कम्प्यूटर लैब में तीन लौड़ों से चुदी
लेखिका : वंदना (काल्पनिक नाम)
मैं एक तेतीस
साल की ज़िन्दगी को जी लेने वाली सोच की मालिक हूँ। मुझे ज़िंदगी अपने ढंग से मस्ती
के साथ जीना अच्छा लगता है। मैं एक पढ़ी-लिखी, सैक्सी फिगर वाली बेहद खूबसुरत मॉडर्न
महिला हूँ। तेतीस साल की ज़िंदगी में अब तक मैं बहुत से लौड़े ले चुकी हूँ।
सोलह साल की थी
जब मैंने अपनी सील तुड़वाई थी और फिर उसके बाद कई लड़के कॉलेज लाइफ तक आये और मेरे
साथ मजे करके गए। मैं खुद भी कभी किसी लड़के के साथ सीरियस नहीं रही थी क्योंकि मुझे
तो हमेशा सिर्फ चुदाई से मतलब था।
अब मैं एक सरकारी
स्कूल में कंप्यूटर की वोकेशनल स्कीम के तहत कंप्यूटर लेक्चरर हूँ, वो भी सिर्फ लड़कों
के स्कूल में! वैसे तो वहाँ मेरे अपने कुछ ख़ास सहयोगियों के साथ स्कूल से बाहर अवैध
संबंध हैं। मैं अपने पति से अलग रहती हूँ, मेरी दो बेटियाँ हैं जो अपने पापा के साथ
दादा-दादी के घर में ही रहती हैं। मेरे पति मर्चेंट नेवी में इंजिनीयर हैं और साल
में कुछ ही हफ्तों की छुट्टी पर घर आ पाते थे। मेरा कैरेक्टर तो पहले से ही ढीला था
और अकेलेपन ने मुझे और बिगाड़ दिया था। मेरे पति देव ने मुझे समझाने के बजाये छोड़ ही
दिया वैसे भी उनके समझाने से मैं सुधरने वाली तो थी नहीं।
लेखिका : वंदना
(काल्पनिक नाम)
पति से अलग होने
के बाद तो मुझे पूरी छूट मिल गयी जिससे मैं और अय्याश हो गयी। अब मैं आत्मनिर्भर
हूँ, अकेली रहती हूँ, चालीस हज़ार प्रति माह मेरी तनख्वाह है, हर सुख-सुविधा घर में
मौजूद है। पति से अलग होने के बाद मैं हद से ज्यादा बिगड़ चुकी हूँ और अपने नये-नये
आशिकों को रात-रात भर अपने घर रखती हूँ। सिगरेट-शराब तो रोज़ाना खुल कर पीती ही हूँ
और कुछ खास मौकों पर कोकेन, एलेस्डी, एक्स्टसी जैसी रेक्रीऐशनल नशीली ड्रग्स का
सेवन भी कर लेती हूँ। अपने बिगड़े चाल-चलन की वजह से स्कूल और मेरे आस-पड़ोस में काफी
बदनाम हूँ लेकिन मैंने कभी अपनी बदनाम रेप्यूटेशन की परवाह नहीं की। मेरा मानना है
कि बेवफ़ा ज़िंदगी का कोई भरोसा नहीं है... इसलिये मैं जवानी के सारे मज़े लूट लेना
चाहती हुँ।
आज मैं आपके
सामने अपनी एक सबसे अच्छी चुदाई के बारे लिखने लगी हूँ ज़रा गौर फरमाना !
सजने संवरने का
भी मुझे बहुत शौक है। मुझे ऐसे कपड़े पहनना पसंद हैं जिनमें मेरे जिस्म की नुमाईश हो
सके। जैसे कि चोलीनुमा छोटे-छोटे बैकलेस ब्लाउज़ के साथ नाभि-कटि-दर्शना झीनी साड़ी
या गहरे-खुले गले के सूट और वो भी छातियों से कसे हुए, पीठ पर जिप, कमर से कसे,
पटियाला या फिर चूड़ीदार सलवार, ऊँची ऊँची हील की सैंडल इत्यादि! दरअसल मुझे अपने
जिस्म की नुमाईश करके मर्दों को तड़पाने में बहुत मज़ा आता है।लेखिका
: वंदना (काल्पनिक नाम)
जून-जुलाई की
बात है, सब जानते हैं पंजाब में कितनी गर्मी पड़ती है इन दिनों! स्कूल बंद थे लेकिन
आजकल हमारे महकमे में एजुसेट एजूकेशन ऑनलाइन क्लास लगती है, उसके तहत पांच दिन का
सेमीनार लगा। बाकी सारा स्कूल बंद था। साइंस ग्रुप में सिर्फ पांच लड़के हैं। गर्मी
बहुत थी पहले ही जालीदार मुलायम सा सूट डाला था बाकी पसीने से मेरा सूट बदन से चिपक
जाता!
पांच में से तीन
लड़के सिरे के हरामी थे, उनकी नज़रें तो मेरी चूचियों पर टिकी रहती, बस मेरे जिस्म को
देख-देख अन्दर ही आहें भरते होंगे!
पहला दिन ऐसे ही
निकला, दूसरे दिन मैंने और पतला नेट का सूट पहना और खुल कर अपनी सुडौल चूचियों की
नुमाईश लगाई। मुझे शुरु से ही इस तरीके से लड़कों को अपना जिस्म दिखाना अच्छा लगता
था। इससे मुझे बहुत गर्मी मिलती थी। वो आज मुझे आँखें फाड़े देखते ही रह गए। गर्मी
की वजह से मैं आज कंप्यूटर लैब में बैठ गई, ए.सी लैब थी। मैंने उनको छुट्टी कर दी
और खुद लैब में चली गई और ए.सी फुल स्पीड पे चला दिया। दरवाज़ा थोड़ा बंद करा और
सिगरेट सुलगा कर मैंने पॉर्न कहानियों की साईट खोल ली और साथ में ही एक और अडल्ट
वेबसाइट! मुझे शुरू से ही अश्लील किताबें और गंदी ब्लू फिल्में देकने का शौक था।
पर्स में से
लाइम फ्लेवर जिन का पव्वा निकाल कर उसकी चुसकियाँ लेते हुए मैं वहाँ कहानियाँ पड़ने
लगी। पढ़ते-पढ़ते मेरी चूत गीली हो गई और मम्मे तन गए। देखते और पढ़ते हए मेरा हाथ मेरी
सलवार में घुस गया। मैंने अपना नाड़ा थोड़ा ढीला कर लिया और पैंटी नीचे खिसका कर अपनी
चूत में ऊँगली करने लगी। जिन की नीट चुस्कियों से जल्दी ही मुझ पर सुरूर छाने लगा
था। दरवाज़े को कोई कुण्डी नहीं लगाई थी क्यूंकि स्कूल में सिर्फ मैं ही थी।
चौंकीदार शाम को छः बजे आता था इसलिये स्कूल में आज अपना ही राज़ था।
पर्स में से
पॉर्न सी.डी निकाल कर लगाई और देखने लगी। अब मैं आराम से मेज पर आधी लेट गई और
सिगरेट के कश और जिन की चुसकियों का मज़ा लेते हुए अपना कमीज़ उठाकर मम्मे दबाने लगी।
मुझे क्या मालूम था कि मैं तो सिर्फ कंप्यूटर पर मूवी देख रही हूँ, तो कोई और मेरी
लाइव मूवी देख रहा है। तभी किसी का हाथ मेरे कंधे पर आन टिका। मैं घबरा गई, मेरा
रंग उड़ने लगा।
वो तीनों हरामी
लड़के मेरे पीछे खड़े थे।
�तुम यहाँ क्या
कर रहे हो?�
�मैडम! आप इस
वक्त यहाँ क्या कर रही हो?�
�शट- अप एंड
गेट लोस्ट फ्रॉम माय लैब!�
वो बोले-
�मैडम, लैब सरकारी है
आपकी नहीं ! हमें तो कुछ प्रिंट्स निकालने थे। क्या पता था कि कुछ और दिख जाएगा!�
उनसे बातें करते
हुए अपनी सलवार और कुर्ती वैसे ही रहने दी। तभी विवेक नाम का लड़का घूम कर मेरे सामने
आया और मेरी जांघों पर हाथ फेरता हुआ बोला-
�क्या जांघें हैं यार!�
उसका स्पर्श पाते
ही मैं बहकने लगी, नकली डांट लगाने लगी।लेखिका
: वंदना (काल्पनिक नाम)
राहुल ने अपना
हाथ मेरी कुर्ती में डालते हुए मेरे चूचूक मसल दिए और पंकज ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी
जिप खोल कर अपनी पैंट में अन्दर घुसा दिया। मैं तो लंड लेने के लिये हमेशा ही तैयार
रहती हूँ और इस वक्त तो वैसे भी मैं चुदाई के मूड में थी और जिन का अच्छा खासा नशा
मुझ पे सवार था। उसका लिंग हाथ में पकड़ कर ही मैंने अब बेशर्म होने का फैसला कर लिया।
एक दम से मेरे में बदलाव देख वो थोड़ा चौंके।
�मादरचोद कमीनों,
हरामियो! कुण्डी तो लगा लो!�
�भोंसड़ी वालो!
एक जना जाकर स्कूल के मेन-गेट को लॉक करके आओ!�
मैंने उन्हें ऑर्डर दिया और जिन की बोतल मुँह से लगा कर गटागट पूरा पव्वा पी गयी।
तीनों ने मुझे
छोड़ा और मेरे बताये सारे काम करने निकल गए। मैंने अब मूवी की आवाज़ भी तेज़ कर दी और
सलवार उतार कर पास में पड़ी कुर्सी पर फेंक दी, फिर कमीज़ भी उतार कर फेंक दी। पर्स
में से कोल्ड क्रीम निकाली, उसको चूत और गांड में लगाया।
जब वो आये तो मैं
सिर्फ ब्रा-पैंटी और हाई पेंसिल हील के सैंडल पहने मेज़ पर लेटी सिगरेट के कश लगा रही
थी। तीनों ने मेरे इशारे पर अपनी अपनी पैंट उतार डाली और शर्ट भी। तीनों को ऊँगली
के इशारे से पास बुलाया और ब्रा खोलते हुए बारी-बारी तीनों के कच्छे उतार दिए।
हरामियों के क्या
लौड़े थे- सोचा नहीं था कि बारहवीं क्लास के लड़कों के इतने बड़े लौड़े होंगे। मैं एक
एक कर तीनों के लौड़े चूसने लगी। राहुल और पंकज के लौड़े एक साथ मुँह में डलवाए और
विवेक मेरी पैंटी उतार कर मेरी शेव्ड चूत चाटने लगा। उसके चाटने से मेरा दाना और
फड़कने लगा, चूचूक तन गये! मैं अब सिर्फ हाई पेंसिल हील के सैंडल पहने बिल्कुल
मादरजात नंगी थी।
पंकज ने झट से
मुँह में चूचूक लेकर चूसना शुरु किया। राहुल ने भी दूसरा चूचूक मुँह में लेकर काट
सा दिया-
�हरामी ! ज़रा प्यार से चूस! बहुत कोमल हैं!�
वो बोला-
�साली कुतिया कहीं
की! मैडम, साली बहन की लौड़ी! रांड कहीं की! नखरा करती है बेवड़ी साली!�
उसने लौड़ा मेरे
हलक में उतार दिया, मैं खांसने लगी। वो बोले-
�चल कुत्तिया! तेरा
रेप करते हैं!�
विवेक ने मेरी
गांड पर थप्पड़ जड़ दिए, मेरे बाल नौच कर मेरे हलक में लौड़ा उतार दिया।
�पागल हो गए
हो कुत्तों?�
�हाँ!�
बुरी तरह से मेरी
छाती पर दांतों के निशान गाड़ डाले। विवेक ने मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया, पंकज
और राहुल मेरा मुँह चोदने लगे, साथ में मेरे चूचूक रगड़ने लगे।लेखिका
: वंदना (काल्पनिक नाम)
�आहऽऽऽ उहऽऽ!�
उसका मोटा लौड़ा
मेरी चूत चीर रहा था-
�ले साली कुतिया!
बहुत सुना था तेरे बारे में तेरे मोहल्ले से! वाकई में तू बहुत प्यासी और चुदासी
औरत है!�
�हाँ कमीनो!
हूँ मैं रांड! क्या करूँ? मेरी चुत और गाँड में दहकती आग बुझने का नाम ही नहीं लेती!
हाय और मार बेहनचोद मेरी चूत! विवेक जोर लगा दे सारा!�
उसने साथ में
अपनी दो उंगलियों को मेरी गांड में घुसा दिया और कोल्ड क्रीम लगाते लगाते चार
उंगलियों को घुसा दिया। फिर चूत से लौड़ा निकाला और एक पल में गांड में घुसेड़ दिया-
चीरता हुआ लौड़ा घुसने लगा- मेरी गाँड फटने लगी!
उसने वैसे ही
मुझे उठाया और नीचे कारपेट पर मुझे ले गया। खुद सीधा लेट गया, मैं उसकी तरफ पिछवाड़ा
करके उसके लौड़े पर बैठती गई और लौड़ा गाँड में अंदर जाता रहा। वो वॉलीबाल की तरह उछल
रहा था कि पंकज ने मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए। राहुल ने मुँह में डाल रखा था।लेखिका
: वंदना (काल्पनिक नाम)
�हाय कमीनी अब
बोल के दिखा- बहुत बकती है साली क्लास में!�
सही में मैं
कुत्तिया बन चुकी थी, मैं खांसने लगती तब वो मेरे मुँह से लंड निकालता। लेकिन पंकज
के होंठों की मेरी चूत पर हो रही करामात मेरी सारी तकलीफ ख़तम कर देती। विवेक गांड
मारता जा रहा था कि पंकज खड़ा हुआ और आगे से आकर विवेक की जांघों पर बैठ गया और अपना
आठ इंच का लौड़ा चूत पे रगड़ने लगा।
�हाय हाय डाल दे
तू भी साले!�
मस्ती और नशे में मेरी अवाज़ बहक रही थी।
उसने अपना मोटा
लौड़ा चूत में घुसाना शुरु किया तब विवेक रुक गया। लेकिन जैसे ही उसका पूरा घुस गया,
दोनों हवाई जहाज की स्पीड पर मेरी ठुकाई करने लगे। मुँह से सिसकियाँ फ़ूट रही थी-
�हाय! चोदो
मुझे!�
राहुल ने फिर से
मुँह में डाल दिया और हो गया शुरु!
पंकज तेज़ होता
गया, विवेक उससे भी ज्यादा तेज़ हो गया तो पंकज रुक गया। विवेक ने पंकज को हटा दिया
और एकदम से मुझे पलट कर नीचे किया और तेजी से मेरी छिनाल गाँड चोदने लगा।
�आह उह�
करता करता उसने अपना सारा माल मेरी गांड में छोड़ना शुरु किया- सारी खुजली ख़त्म!
अब पंकज सीधा
लेट गया और मैंने उसके लौड़े पर बैठ कर उसे अपनी गांड में गचक लिया, राहुल ने पंकज
की तरह अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। विवेक का लौड़ा मेरी गीली गांड से भर कर
निकला था। मेरी गाँड के गंदे माल और उसके खुद के रस से लथपथ लौड़ा मैंने मुँह में ले
कर सारा चाट लिया, एक बून्द भी बेकार नहीं जाने दी मैंने!लेखिका
: वंदना (काल्पनिक नाम)
विवेक पास में
लेट हांफने लगा। पंकज ने भी वैसे ही रफ़्तार खींची, राहुल को उतार दिया और घोड़ी बना
के गांड में लौड़ा डाला और फिर चूत में डालते हुए रफ़्तार पकड़ी। राहुल ने लौड़ा मेरे
मुँह में ठूंस दिया। पंकज ने दोनों हाथों से नीचे से भैंस के थनों की तरह लटक रहे
कसे हुए मम्मों को पकड़ कर झटके दिए। एक भैंस की तरह मानो मेरा दूध चो रहा हो!
ज़बरदस्त तरीके से पकड़ रखे थे उसने और पीछे दन दना दन झटके मारते हुए उसने एक दम से
मेरे घुटनों को खिसकाते मुझे कारपेट पर गिरा दिया लेकिन लौड़ा बाहर नहीं आने दिया।
मेरे मम्मे कारपेट से रगड़ खाने लगे। थोड़ी चुभन होने लगी। लौड़ा भी कस गया लेकिन वो
नहीं रुका।
दोनों एक साथ झड़े।
उसने सारा माल मेरी बच्चेदानी के मुँह के पास निकाल दिया। न जाने कितने वक्त के बाद
मैंने किसी को बिना कंडोम चूत में छूटने का मौका दिया। एक साथ दोनों का कम जब मिला-
मैंने आंखें मूँद ली और उसके साथ चिपक गई! फिर अलग हुए तो उसने मुँह में डाल कर लौड़ा
साफ़ करवाया। राहुल उठा और मुझे फिर से पटक कर मेरे ऊपर सवार हो गया। सबमें से राहुल
का लौड़ा सबसे लम्बा मोटा और फाड़ू था। उसने बेहतरीन तरीके से मेरी चूत मारी। झड़ने का
नाम नहीं ले रहा था। इतने में विवेक का फिर खड़ा हो चुका था।
लेकिन राहुल क्या
चोदू था- उसने मुझे फिर से झाड़ दिया और गांड में ठेल कर सारा लावा वहीं छोड़ दिया।
विवेक का तन चुका
था, पंकज तैयार था।
पूरा दिन स्कूल
की लैब में ए.सी के सामने तीनों ने न जाने कितनी बार मुझे रौंदा!
घड़ी देखी तो शाम
के साढ़े पांच बज चुके थे और छः बजे चौकीदार स्कूल में आता था। उसको तो सब मालूम था
मेरे बारे में, क्योंकि कईं बार मेरे साथी टीचरों ने उसके कमरे में मुझे चोदा था।
मैं अपनी सिगरेट शराब भी कईं बार उससे ही मंगवाती थी। लेकिन वो तीनों लौंडे ये नहीं
जानते थे और नहीं चाहते थे कि चौकीदार उन्हें देखे!लेखिका
: वंदना (काल्पनिक नाम)
जब हम निकले तो
मैं काफी नशे में थी और मेरे कदम हाई हील सैंडलों में थोड़े लड़खड़ा रहे थे। मेरी जाँघें
उन तिनों के वीर्य से चिपचिपा रही थी। वो तीनों लौंडे फटाफट निकल कर भाग गये लेकिन
चौंकीदार ने उन्हें निकलते हुए पीछे से देख लिया था पर मुझे कोई परवाह नहीं थी।
मैंने अपनी स्कूटी स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन वो स्टार्ट नहीं हुई, सेल्फ ख़राब
था। मैंने नशे में डगमगाते हुए किक लगाने की कोशिश की तो ऊँची हील की सैंडल में मेरा
पैर किक से फिसल गया और स्कूटी मेरे हाथ से छूट कर गिर पड़ी। चौंकीदार भागता हुआ आया
तो मैंने उससे से कहा-
�स्टार्ट कर दे किक
से!�
चौकीदार स्कूटी
खड़ी करते हुए बोला-
�मैडम मेरे लौड़े को
कब मौका दोगी आप? आज फिर से लड़कों से ठुकवा बैठी हो! मैं कौन सा कम हूँ? माना पोस्ट
चौकीदार की है लेकिन कौन सा काला कलूटा हूँ? पूरा मजा दूंगा!�
किक मारते मारते यह सब
बोल रहा था। पहले भी उसने एक दो बार इस तरह की गुहार की थी पर मैंने प्यार से झिड़क
कर टाल दिया था। आखिर था तो मामुली सा चौंकीदार ही। हालांकि मुझे तो सिर्फ चुदाई से
मतलब था ना कि उसकी औकाद या जात-पात से लेकिन मैं अपने दूसरे आशिकों को नाराज़ नहीं
करना चाहती थी।
उसने एक दम से
अपना लौड़ा निकाला और दिखाते हुए बोला-
�देखो इसको! अभी
सोया हुआ है फिर भी कितना मोटा है! जब आपका हाथ लगेगा तो दहाड़ेगा यह!�
सही में उस जैसा
लौड़ा आज तक नहीं देखा था। वो खुद भी छः फुट तीन इंच लम्बा-चौड़ा मर्द था, सुडौल
मजबूत शरीर का मालिक था। छब्बीस -सत्ताईस साल उम्र होगी उसकी।लेखिका
: वंदना (काल्पनिक नाम)
स्कूटी स्टार्ट
हुई तो वो बोला-
�मैडम, जवाब तो देती
जाओ?�
मैंने गौगल्ज़
लगाते हुए कहा-
�यहाँ स्कूल में नहीं....
रात ग्यारह बजे मेरे घर आ जाना लेकिन खबरदार किसी को पता न चले! इंतज़ार करुँगी!�
वो खुश हो गया
और बोला,
�जरूर मैडम... आप जहाँ बुलायेंगी... पहुँच जाऊँगा आपकी खिदमत में! आप भी ध्यान से
घर जाना... काफी नशे में लग रही हो... ज्यादा पी ली लगती है.... ऐक्सिडन्ट ना कर
बैठना!�
�चिंता मत कर....
मैं जितने नशे में होती हूँ उतनी ज्यादा नॉर्मल होती हूँ....,�
मैं स्कूटी पर बैठ कर हंसते हुए बोली और जोर से एक्सीलेटर घुमाते हुए झटके से स्कूटी
आगे बढ़ा दी।
रात को घर में
क्या-क्या हुआ? पढ़ें अगले भाग में:
�कम्प्यूटर
लैब से चौकीदार तक�
!!!! समाप्त !!!!