़ी थी। मेरी एक बाँह जावेद के गले में और दूसरी बाँह सलमान के गले पर लिपटी हुई थी। दोनों मेरे कंधे पर हाथ रखे हुए थे। सलमान ने अपने हाथ को मेरे कंधे पर रख कर सामने को झुला दी जिससे मेरा एक स्तन उनके हाथों में ठोकर मारने लगा। जैसे ही आपा ने शटर दबाया सलमान जी ने मेरे स्तन को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और मसल दिया। मैं जब तक संभलती तब तक तो हमारा ये पोज़ कैमरे में कैद हो चुका था।
इस फोटो को सलमान ने संभाल कर अपने पर्स में रख लिया। सलमान तो हम दोनों के चुदाई के भी स्नैप्स लेना चाहता था लेकिन मैं एकदम से अड़ गयी। मैंने इस बार उसकी बिल्कुल नहीं चलने दी।
इसी तरह मस्ती करते हुए कब चार दिन गुजर गये पता ही नहीं चला।
हनीमून पर सलमान को मेरे संग और चुदाई का मौका नहीं मिला। बेचारे अपना मन मसोस कर रह गये। हनीमून मना कर वापस लौटने के कुछ ही दिनों बाद मैं जावेद के साथ मथुरा चली आयी। जावेद उस कंपनी के मथुरा विंग को संभालता था। मेरे ससुर जी दिल्ली के विंग को संभालते थे और मेरे जेठ जी उस कंपनी के रायबरेली के विंग के सी-ई-ओ थे।
दिल्ली में घर वापस आने के बाद सब तरह-तरह के सवाल पूछते थे। मुझे तरह-तरह से तंग करने के बहाने ढूँढते। मैं उन सबकी नोक झोंक से शरमा जाती थी।
मैंने महसूस किया कि जावेद अपनी भाभी नसरीन से कुछ अधिक ही घुले मिले थे। दोनों एक दूसरे से काफी मजाक करते और एक दूसरे को छूने की या मसलने की कोशिश करते। मेरा शक यकीन में तब बदल गया जब मैंने उन दोनों को अकेले में एक कमरे में एक दूसरे के आगोश में देखा। मैंने जब रात को जावेद से बात की तो पहले तो वो इंकार करता रहा लेकिन बार-बार जोर देने पर उसने स्वीकार किया कि उसके और उसकी भाभी में जिस्मानी ताल्लुकात भी हैं। दोनों अक्सर मौका ढूँढ कर सैक्स का लुत्फ़ उठाते हैं। उसकी इस कबुलियत ने जैसे मेरे दिल पर रखा पत्थर हटा दिया। अब मुझे ये ग्लानि नहीं रही कि मैं छिप-छिप कर अपने शौहर को धोखा दे रही हूँ। अब मुझे यकीन हो गया कि जावेद को किसी दिन मेरे जिस्मानी तल्लुकातों के बारे में पता भी लग गया तो कुछ नहीं बोलेंगे। मैंने थोड़ा बहुत दिखावे का रूठने का नाटक किया तो जावेद ने मुझे पुचकारते हुए वो मंज़ूरी भी दे दी। उन्होंने कहा कि अगर मैं भी किसी से जिस्मानी ताल्लुकात रखुँगी तो वो कुछ नहीं बोलेंगे।
अब मैंने लोगों की नजरों का ज्यादा खयाल रखना शुरू किया। मैं देखना चाहती थी कि कौन-कौन मुझे चाहत भरी नजरों से देखते हैं। मैंने पाया कि घर के तीनों मर्द मुझे कामुक निगाहों से देखते हैं। नन्दोई और ससुर जी के अलावा मेरे जेठ जी भी अक्सर मुझे निहारते रहते थे। मैंने उनकी इच्छाओं को हवा देना शुरू किया। मैं अपने कपड़ों और अपने पहनावे में काफी खुला पन रखती थी। आंदरूनी कपड़ों को मैंने पहनना छोड़ दिया। मैं सारे मर्दों को अपने जिस्म के भरपूर जलवे करवाती। जब मेरे कपड़ों के अंदर से झाँकते मेरे नंगे जिस्म को देख कर उनके कपड़ों के अंदर से लंड का उभार दिखने लगता तो ये देख कर मैं भी गीली होने लगती और मेरे निप्पल खड़े हो जाते। लेकिन मैं इन रिश्तों का लिहाज करके अपनी तरफ़ से चुदाई की हालत तक उन्हें आने नहीं देती।
एक चीज़ जो दिल्ली आने के बाद पता नहीं कहाँ और कैसे गायब हो गयी पता ही नहीं चला। वो थी हम दोनों की शॉवर के नीचे खींची हुई फोटो। मैंने मथुरा रवाना होने से पहले जावेद से पूछा मगर वो भी पूरे घर में कहीं भी नहीं ढूँढ पाया। मुझे जावेद पर बहुत गुस्सा आ रहा था। पता नहीं उस नंगी तसवीर को कहाँ रख दिया था। अगर गलती से भी किसी और के हाथ पड़ जाये तो?
खैर हम वहाँ से मथुरा आ गये। वहाँ हमारा एक शानदार मकान था। मकान के सामने गार्डन और उसमें लगे तरह-तरह के फूल एक दिलकश तसवीर पेश करते थे। दो नौकर हर वक्त घर के काम काज में लगे रहते थे और एक माली भी था। तीनों गार्डन के दूसरी तरफ़ बने क्वार्टर्स में रहते थे। शाम होते ही काम निबटा कर उन्हें जाने को कह देती क्योंकि जावेद के आने से पहले मैं उनके लिये बन संवर कर तैयार रहती थी।
मेरे वहाँ पहुँचने के बाद जावेद के काफी सब-ऑर्डीनेट्स मिलने के लिये आये। उसके कुछ दोस्त भी थे। जावेद ने मुझे खास-खास कॉंट्रेक्टरों से भी मिलवाया। वो मुझे हमेशा एक दम बनठन के रहने के लिये कहते थे। मुझे सैक्सी और एक्सपोज़िंग कपड़ों मे रहने के लिये कहते थे। वहाँ पार्टियों और गेट- टूगेदर में सब औरतें एक दम सैक्सी कपड़ों में आती थी। जावेद वहाँ दो क्लबों का मेंबर था, जो सिर्फ बड़े लोगों के लिये थे। बड़े लोगों की पार्टियाँ देर रात तक चलती थीं और पार्टनर्स बदल-बदल कर डाँस करना, शराब पीना, उलटे सीधे मजाक करना और एक दूसरे के जिस्म को छूना आम बात थी।
शुरू-शुरू में तो मुझे बहुत शरम आती थी। लेकिन धीरे-धीरे मैं इस माहौल में ढल गयी। कुछ तो मैं पहले से ही चंचल थी और पहले गैर मर्द, मेरे नन्दोई ने मेरे शरम के पर्दे को तार-तार कर दिया था। अब मुझे किसी भी गैर मर्द की बाँहों में जाने में ज्यादा झिझक महसूस नहीं होती थी। जावेद भी तो यही चाहता था। जावेद चाहता था कि मुझे सब एक सिडक्टिव औरत के रूप में जानें। वो कहते थे कि जो औरत जितनी फ़्रैंक और ओपन मायंडिड होती है, उसका हसबैंड उतनी ही तरक्की करता है। इन सबका हसबैंड के रेप्यूटेशन पर और बिज़नेस पर भी फ़र्क पड़ता है।
हर हफ्ते एक-आध इस तरह की गैदरिंग हो ही जाती थी। मैं इनमें शमिल होती लेकिन किसी गैर मर्द से जिस्मानी ताल्लुकात से झिझकती थी। शराब पीने, नाच गाने तक और ऊपरी चूमा चाटी तक भी सब सही था, लेकिन जब बात बिस्तर तक आ जाती तो मैं चुपचाप अपने को उससे दूर कर लेती थी।
वहाँ आने के कुछ दिनों बाद जेठ और जेठानी वहाँ हमारे पास आये । जावेद भी समय निकाल कर घर में ही घुसा रहता था। बहुत मज़ा आ रहा था। खूब हंसी मजाक चलता। देर रात तक नाच गाने और पीने-पिलाने का प्रोग्राम चलता रहता था। फिरोज़ भाई जान और नसरीन भाभी काफी खुश मिजाज़ के थे। उनके निकाह को चार साल हो गये थे मगर अभी तक कोई औलाद नहीं हुई थी। ये एक छोटी कमी जरूर थी उनकी ज़िंदगी में मगर बाहर से देखने में क्या मज़ाल कि कभी कोई एक शिकन भी ढूँढ लें चेहरे पर। एक दिन दोपहर को खाने के साथ मैंने कुछ ज्यादा ही शराब पी ली। मैं सोने के लिये बेडरूम में आ गयी। बाकी तीनों ड्राइंग रूम में गपशप कर रहे थे। शाम तक यही सब चलना था इसलिये मैंने अपने कमरे में आकर फटाफट अपने कपड़े उतारे और नशे में एक हल्का सा फ्रंट ओपन गाऊन डाल कर बिस्तर पर गिर पड़ी। अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था और मुझे अपने सैंडल उतारने तक का होश नहीं था। पता नहीं नशे में चूर मैं कब तक सोती रही। अचानक कमरे में रोशनी होने से नींद खुली। मैंने अलसाते हुए आँखें खोल कर देखा तो बिस्तर पर मेरे पास जेठ जी बैठे मेरे खुले बालों पर मोहब्बत से हाथ फ़िरा रहे थे। मैं हड़बड़ा कर उठने लगी तो उन्होंने उठने नहीं दिया।
�लेटी रहो,� उन्होंने माथे पर अपनी हथेली रखते हुए कहा, �अब कैसा लग रहा है शहनाज़?�
�अब काफी अच्छा लग रहा है।� तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरा गाऊन सामने से कमर तक खुला हुआ है और मेरी गोरी-चिकनी चूत जेठ जी को मुँह चिढ़ा रही है। कमर पर लगे बेल्ट की वजह से पूरी नंगी होने से रह गयी थी लेकिन ऊपर का हिस्सा भी अलग होकर एक निप्पल को बाहर दिखा रहा था। मैं शरम से एक दम पानी-पानी हो गयी। मैंने झट अपने गाऊन को सही किया और उठने लगी। जेठजी ने झट अपनी बाँहों का सहारा दिया। मैं उनकी बाँहों का सहारा ले कर उठ कर बैठी लेकिन सिर जोर का चकराया और मैंने सिर को अपने दोनों हाथों से थाम लिया। जेठ जी ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया। मैंने अपने चेहरे को उनके घने बालों से भरे मजबूत सीने में घुसा कर आँखें बंद कर लीं। मुझे आदमियों का घने बालों से भरा सीना बहुत सैक्सी लगता है। जावेद के सीने पर बाल बहुत कम हैं लेकिन फिरोज़ भाई जान का सीना घने बालों से भरा हुआ है। कुछ देर तक मैं यूँ ही उनके सीने में अपने चेहरे को छिपाये उनके जिस्म से निकलने वाली खुश्बू अपने जिस्म में समाती रही। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में संभाल कर मुझे बिस्तर के सिरहाने से टिका कर बिठाया। मेरा गाऊन वापस अस्त-व्यस्त हो रहा था। जाँघों तक टांगें नंगी हो गयी थी। मैंने अपने सैंडल खोलने के लिये हाथ आगे बढ़ाया तो वो बोले पड़े, �इन्हें रहने दो शहनाज़ .... अच्छे लगते हैं तुम्हारे पैर इन स्ट्रैपी हाई-हील सैंडलों में।� मैं मुस्कुरा कर फिर से पीछे टिक कर बैठ गयी।
मुझे एक चीज़ पर खटका हुआ कि मेरी जेठानी नसरीन और जावेद नहीं दिख रहे थे। मैंने सोचा कि दोनों शायद हमेशा कि तरह किसी चुहलबाजी में लगे होंगे या वो भी मेरी तरह नशे में चूर होकर कहीं सो रहे होंगे। फिरोज़ भाई जान ने मुझे बिठा कर सिरहाने के पास से ट्रे उठा कर मुझे एक कप कॉफी दी।
�ये... ये आपने बनायी है?� मैं चौंक गयी क्योंकि मैंने कभी जेठ जी को किचन में घुसते नहीं देखा था।
�हाँ! क्यों अच्छी नहीं बनी है?� फिरोज़ भाई जान ने मुस्कुराते हुए मुझसे पूछा।
�नहीं नहीं! बहुत अच्छी बनी है,� मैंने जल्दी से एक घूँट भर कर कहा, �लेकिन भाभी जान और वो कहाँ हैं?�
"वो दोनों कोई फ़िल्म देखने गये हैं... छः से नौ.... नसरीन जिद कर रही थी तो जावेद उसे ले गया है।�
�लेकिन आप? आप नहीं गये?� मैंने हैरानी से पूछा।
�तुम नशे में चूर थीं। अगर मैं भी चला जाता तो तुम्हारी देख भाल कौन करता?� उन्होंने वापस मुस्कुराते हुए कहा। फिर बात बदलने के लिये मुझसे आगे बोले, �मैं वैसे भी तुमसे कुछ बात कहने के लिये तनहाई खोज रहा था।�
�क्यों? ऐसी क्या बात है?�
�तुम बुरा तो नहीं मानोगी ना?�
�नहीं! आप बोलिये तो सही,� मैंने कहा।
�मैंने तुमसे पूछे बिना दिल्ली में तुम्हारे कमरे से एक चीज़ उठा ली थी,� उन्होंने हिचकते हुए कहा।
�क्या?�
�ये तुम दोनों की फोटो,� कहकर उन्होंने हम दोनों की हनीमून पर सलमान द्वारा खींची वो फोटो सामने की जिसमें मैं लगभग नंगी हालत में जावेद के सीने से अपनी पीठ लगाये खड़ी थी। इसी फोटो को मैं अपने ससुराल में चारों तरफ़ खोज रही थी। लेकिन मिली ही नहीं थी। मिलती भी तो कैसे, वो स्नैप तो जेठ जी अपने सीने से लगाये घूम रहे थे। मेरे होंठ सूखने लगे। मैं फटीफटी आँखों से एक टक उनकी आँखों में झाँकती रही। मुझे उनकी गहरी आँखों में अपने लिये मोहब्बत का बेपनाह सागर उफ़नते हुए दिखायी दिया।
�आ... आप ने ये फोटो रख ली थी?�
�हाँ इस फोटो में तुम बहुत प्यारी लग रही थीं... किसी जलपरी की तरह। मैं इसे हमेशा साथ रखता हूँ।�
�क्यों.... क्यों...? मैं आपकी बीवी नहीं, ना ही माशुका हूँ। मैं आपके छोटे भाई की ब्याहता हूँ। आपका मेरे बारे में ऐसा सोचना भी मुनासिब नहीं है।� मैंने उनके शब्दों का विरोध किया।
�सुंदर चीज़ को सुंदर कहना कोई पाप नहीं है, � फिरोज़ भाई जान ने कहा, �अब मैं अगर तुमसे नहीं बोलता तो तुमको पता चलता? मुझे तुम अच्छी लगती हो तो इसमें मेरा क्या कसूर है?�
�दो... वो स्नैप मुझे दे दो! किसी ने उसको आपके पास देख लिया तो बातें बनेंगी,� मैंने कहा।
�नहीं वो अब मेरी अमानत है। मैं उसे किसी भी कीमत पर अपने से अलग नहीं करुँगा।�
मैं उनका हाथ थाम कर बिस्तर से उतरी। जैसे ही उनका सहारा छोड़ कर बाथरूम तक जाने के लिये दो कदम आगे बढ़ी तो अचानक सर बड़ी जोर से घूमा और मैं हाई-हील सैंडलों में लड़खड़ा कर गिरने लगी। इससे पहले कि मैं जमीन पर भरभरा कर गिर पड़ती, फिरोज़ भाई जान लपक कर आये और मुझे अपनी बाँहों में थाम लिया। मुझे अपने जिस्म का अब कोई ध्यान नहीं रहा। मेरा जिस्म लगभग नंगा हो गया था। उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में फूल की तरह उठाया और बाथरूम तक ले गये। मैंने गिरने से बचने के लिये अपनी बाँहों का हार उनकी गर्दन पर पहना दिया। दोनों किसी नौजवान जोड़े की तरह लग रहे थे। उन्होंने मुझे बाथरूम के भीतर ले जाकर उतारा।
�मैं बाहर ही खड़ा हूँ। तुम फ़्रेश हो जाओ तो मुझे बुला लेना। संभालकर उठना-बैठना,� फिरोज़ भाई जान मुझे हिदायतें देते हुए बाथरूम के बाहर निकल गये और बाथरूम के दरवाजे को बंद कर दिया। मैंने पेशाब करके लड़खड़ाते हुए अपने कपड़ों को सही किया जिससे वो फिर खुल कर मेरे जिस्म को बेपर्दा ना कर दें। मैं अब खुद को ही कोस रही थी कि किस लिये मैंने अपने अंदरूनी कपड़े उतारे। मैं जैसे ही बाहर निकली तो वो बहर दरवाजे पर खड़े मिल गये। वो मुझे दरवाजे पर देख कर लपकते हुए आगे बढ़े और मुझे अपनी बाँहों में भर कर वापस बिस्तर पर ले आये।
मुझे सिरहाने पर टिका कर मेरे कपड़ों को अपने हाथों से सही कर दिया। मेरा चेहरा तो शरम से लाल हो रहा था।
�अपने इस हुस्न को जरा संभाल कर रखिये वरना कोई मर ही जायेगा� आहें भर भर कर,� उन्होंने मुस्कुरा कर कहा। फिर साईड टेबल से एक एस्प्रीन निकाल कर मुझे दिया। फिर वापस मेरे कप में कुछ कॉफी भरकर मुझे दी और बोले, �लो इससे तुम्हारा हेंगओवर ठीक हो जायेगा।� मैंने कॉफी के साथ दवाई ले ली।
�लेकिन एक बात अब भी मुझे खटक रही है। वो दोनों आप को साथ क्यों नहीं ले गये�। आप कुछ छिपा रहे हैं... बताइये ना�।�
�कुछ नहीं शहनाज़ मैं तुम्हारे कारण रुक गया। कसम तुम्हारी।�
लेकिन मेरे बहुत जिद करने पर वो धीरे धीरे खुलने लगे।
वो भी असल में कुछ तनहाई चाहते थे।
�मतलब?� मैंने पूछा।
�नहीं तुम बुरा मान जाओगी। मैं तुम्हारा दिल दुखाना नहीं चाहता।�
�मुझे कुछ नहीं होगा! आप कहो तो.... क्या आप कहना चाहते हैं कि जावेद और नसरीन भाभी जान के बीच.....� मैंने जानबूझ कर अपने वाक्य को अधुरा ही रहने दिया।
वो भोंचक्के से कुछ देर तक मेरी आँखों में झाँकते रहे।
�मुझे सब पता है.... मुझे पहले ही शक हो गया था। जावेद को जोर देकर पूछा तो उसने कबूल कर लिया।�
�तुम..... तुमने कुछ कहा नहीं? तुम नयी बीवी हो उसकी..... तुमने उसका विरोध नहीं किया?� फिरोज़ ने पूछा। �विरोध तो आप भी कर सकते थे। आप को सब पता था लेकिन आप ने कभी दोनों को कुछ कहा नहीं। आप तो मर्द हैं और उनसे बड़े भी,� मैंने उलटा उनसे ही सवाल किया।
�चाह कर भी कभी नहीं किया। मैं दोनों को बेहद चाहता हूँ और.....�
�और क्या?�
�और..... नसरीन मुझे कमज़ोर समझती है।� कहते हुए उन्होंने अपना चेहरा नीचे झुका लिया। मैं उस प्यारे इंसान की परेशानी पर अपने को रोक नहीं पायी और मैंने उनके चेहरे को अपनी हथेली में भरकर उठाया। मैंने देखा कि उनकी आँखों के कोनों पर दो आँसू चमक रहे हैं। मैं ये देख कर तड़प उठी। मैंने अपनी अँगुलियों से उनको पोंछ कर उनके चेहरे को अपने सीने पर खींच लिया। वो किसी बच्चे की तरह मेरी छातियों से अपना चेहरा सटाये हुए थे।
�आपने कभी किसी डॉक्टर से जाँच क्यों नहीं करवायी?� मैंने उनके बालों में अपनी अँगुलियाँ फ़िराते हुए पूछा।
�दिखाया था... कईं बार चेक करवाया...�
�फिर?�
�डॉक्टर ने कहा....� दो पल को वो रुके। ऐसा लगा मानो सोच रहे हों कि मुझे बतायें या नहीं। फिर धीरे से बोले, �मुझ में कोई कमी नहीं है।�
�क्या?� मैं जोर से बोली, �फिर भी आप सारा कसूर अपने ऊपर लेकर चुप बैठे हैं। आपने भाभी जान को बताया क्यों नहीं? ये तो बुजदिली है!�
�अब तुम इसे मेरी बुजदिली समझो चाहे जो भी। लेकिन मैं उसकी उम्मीद को तोड़ना नहीं चाहता। भले ही वो सारी ज़िंदगी मुझे एक नामर्द समझती रहे।�
�मुझे आपसे पूरी हमदर्दी है लेकिन मैं आपको वो दूँगी जो नसरीन भाभी जान ने नहीं दिया।�
उन्होंने चौंक कर मेरी तरफ़ देखा। उनकी गहरी आँखों में उत्सुक्ता थी मेरी बात का आशय सुनने की। मैंने आगे कहा, �मैं आपको अपनी कोख से एक बच्चा दूँगी।�
�क्या???? कैसे??� वो हड़बड़ा उठे।
�अब इतने बुद्धू भी आप हो नहीं कि समझाना पड़े कैसे!� मैं उनके सीने से लग गयी, �अगर वो दोनों आपकी चिंता किये बिना जिस्मानी ताल्लुकात रख सकते हैं तो आपको किसने ऐसा करने से रोका है?� मैंने अपनी आँखें बंद करके फुसफुसाते हुए कहा जो उनके अलावा किसी और को सुनायी नहीं दे सकता था।
!!! क्रमशः !!!
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