प्रमोशन की मजबूरी
लेखक:- दीनू
मेरी उम्र छब्बीस साल है और मैं सरकारी दफ़्तर में ऑडिटिंग ऑफिसर हूँ और हमारे दफ़्तर की शाखायें पूरे देश में हैं और अक्सर मुझे काम के सिलसिले में दूसरे शहरों की शाखाओं में दो-तीन महीनों के लिये जाना पड़ता है। मैं शादीशुदा नहीं हूँ इसलिये मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं होती है।
एक बार मुझे काम के सिलसिले में तीन महीने के लिये लखनऊ शाखा जाना पड़ा। वहाँ के दफ़्तर में मेरी सहकरमी �रूबिना� थी जो कि सीनियर क्लर्क थी। उसकी उम्र बत्तीस-तेत्तीस साल की थी और उसकी शादी को आठ साल हुए थे। उसके शौहर बहरीन में दो साल से सर्विस कर रहे थे। रूबिना बेहद खूबसूरत थी और उसका फिगर ३६-३०-३८ था। उसका भरा-भरा सा जिस्म बेहद सुडौल था और मैं तो उसके चूतड़ों पर बहुत फिदा था। वो जब ऊँची हील की सेंडल पहन कर चलती थी तो गाँड मटका-मटका कर चलती थी। रुबिना काफी बनठन कर दफ्तर आती थी। एक महीने में ही काम के दरमियाँ काफी घुलमिल गयी थी। वो मुझे �सर� कह कर बुलाती थी क्योंकि वो मुझसे जुनियर थी। मैं भी उम्र में उससे छः-सात साल छोटा होने की वजह से उसे �रूबीना जी� कह कर बुलाता था ।
एक बार बातों-बातों में उसने मुझसे रिक्वेस्ट की कि �सर! आप चाहें तो मेरा प्रमोशन हो सकता है... इसलिये आप हेड ऑफिस में मेरी सफारिश करेंगे तो मेरा प्रमोशन हो जायेगा और मैं इसके लिये कुछ दे भी सकती हूँ!� तब मैंने कहा, �आप क्या दे सकती हो?� तो वो कुटिल मुस्कान भरते हुए अदा के साथ बोली, �चाय पानी!� मैं भी हंस कर रह गया। उसके बाद से तो मैंने महसूस किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी और उसकी नज़रों में काम वासना की ललक नज़र आती थी। पहले मैं समझ नहीं सका कि वो ऐसे क्यों देखती है। फिर मुझे लगा कि या तो वो प्रमोशन के लिये ऐसा कर रही है या फिर दो साल से प्यासी होगी। रूबिना को देख केर अक्सर मेरा लण्ड भी पैंट में तंबू की तरह खड़ा हो जाता था।
एक दिन उसने मुझे डिनर के लिये अपने घर इन्वाइट किया। उस दिन शुक्रवार था तो ऑफिस से मैं उनके साथ ही उसके घर के लिये निकला। रास्ते में उसने व्हिस्की की बोतल खरीद ली और होटल में डिनर का ऑर्डर दे दिया। घर पहुँच कर उसने मुझे ड्राइंग रूम में बिठाया और खुद फ्रेश होने अंदर चली गयी। जब वो ऊँची हील की सैंडल खटखटाती हुई व्हिस्की की बोतल, सोडा, बर्फ और ग्लास वगैरह ले कर वापस आयी तो मैंने देखा कि रूबिना ने अपना मेक-अप दुरुस्त किया हुआ था और बदल कर दूसरा सलवार-सूट पहन लिया था। लेखक का नाम दीनू है!
उसने दो ग्लास में पैग बनाये तो मैंने चौंकते हुए पूछा, �रूबिना जी! आप भी ये शौक फरमाती हैं क्या?� वो अदा से हंसते हुए बोली, �क्यों औरतें शराब का मज़ा नहीं ले सकती क्या...?� और फिर एक ग्लास नुझे पकड़ाते हुए बोली, �अकेलापन दूर करने के लिये कभी-कभी पी लेती हूँ!� फिर हम दोनों व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगे। जब हम दो-दो पैग पी चुके तो मैंने महसुस किया कि रूबिना कुछ ज्यादा ही खिलखिला कर हंस रही थी और बार-बार मुझे अजीब निगाहों से देखती थी और बातों-बातों में कभी-कभी आँख मार देती या अपने होंठों को अपने दाँतों से दबा लेती थी। मैं समझ गया कि वो आज गरम हो चुकी है और उसे नशा चढ़ने लगा है। उसकी हरकतों से मेरा लण्ड भी सख्त हो गया था।
वो मेरे सामने सोफे पर बैठी थी और जब वो अपने लिये एक और पैग बनाने उठी तो मैंने रूबिना का हाथ पकड़ कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया। उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया तो मैंने उठकर रूबिना को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और रूबिना के होंठों को चूमने और चूसने लगा। रूबिना एकदम पागल सी हो रही थी जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा हो। मैं रूबिना की ज़ुबान भी चूसे जा रहा था और मेरे हाथ रूबिना की कमर पर चल रहे थे। फिर मैं एक हाथ से रूबिना चूची दबने लगा तो रूबिना बेताब होने लगी। मैंने रूबिना के कान में कहा, �बहुत ज्यादा भूखी हो आप तो रुबिना जी!� रूबिना सिर्फ़, �सर....� ही कह सकी।
मेरा हाथ अब धीरे-धीरे रूबिना की सलवार के नाड़े पर आ गया और मैंने रूबिना को चूमते हुए एक झटके में ही सलवार के नाड़े को खोल दिया। रूबिना की लाल सलवार सरक कर नीचे उसके पैरों के पास ज़मीन पर गिर गयी। वो नीचे बिल्कुल नंगी थी। उसकी फूली हुई गोरी चूत बिल्कुल चिकनी थी और उस पर झाँटों का एक रेशा भी नहीं था। उसकी चूत बेहद गीली हो गयी थी। रूबिना ने मेरी पैंट में से लण्ड बाहर निकाल लिया और सहलाते हुए बोली, �हायऽऽऽऽ अल्लाहऽऽऽ काफी मोटा और लंबा है सर आपका ये!�
फिर मैं रूबिना की टाइट कमीज़ ऊपर की तरफ़ करने लगा तो रूबिना और जोश में आ गयी और रूबिना ने सहुलियत के लिये अपने हाथ ऊपर की तरफ़ कर दिये। मैंने उसकी कमीज़ उतार दी। कमीज़ उतारने के बाद पीछे से रूबिना की ब्रा का हुक खोल दिया और एक झटके से रूबिना की ब्रा को उतार कर फेंक दिया। अब वो बिल्कुल नंगी थी और ऊँची हील के सैंडल में बहुत ही सैक्सी लग रही थी।
फिर मैंने उसको दीवार की तरफ़ मुँह करके खड़ा किया और पीछे से उसकी चूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और मसलने लगा। जब मैंने उसके निप्पलों को मसलना शुरू किया तो रूबिना सिसकरियाँ भरने लगी। मैंने उसको दीवार के सहारे और दबा दिया। रूबिना की गाँड पर मेरा लण्ड सटा हुआ था और रूबिना के दोनों बूब्स मेरी मुठ्ठी में थे। मैं उंगली और अंगूठे से रूबिना के निप्प्लों को बेदर्दी से मसलने लगा। रूबिना तो जोश में एक दम जैसे पागल सी हो रही थी। दस मिनट बाद मैं रूबिना को पकड़ कर टेबल के पास ले गया और उसे टेबल पर बैठने को कहा। रूबिना टेबल पर बैठ गयी। अब मेरा मोटा और लंबा तना हुआ लण्ड रूबिना के सामने था। उसने तुरंत ही मेरा लण्ड हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी। मैं बोला, �रानी, मुँह में लेकर चूसो इसको!� रूबिना लण्ड को पकड़ कर अपनी जीभ से चाटने लगी। थोड़ी ही देर बाद रूबिना ने लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लण्ड के सुपाड़े को चूसने लगी। रूबिना भी जोश में अपने आपको काबू में नहीं रख पा रही थी और बोली, �जानू, प्लीज़ जल्दी कुछ करो ना! नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी!� फिर मैंने रूबिना की गाँड को टेबल के किनारे पर किया और उसकी सुडौल टाँगों के बीच आ कर खड़ा हो गया।
रूबिना टेबल पर आधी लेटी हुई थी। मैंने रूबिना की टाँगों को हाथों से पकड़ कर फैला दिया और अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत के बीच में रख दिया। फिर एक झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। रूबिना दर्द से चिल्ला उठी, �ऊऊईईई! अल्लाह!! मर जाऊँगी मैं! आहहह रुक जाओ जानू! प्लीज़ऽऽ!� रूबिना कराहने लगी तो मैं रुक गया और अपने लण्ड को रूबिना की चूत से बाहर निकल लिया।
फिर मैंने एक तकिया लिया और रूबिना की गाँड उठा कर उसकी गाँड के नीचे रख दिया। अब रूबिना की चूत थोड़ा और ऊपर हो गयी। मैं रूबिना के ऊपर झुक गया और रूबिना के होंठों को अपने मुँह में ले लिया। फिर मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा एक बार फिर उसकी चूत के मुहाने पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा। रूबिना की चींख निकलते-निकलते रह गयी क्योंकि मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा रखा था। रूबिना दर्द से कराह उठी तो मैं रुक गया। रूबिना के शौहर का लण्ड छोटा था और उसकी चूत का छेद छोटे लण्ड के लिये ही मुनासिब था।
मेरा आधा लण्ड घुस चुका था। दो-तीन मिनट तक मैं उसके ऊपर बिना हिलेडुले लेटा रहा। फिर मैंने धीरे-धीरे लण्ड को अंदर बाहर करना शुरू किया। रूबिना अभी भी दर्द से कराह रही थी। अचानक मैंने एक जोरदार धक्का दिया तो मेरा लण्ड सरसराता हुआ रूबिना की चूत में और ज्यादा अंदर तक घुस गया। रूबिना चिल्लाते हुए रुकने के लिये कहने लगी लेकिन मैं नहीं रुका और रूबिना को तेजी से चोदने लगा। बिजली की तरह मेरा लण्ड रूबिना की चूत में अंदर बाहर हो रहा था। जैसे ही रूबिना की चींख कुछ कम होती मैं एक धक्का ज़ोर से लगा देता था और रूबिना फिर चींख पड़ती थी। कुछ देर तक मैं इसी तरह चोदता रहा। धीरे-धीरे मेरा पूरा लण्ड रूबिना की चूत की गहराई तक जगह बना चुका था और तेजी के साथ अंदर-बाहर हो रहा था। रूबिना दर्द से तड़प रही थी। आठ-दस मिनट के बाद रूबिना को भी मज़ा आने लगा। उसने अपने हाथ मेरी कमर पर कैंची की तरह कस दिये और अपनी गाँड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। मैं बोला, �शाबाश जानेमन! अब तो तुम्हें भी चुदवाने में मज़ा आ रहा है!� मैं उसको लगभग पंद्रह-बीस मिनट तक चोदता रहा। इस दौरान रूबिना तीन-चार बार झड़ चुकी थी लेकिन मेरा लण्ड था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अब मैं रूबिना के ऊपर से हट गया और उसको घोड़ी की तरह बन जाने को कहा। रूबिना उठ कर ज़मीन पर आ गयी और घोड़ी की तरह हो गयी। मैंने उसकी कमर पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से रूबिना की चूत में डाल दिया। रूबिना फिर दर्द से कराहने लगी पर कुछ ही देर में रूबिना का दर्द कम हो गया और रूबिना को मज़ा आने लगा। रूबिना अब अपनी गाँड को पीछे ढकेल-ढकेल कर ताल से ताल मिला रही थी। दस-पंद्रह मिनट के बाद मैं रूबिना की चूत में ही झड़ गया और अपना लण्ड रूबिना की चूत से बाहर निकाल कर रूबिना के मुँह में दे दिया। रूबिना ने मेरे लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ किया और हम दोनों साथ साथ ही ज़मीन पर ही लेट गये।
फिर हम दोनों ने नंगे ही खाना खाया और खाना खाने के बाद हम फिर शराब पी रहे थे तो मैंने रूबिना से कहा, �रूबिना, और मज़ा दोगी?� रूबिना नशे में थी। उसने मुस्कुराते हुए अपना सिर हाँ में हिला दिया और बोली, �मज़ा दूँगी भी और लूटुँगी भी!� फिर रूबिना ने मेरा लण्ड, जोकि फिर खड़ा हो गया था, अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी बीच की मोटी उंगली रूबिना की चूत में घुसा दी। �उफ़्फ़....!� रूबिना तड़प उठी। मेरी उंगली रूबिना की चूत में अंदर बाहर होने लगी। रूबिना को भी मज़ा आने लगा और रूबिना मेरा लण्ड चूसते हुए आहें भरने लगी। लेखक का नाम दीनू है!
फिर मैंने रूबिना के मुँह में से अपना लण्ड निकाला और उसे लेटने को कहा। मैं भी उठा और रूबिना की टाँगों के बीच में आ गया। उसके पैर उठा कर अपने कंधों पर रख लिये। मेरा तना हुआ लण्ड रूबिना की चूत से केवल एक इंच की ही दूरी पर था। फिर मैंने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा, �चोदूँ, मेरी रानी?� रूबिना ने अपना सर हाँ में हिला दिया और अपनी गाँड आगे ढकेलते हुए अपनी चूत मेरे लण्ड से सटा दी और बोली, �धीरे-धीरे चोदना प्लीज़! बहुत दर्द होता है... बहुत ही बड़ा है तुम्हारा!� फिर मैंने उसकी चूची को पकड़ा और निप्पलों को मसलते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत में घुसाने लगा। अभी तक मैंने हल्का सा धक्का मारा था लेकिन आधा लण्ड रूबिना की चूत में घुस चुका था। रूबिना की चूचियों को दबाते हुए और दोनों निप्पलों को खींचते हुए मैं बोला, �एक बार में पुरा अंदर लोगी?� रूबिना तो एक दम जोश और नशे में थी और उसने दर्द की परवाह ना करते हुए कहा, �हाँ जानू!� फिर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। इससे पहले कि रूबिना कुछ समझ पाती कि एक ही धक्के में मैंने अपना पूरा लण्ड वापस रूबिना की चूत में गहराई तक घुसा दिया। रूबिना अपनी चींख बड़ी मुश्किल से रोक पायी।
कुछ देर बाद मैंने रूबिना को तेजी से चोदना शुरू कर दिया। रूबिना के सैंडल मेरे हर धक्के के साथ मेरी गर्दन के पास थपथपाते थे जिससे मुझे और जोश आने लगा और मैं रूबिना को और तेजी के साथ चोदने लगा। मेरे हाथ अभी भी रूबिना की चूचियों और निप्पलों को मसल रहे थे और रूबिना को दर्द हो रहा था लेकिन उसे फिर भी मज़ा आ रहा था क्योंकि आज दो साल बाद कोई उसकी चूत की प्यास को बुझा रहा था वो भी इतने मोटे तगड़े लण्ड से। थोड़ी देर बाद मैंने रूबिना के पैरों को अपने कंधों से उठाया और रूबिना की टाँगें पीछे मोड़कर उसके कंधों की तरफ़ झुका दीं। अब रूबिना एक दम दोहरी हो गयी और रूबिना की चूत और ऊपर उठ आयी। फिर आगे होकर मैंने उसके पैरों के पास उसकी टाँगों को पकड़ कर बहुत ही तेजी के साथ रूबिना की चुदाई करनी शुरू कर दी। मुझे मेरे लण्ड के सुपाड़े पर उसकी बच्चेदानी का मुँह महसूस होने लगा था। रूबिना और भी जोश में आ गयी और अपनी आँखें बंद कर लीं। रूबिना के मुँह से केवल मस्ती भरी आवाज़ें निकल रही थी, �हाय मेरे जानू! ऐसे ही� और कस-कस कर जोर से चोदो... और जोर से चोदो... फाड़ दो मेरी चूत को!�
मेरे चेहरे का पसीना रूबिना की चूचियों पर टपक रहा था लेकिन लण्ड रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। रूबिना अब तक दो-तीन बार झड़ चुकी थी। कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने फिर उसकी चूत में पानी छोड़ दिया था। मैं ऐसे ही थोड़ी देर रूबिना के ऊपर पड़ा रहा और रूबिना मुझे चूमती रही। फिर मैं रूबिना के ऊपर से हट कर उसके बगल में लेट गया।
थोड़ी देर बाद रूबिना ने मेरे मुर्झाये हुए लण्ड को अपने हाथों में लिया और अपने होंठों को दाँत से काटते हुए बोली, �अगर बुरा ना मानो तो मैं तुम्हारे लण्ड को फिर से चूसना चाहती हूँ, प्लीज़!!!� मैं बोला, �इसमें इजाज़त की क्या बात है... ये लण्ड तो अब सिर्फ़ तुम्हारा ही है!� रूबिना मेरे पैरों के बीच में आकर बैठ गयी और दोनों हाथों से लण्ड को पकड़ कर लण्ड के सुपाड़े पर धीरे से किस किया। रूबिना ने मेरी तरफ़ देख कर आँख मारी और वापस अपने होंठ मेरे लण्ड पर रख दिये। लण्ड को पकड़ कर चूसते हुए रूबिना अपने मुँह को ऊपर-नीचे करने लगी और मेरा लण्ड बिल्कुल तन गया। फिर रूबिना उठ कर मेरे ऊपर आ गयी और अपने हाथ से लण्ड को पोज़िशन में करके अपनी चूत के बीच में सटा दिया और ऊपर से दबाव डालने लगी पर सिर्फ़ सुपाड़ा ही रूबिना की चूत में घुस पाया। उसने तरसती निगाहों से मेरी तरफ़ देखा। मैं उसका इशारा समझ गया। मैंने उसकी कमर को पकड़ कर ज़ोर से नीचे किया तो एक झटके से आधे से ज्यादा लण्ड रूबिना की चूत में घुस गया। अब रूबिना धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगी और मैं रूबिना की कमर को पकड़े हुए था। रूबिना ने अपनी आँखें बंद कर लीं और चुदाई का मज़ा लेने लगी। उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी और वो इतनी तेज़ हो गयी कि पता ही नहीं लगा कब दोनों झड़ गये। फिर हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लिपट कर लेट गये।
थोड़ी देर बाद रूबिना उठ कर बाथरूम में गयी। मैंने देखा कि चलते हुए नशे में रूबिना के कदम बीच-बीच में बहक रहे थे। उसने अभी भी ऊँची हील वाले सेंडल पहने हुए थे और नशे में डगमगाते हुए रूबिना के गुदाज़ चूतड़ बहुत ही कामुक ढंग से हिल रहे थे। ये देखकर मेरा लण्ड फिर तनने लगा था। जब वो बाथरूम से बाहर अयी तो मैं भी बाथरूम में जा कर थोड़ा प्रेश हुआ। बाथरूम से निकला तो रूबिना पैग बना रही थी। मैं अपना ग्लास लेकर सोफे पर बैठ गया और वो मेरी टाँगों के बीच में नीचे बैठ गयी। अचानक उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपने व्हिस्की के ग्लास में डुबा दिया और फिर बाहर निकाल कर अपने मुँह में लिया। रूबिना इसी तरह मेरा लण्ड व्हिस्की में डुबा-डुबा कर चूसने लगी। लेखक का नाम दीनू है!
मेरा लण्ड फिर से पत्थर की तरह सख्त हो कर तन कर गया था। मैं बोला, �रूबिना, अब तुम फिर से घोड़ी बन जाओ!� रूबिना ने जल्दी से अपना गिलास खाली किया और ज़मीन पर घोड़ी बन गयी। तब मैंने कहा, �रूबिना, अब मैं तुम्हारी गाँड मारुँगा!� रूबिना थोड़ा डरते हुए बोली, �लेकिन तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा है!� मैं बोला, �तुम घबराओ मत... मैं आराम से करुँगा!� रूबिना अब काफी नशे में थी और मस्ती में चहकते हुए बोली, �ओके, तुम सिर्फ मेरे बॉस ही नहीं बल्कि जानेमन हो, मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है! चाहे जो करो... आज तुम्हारी रूबिना तुम्हारे लण्ड की ग़ुलाम है! मारो मेरी गाँड को, फाड़ दो इसे भी... मैं कितना भी चिल्लाऊँ... तुम रुकना मत.... अपनी रूबिना की गाँड बेदर्दी से पेलना!�
मैं उठ कर उसके पीछे आ गया और रूबिना की गाँड के छेद पर ढेर सारा थूक लगा दिया। मेरा लण्ड तो पहले से ही रूबिना के थूक से सना हुआ था। फिर मैंने रूबिना की गाँड के छेद पर अपने लण्ड की टोपी रखकर रूबिना की कमर को पकड़ लिया और धीरे-धीरे अपने लण्ड को रूबिना की गाँड में घुसाने लगा। रूबिना ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। अभी तक लण्ड का सिर्फ़ सुपाड़ा ही घुस पाया था। फिर मैंने रूबिना की गाँड के छेद को हाथों से फैलाया और फिर से रूबिना की कमर पकड़ कर एक धक्का दिया। रूबिना दर्द से अपना सर कुत्तिया की तरह इधर-उधर हिलाने लगी। मैंने थोड़ा ज़ोर और लगाया तो रूबिना और भी ज़ोर-ज़ोर से चींखने-चिल्लाने लगी। मैं बोला, �रूबिना मेरी जान! अगर तुम ऐसे चिल्लाओगी तो कैसे काम बनेगा? अभी तो ये तीन इंच ही अंदर घुसा है!� रूबिना दर्द से चिल्लाते हुए ही बोली, �मेरे चिल्लाने कि तुम परवाह मत करो! घुसा दो अपने तमाम लण्ड को मेरी गाँड में... फाड़ डालो इसे!�
फिर मैंने रूबिना के मुँह पर एक हाथ रख दिया और उसकी कमर को पकड़ कर धक्के पर धक्का लगाते हुए अपने लण्ड को रूबिना के गाँड में घुसाने लगा। लण्ड रूबिना की गाँड में और गहराई तक घुसने लगा तो रूबिना दर्द के मारे छटपटाने लगी। मैं बोला, �शाबाश रूबिना! मेरा लण्ड अब तुम्हारी गाँड में करीब छः इंच तक घुस चुका है!� दर्द से रूबिना कि हालत अभी भी खराब हो रही थी। मैं पूरी ताकत से रूबिना की गाँड में लंड ठूँसने में लगा था और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे था। रूबिना की गाँड चौड़ी होती गयी और दर्द भी बढ़ता गया। गाँड में दर्द की वजह से रूबिना सिसकियाँ लेती रही। रूबिना के आँसू भी निकल आये पर रूबिना ने हिम्मत नहीं हारी। रूबिना की गाँड में अपना लण्ड पूरा घुसाने के बाद मैं रुक गया।
थोड़ी देर में दर्द धीरे-धीरे कम हो गया तो मैंने फिर धीरे-धीरे पेलना शुरू कर दिया। अब मैं अपना आधा लण्ड बाहर निकालता और वापस एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी गाँड में अंदर तक घुसेड़ देता। हालांकि दर्द अभी खतम नहीं हुआ था पर फिर भी रूबिना अब अपनी गाँड मेरे हर धक्के के साथ आगे-पीछे हिलाने लगी थी। अब मैं पुरी स्पिड से रूबीना को चोदने लगा। अब मैं अपना पुरा लण्ड बाहर निकालता और वापस तेजी के साथ अंदर घुसा देता। रूबिना को तो यकीन ही नहीं था कि इतना लंबा और मोटा लण्ड वो कभी अपनी गाँड में ले पायेगी। लेखक का नाम दीनू है!
मैं बहुत मज़े ले-ले कर रूबिना की गाँड मारने में लगा हुआ था। रूबिना भी और ज्यादा मस्त हो गयी थी और अपनी गाँड ढकेलते हुए बोली, �पेलो मुझे! मेरी गाँड फाड़ दो! अपनी रूबिना की गाँड चौड़ी कर दो! बेदर्दी से पेलो मुझे... मेरे जनू! मेरे बॉस!� मैं रूबिना की गाँड पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारता हुआ अपना लण्ड उसकी गाँड में गहराई तक घुसेड़-घुसेड़ कर पेलता रहा। वो भी कभी चींखती तो कभी सिसकती और कभी मुजे ज़ोर-ज़ोर से गाँड पेलने को कहती और फिर चींखने लगती। थोड़ी देर में मैं रूबिना की गाँड में ही झड़ गया और हम दोनों दोने ज़मीन पर ही लेट गये। दोनों की साँसें फूली हुई थीं। बीस पच्चीस मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं रूबिना को अपनी बांहों में सहरा दे कर बेडरूम में ले गया और हम दोनों बिस्तर पे लेट कर सो गये।
अगले दिन सुबह रूबिना बहुत खुश थी और मैंने भी एक हफ़्ते के अंदर उसका प्रमोशन करा दिया। रूबिना तो मेरे लण्ड की दीवानी बन गयी थी और मैं जब तक लखनऊ में रहा हर रात रूबिना के घर पर उसकी चुदाई करने में गुज़ारी।
!!! समाप्त !!!
मुख्य पृष्ठ (हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह)
Keyword:
Seduction, Adultery, Big-cock, Masturbation (F), Hindi Story, Hindi Font Sexy
Story, High Heels, Highheels, Sandal, Salwar Kameez, Saree, India, Indian, Chut,
Choot, Chutmarani, Gaand, Hindi Chudai Kahani, Kahaniya, Maa-Beti Ki Chudai,
Muslim Sluts, व्याभिचार (गैर-मर्द), विशाल लण्ड, हस्तमैथुन (स्त्री), कुत्ते का
लण्ड, कुत्ते से चुदाई, शराब, नशे में चुदाई, ऊँची हील के सैंडल, ऊँची ऐड़ी, सेंडल,
सैंडिल, सेंडिल, साड़ी, सलवार कमीज़, हिंदी, भारत, इंडिया, हिंदी कहानियाँ, हिन्दी,
चूतमरानी, मुसलमान Tarakki Ka Safar, Tarakki ka Safar
Seduction, Adultery, Big-cock, Masturbation (F), Hindi Story, Hindi Font Sexy
Story, High Heels, Highheels, Sandal, Salwar Kameez, Saree, India, Indian, Chut,
Choot, Chutmarani, Gaand, Hindi Chudai Kahani, Kahaniya, Maa-Beti Ki Chudai,
Muslim Sluts, व्याभिचार (गैर-मर्द), विशाल लण्ड, हस्तमैथुन (स्त्री), कुत्ते का
लण्ड, कुत्ते से चुदाई, शराब, नशे में चुदाई, ऊँची हील के सैंडल, ऊँची ऐड़ी, सेंडल,
सैंडिल, सेंडिल, साड़ी, सलवार कमीज़, हिंदी, भारत, इंडिया, हिंदी कहानियाँ, हिन्दी,
चूतमरानी, मुसलमान Tarakki Ka Safar, Tarakki ka Safar
Seduction, Adultery, Big-cock, Masturbation (F), Hindi Story, Hindi Font Sexy Story, High Heels, Highheels, Sandal, Salwar Kameez, Saree, India, Indian, Chut, Choot, Chutmarani, Gaand, Hindi Chudai Kahani, Kahaniya, Maa-Beti Ki Chudai, Muslim Sluts, व्याभिचार (गैर-मर्द), विशाल लण्ड, हस्तमैथुन (स्त्री), कुत्ते का लण्ड, कुत्ते से चुदाई, शराब, नशे में चुदाई, ऊँची हील के सैंडल, ऊँची ऐड़ी, सेंडल, सैंडिल, सेंडिल, साड़ी, सलवार कमीज़, हिंदी, भारत, इंडिया, हिंदी कहानियाँ, हिन्दी, चूतमरानी, मुसलमान Tarakki Ka Safar, Tarakki ka Safar
Seduction, Adultery, Big-cock, Masturbation (F), Hindi Story, Hindi Font Sexy Story, High Heels, Highheels, Sandal, Salwar Kameez, Saree, India, Indian, Chut, Choot, Chutmarani, Gaand, Hindi Chudai Kahani, Kahaniya, Maa-Beti Ki Chudai, Muslim Sluts, व्याभिचार (गैर-मर्द), विशाल लण्ड, हस्तमैथुन (स्त्री), कुत्ते का लण्ड, कुत्ते से चुदाई, शराब, नशे में चुदाई, ऊँची हील के सैंडल, ऊँची ऐड़ी, सेंडल, सैंडिल, सेंडिल, साड़ी, सलवार कमीज़, हिंदी, भारत, इंडिया, हिंदी कहानियाँ, हिन्दी, चूतमरानी, मुसलमान Tarakki Ka Safar, Tarakki ka Safar