0 comments/ 42424 views/ 2 favorites दो- दो बेटों ने चोद डाला By: raviram69 दो- दो बेटों ने चोद डाला रविराम69 (मस्तराम) पटकथा : कैसे एक माँ को उसके दो- दो बेटों ने चोद डाला.. उसकी छूट की बैंड बजा डाला हाय फ्रेंड्स मेरा नाम सीमा है हम घर में 4 लोग है में मेरा पति ओर 2 बच्चे है मेरी उम्र 35 साल है मेरी फिगर 38-32-38 है मुझे सेक्स का बहुत शौक है रोज में अपने पति से सेक्स के लिये कहती हूँ लेकिन वो कभी कभी ही करते है और सिर्फ़ वो सिर्फ़ चूत में लंड डाल कर चोदते थे इसमे मेरे पति 5 मिनिट में ही झड़ जाते थे जिससे में सटिस्फाइड नही होती थी ओर में मायूस हो जाती थी ओर उंगली से अपने आप को संतुष्ट करके सो जाती थी. ये रोज का काम बन गया था मेरे दिमाग़ में एक ख्याल आया जैसे की मैने आपको बताया है मेरे दो बेटे है बड़ा वाला राजू 20 साल का ओर छोटा टिंकू 18 साल का मैने उनको मुर्गा बनाने की सोची मैने छुट्टी वाले दिन अपने बड़े बेटे को सुबह नहलाने का ठान लिया था मैने सुबह उठकर 10 बजे उसे उठाया ओर नहाने को कहा ओर बोला तो बहुत काला हो गया है तुझे आज में नहलाऊँगी तो वो मना करने लगा में ज़बरदस्ती उसके साथे बाथरूम में चली गयी उस टाइम मैने एक पतला सा गाउन पहना था मैने उसको कपड़े उतारने को कहा थोड़ी आना कानी के बाद उसने मेरी बात मान ली. मैने उस पर पानी डाल के उसके साबुन लगाना शुरू किया ओर उसके अंडरवेयर के पास हाथ लगाने लगी मैने उससे बोला चल अब अंडरवेयर भी उतार ओर ज़बरदस्ती उसका अंडरवेयर उतरवा दिया मैने उसका लंड देखा वो बेठा हुआ था 4 इंच का लग रहा था फिर मैने उस पर हाथ फेरना शुरू किया उसने कहा मम्मी गुदगुदी होती है मत करो थोड़ी देर में उसका लंड खड़ा हो गया में देख कर दंग थी की उसका लंड 6 इंच लंबा ओर 2 इंच मोटा था में उस पर हाथ फेर रही थी ओर वो मुझे मना कर रहा था तभी 5 मिनिट के बाद उसने बोला मम्मी मेरा पेशाब निकलने वाला है ओर उसका स्पर्म निकल गया ओर वो थोड़ा घबरा गया ओर कहने लगा. मम्मी मेरा पेशाब निकल गया लेकिन वो तो बहुत गाड़ा है तभी मुझे पता चला इसे सेक्स के बारे में कुछ नही पता तभी मैने उससे कहा इससे पहले कभी ऐसा नही हुआ तो उसने मना कर दिया ओर कहने लगा मम्मी आपने मेरी लूली को पकड़ा हुआ था मुझे बहुत मज़ा आ रहा था की तभी पेशाब निकल गया तभी मैने उससे कहा अब तो तू बड़ा हो गया है ओर उसको नहला कर अपना गाउन उतारने लगी तब मैने उसको बाहर भेज दिया फिर में भी नहा कर बाहर आई ओर अपने काम में लग गयी दोपहर को 2 बजे वो मेरे पास आया ओर मेरे पास लेट गया तभी मेरे दिमाग़ ने कहा अब इसको शिक्षा दी जाये तभी मैने उसको कहा तेरी कोई गर्लफ्रेंड है तो उसने मना कर दिया तभी मैने उससे फिर कहा अब तू बड़ा हो गया है कोई गर्लफ्रेंड बना लो तो उसने मुझे कहा क्या मम्मी उससे क्या होगा तभी मैने उसको कहा की तू उसके साथ घूमने जाना ओर ऐश करना ओर फिर उसके पापा आ गये ओर उन्होने कहा मुझे अभी मुंबई जाना है 6 दिन के लिये ओर वो चले गये. अगले दिन मैने उसे फिर नहलाया ओर फिर उसका स्पर्म निकल गया तभी मैने उसको कहा क्या बेटे तू ये रोज रोज क्या करता है तो वो बोला मम्मी आप जब भी हाथ लगाते हो तो ये बड़ा हो जाता है ओर पेशाब कर देता है तभी मैने उसको बताया बेटा ये स्पर्म है ओर ये निकलना अच्छा होता है तो उसने पूछा क्या तभी मैने फिर देखा उसका लंड तंबू जैसा खड़ा था मैने उससे कहा बेटे जब लड़का बड़ा हो जाता है तो यही होता है ओर उसे बताना शुरू किया की तू इसको आगे पीछे किया कर जिससे तुझे मज़ा आयेगा ओर मैने उसकी मूठ मारनी शुरू कर दी 10 मिनिट के बाद वो फिर संतुष्ट हो गया तभी मैने उससे पूछा मज़ा आया तो उसने कहा बहुत आया ओर मैने उसे ये भी समझाया की ये चीज़ किसी को मत बताना ओर जब भी उसको यह करना हो तो वो बाथरूम में ही करे ओर उसके बाद नेक्स्ट दिन वो फिर मेरे पास आया ओर कहने लगा मम्मी मैने आज भी किया ओर मुझे बहुत मज़ा आया. तभी शाम के टाइम जब में उसके रूम में गयी तभी मैने देखा वो मूठ मार रहा था तभी मैने उसे टोक दिया ओर उससे कहा इसे ज़्यादा मत करो सेहत पर असर पड़ता है ओर उसे अपने कमरे में अन्दर ले गई ओर उसको बताना शुरू किया मैने उसको ज़ब कुछ बताया की ये किस काम आता है ओर इसके रस को ऐसे वेस्ट नही करते इन सब बातो से वो बहुत एग्ज़ाइटेड हो गया ओर बूब्स देखने की ज़िद करने लगा तभी मैने उससे गुस्सा किया ओर कहा माँ बेटा ये नही करते ऐसे ही 2-3 दिन निकल गये ओर में अपने छोटे बेटे को तैयार करने लगी. फिर उसे भी ज़ब कुछ सीखाने लगी ओर उसके साथ ही नंगी हो कर नहा लेती ऐसे ही एक दिन मेरा बड़ा बेटा ओर छोटा बेटा बात कर रहे थे तभी मैने उनकी बाते सुनी उन्होने मूठ मारने की बात की लेकिन एक दूसरे को ये नही बताया की ये सब किसने सीखाया है मेरा बड़ा बेटा बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड रहता था ओर जब भी में नहाने जाती या कपड़े चेंज करती वो मुझे चुपचुप के देखता रहता में उसकी यह सब चीज़े नोट कर रही थी ओर बीच बीच में वो मुझे बताता भी रहता मम्मी मैने मूठ मारी थी ओर एक दिन जब वो मूठ मार रहा तो मैने देखा उसके हाथ में एक किताब थी जिसमे नंगी फोटो थी मैने उसे देखा तो उसने वो छुपा दी और मेरे ज़ोर से बोलने पर उसने वो किताब दे दी ओर में वो ले कर चली गयी अगली दोपहर को वो मेरे कमरे में आया ओर बोला वो किताब प्लीज दे दो तो मैने उसको बोला क्या करेगा तो उसने साफ साफ़ कह दिया आप तो अपने बूब्स दिखाती नही हो तो उसमे ही देखूँगा. तभी मैने उसे समझाया की इतनी मूठ नही मारते तभी वो बिना कुछ बोले ही चला गया तभी मुझे वो मेरे लायक तैयार लगा ओर शाम को हमारे घर पर में ओर राजू ही थे मेरे पति ओर टिंकू अपनी बुआ के घर गये थे तभी मैने राजू को थोड़ी जानकारी दी और उसको थोड़ा प्यार करके बोली मेरा बेटा नाराज़ है तो वो कुछ नही बोला तभी मैने उसका हाथ अपने बूब्स पर रख दिया वो बिल्कुल पागलो की तरह मुझे देखने लगा तभी मैने उससे कहा जैसा में कहूँगी वैसा ही कर ना तो वो मान गया मैने अपनी कमीज़ ओर ब्रा उतार दी जिससे मेरे बूब्स कबूतर की तरह आज़ाद हो गये ओर राजू का हाथ उन पर रख दिया ओर उसको दबाने की पर्मिशन दे दी ओर उसे चूसने को भी कहा मुझे अब मज़ा आ रहा था ओर राजू मेरे एक बूब्स को सक कर रहा था ओर दूसरे को दबा रहा था ओर मेरा एक हाथ उसके लंड पर पहुँच गया था ओर दूसरे से में अपनी चूत रग़ड रही थी. तभी राजू ने कहा मम्मी आप क्या कर रहे हो तभी मैने उसको कहा की आज में तुझे सब सीखा दूँगी ओर मैने उसको कपड़े उतारने को कहा ओर उसको पूरा नंगा कर दिया ओर अपनी भी पेंटी उतार दी ओर उसको 69 की पोज़िशन में लेटने को कहा तो वो कहने लगा ये क्या होता है तभी मैने उसे 69 की पोजिशन में अपने उपर लिया ओर उसको अपनी चूत चाटने को कहा तो वो चाटने लगा ओर उंगली भी करने लगा ओर में उसका लंड चूस रही थी तभी में गर्म हो गयी ओर उसको अपने उपर लेकर कहा अब तू जाकर तेल की बोतल ले आ ओर जो में कहती रही वो करता रहा. फिर मैने उसके लंड पर तेल लगाया तो वो पूछने लगा ये क्या लगा रहे हो तो मैने उसको बताया की जब पहली बार कोई लड़का किसी औरत की चूत में लंड डालता है तो उसकी थोड़ी टोपी की खाल खीच जाती है जिससे दर्द होता है पर तेल लगाने से लंड बिल्कुल स्मूद जाता है ओर उसका लंड चूत पर लगवा के उसे धक्का देने को कहा पर राजू नया खिलाड़ी था जिससे की धक्का देते ही उसका लंड फिसल कर नीचे चला गया तभी मैने उसका लंड पकड़ कर चूत पर रखा ओर धक्का देने को कहा राजू ने एक बार में ही आधा लंड अंदर डाला ओर मेरी चीख निकल गयी क्योकी उसका लंड मोटा था तभी उसने कहा क्या हुआ मम्मी तभी मैने उसको इशारा करते हुये एक ओर धक्का मारने को कहा जिससे उसका 6 इंच लंबा लंड मेरी चूत में घुस गया ओर उसने मुझे धक्के देने शुरू कर दिये. में भी अपनी गांड नीचे से हिला कर उसका साथ दे रही थी उसके धक्के इतने जोरदार थे की में बहुत जल्दी झड़ गयी थी ओर 10 मिनिट के बाद मैं उसको ओर तेज बोलते बोलते ही झड़ गयी मगर वो मुझे चोदे जा रहा था ओर 30 मिनिट के बाद उसने मुझे कहा की मम्मी में झड़ने वाला हूँ ओर वो झड़ता हुआ मेरे उपर ही लेट गया उसने मेरी चूत में ही अपना स्पर्म छोड़ दिया तब तक में 2 बार झड़ चुकी थी 10 मिनिट के बाद जब हम अलग हुये तो राजू ने मुझे किस देते हुये कहा मम्मी आपने मुझे मज़ा दिला दिया ओर वो मेरे साइड में लेट गया 10 मिनिट के बाद जब मैने उसके लंड को देखा तो वो फिर खड़ा हुआ था तभी मैने उसको कहा ये फिर केसे खड़ा कर लिया तभी उसने हँसते हुये कहा मम्मी इसको आपकी चूत बहुत पसंद आई है ओर वो फिर मेरे उपर आ गया उस रात हमने 5 बार चुदाई की ओर हम सो गये. अगले दिन हम सुबह 11 बजे उठे तो मुझसे उठा नही जा रहा था राजू की चुदाई से मेरी चूत बहुत दर्द हो रही थी में हिम्मत करके उठी ओर राजू को उठा कर नहाने चली गयी तभी पीछे पीछे राजू भी बाथरूम में आ गया ओर मेरी चूत को हाथ लगाने लगा मैने उसे चुदाई करने से मना कर दिया ओर उसको अपनी चूत दिखाई तो वो समझ गया अब ये सिलसिला रोज चलता रहा लेकिन 4 महीने बाद राजू को हॉस्टल जाना पड़ गया ओर में फिर टिंकू को पटाने की सोचने लगी ओर कामयाब भी हो गयी टिंकू ने भी मुझे चोदा मगर 6 महीने में ही राजू हॉस्टल से आ गया ओर तभी राजू फिर से शुरू हो गया. तभी मैने अल्टरनेट डेट बना दी की जिससे मुझे मेरे दोनो बेटे चोद सके फिर मेरे दिमाग़ में दोनो से एक साथ चुदने का मन हुआ ओर मैने दोनो को एक साथ करके अपनी चुदाई करवाई ओर दोस्तो कैसी लगी मेरी कहानी. आपके जवाब के इंतेज़ार में ... आपका अपना रविराम69 (मुसाफिर) दोस्त की माँ दोस्त की माँ रविराम69 (मस्तराम) एक दिन की बात है, मैं अपने दोस्त के घर गया हुआ था, वो घर पर नहीं था, यह बात मुझे नहीं पता थी। मैं गया तो उसके घर का दरवाजा खुला हुआ था, तो मैं ऐसे ही उसके घर में घुस गया, मेरा समय अपने घर कम और उसके घर में ज्यादा बीतता था तो उसके घर आना जाना रहता था। तो हुआ यों कि मैं उसके घर में घुस गया और सीधे उसके कमरे में जाने लगा तो उसके बगल वाले कमरे से मुझे छन छन की आवाज़ आ रही थी जैसे कोई पायल या फिर कोई चूड़ी खनका रहा हो।मैं वापिस पीछे को आया और खिड़की के पास रुक गया और सुनने लगा, मुझे अंदर की आवाज़ ठीक से सुनाई तो नहीं दे रही थी पर इतना दिमाग था कि पहचान सकूँ कि यह किस किस्म की आवाज़ है। थोड़ा ध्यान दिया आवाज़ की तरफ तो मेरा लंड एकदम से तन गया, अंदर से पेला-पेली की आवाज़ आ रही थी। मैंने बहुत कोशिश की अंदर झांकने की कि कौन है, क्योंकि इससे पहले भी मेरा दोस्त अपने घर में लड़की लाकर खा चुका था, अगर मेरा दोस्त होता तो मुझे भी मौका मिल जाता पर असल में है कौन, वो देखना था मुझे। मैंने बहुत कोशिश की और अंत में कामयाबी मिली तो देखा कि मेरे दोस्त के मॉम-डैड थे, मुझे थोड़ा अजीब लगा पर यह सब चलता रहता है। मैंने देखा कि अंकल आंटी की टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख कर उनकी ठुकाई कर रहे थे। मैं कुछ देर वहीं खड़ा रहा और देखता रहा, दस मिनट की चुदाई देख ली, मैंने उसके बाद जो हुआ तब मेरी फट गई। हुआ ये कि हवा काएक तेज झोंका आया और खिड़की का अंदर का पर्दा उड़ गया और आंटी ने मुझे देख लिया कि मैं देख रहा हूँ, पर मुझे झटका तब लगा जब आंटी ने मुझे देख कर भी अनदेखा किया और अंकल से चुदवाती रही। अब मुझे लगा कि मेरा वहाँ खड़े रहना खतरे से खाली नहीं है और मैं वहाँ से नौ दो गयारह हो लिया। अगले दिन मैं फिर से उनके घर गया, पर मुझे बहुत शर्म सी आ रही थी। इस बार मैंने उनके घर की घंटी बजाई और फिर अंदर गया जब मेरे दोस्त ने दरवाजा खोला। मैं अंदर गया तो उसने मुझसे पूछा- आज क्या हुआ तुझे, आज तूने घंटी बजाई? तू ठीक तो है ना? आज तुझे घंटी बजाने की क्या जरुरत पड़ गई। तब उसकी माँ वहीं बगल से निकल कर गई और मुझे तिरछी नजर से देखा। मैं क्या बोलता उसे, मैंने बोला- अरे घंटी बजानी चहिये, इसे तमीज़ कहते हैं। वो बोला- आज तुझे पक्का कुछ हुआ है, चल कोई बात नहीं आ चल कमरे में। मैं उसके साथ बैठ गया और उसके कंप्यूटर में गेम खेलने लगा, कुछ देर के बाद वो बोला- तू खेल, मैं नहा कर आता हूँ ! और फिर वो नहाने चला गया। मैं खेलता रहा तब तक उसकी मॉम भी उसी कमरे में आ गई और मुझे पानी दिया पीने को। मैंने पानी लिया और पीकर गिलास वहीं बाजू में रख दिया। आंटी अब भी वहीं खड़ी थी और जब गिलास उठाने के लिए झुकी तो अपनी चुन्नी गिरा दी और मुझे अपने चुच्चों के दर्शन करा दिए। मेरी फिर से सूख गई कि यह हो क्या रहा है आजकल। अब आंटी मुझे देखने लगी और पूछने लगी- क्या देख रहे हो? मैं क्या जवाब देता, मैं बोला- कुछ नहीं ! गलती से दिख गया। फिर आंटी बोली- आज गलती से दिख गया और कल जो देखा वो भी क्या गलती थी? मैंने उन्हें सोरी बोला और फिर आँखें नीची करके चुप बैठा रहा। वो बोली- कोई बात नहीं पर अगली बार से ऐसा मत करना, अच्छी बात नहीं होती यह सब। कुछ देर के बाद आंटी फिर से कमरे में आई और मुझे बोली- कल जो देखा और आज जो देखा किसी को बताना मत। मैंने कहा- जी मैं ये सब बातें नहीं करता किसी से ! फिर आंटी चली गयी। मैं फिर थोड़ी देर के बाद अपने घर चला गया आंटी को बोल कर। घर जाकर मुझे याद आया कि मैं उनके घर में अपना घड़ी भूल गया। शाम को मैं फिर उनके घर गया और आंटी से दोस्त के लिए पूछा तो वो बोली- वो दोपहर से कहीं गया हुआ है। मैंने कहा- ठीक है। फिर मैंने आंटी को बोला कि मैं अपनी घड़ी उसके कमरे में भूल गया हूँ। आंटी बोली- रुको, मैं लाकर देती हूँ। आंटी फिर आई और बोली- तुम ही देख लो, मुझे नहीं मिल रही है। मैं फिर उसके कमरे में गया, देखा कि मेरी घड़ी तो वहीं सामने रखी हुई है, मैंने घड़ी ली और आंटी के कमरे में यह बोलने के लिए गया कि मैंने घड़ी ले ली है, मैं जा रहा हूँ। पर जब में उनके कमरे में गया तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मैंने देखा कि आंटी ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी है और मेरी तरफ ही देख रही हैं जैसे उन्हें मेरा ही इंतज़ार था कि मैं आऊंगा और उन्हें इस हाल में देखूंगा। मैंने उन्हें देख कर बोला- आंटी, यह क्या? अभी तो आप साड़ी में थी और यह अचानक? आंटी बोली- तुम्हारे लिए उतार दी। मैं बोला- आंटी, मैं आपका मतलब नहीं समझा। वो बोली- इतने भोले मत बनो, आओ मेरे पास आओ, और कल तुमने क्या क्या सीखा मुझे बताओ। मैं आंटी की तरफ बढ़ा और आंटी से चिपक गया। फिर आंटी ने भी मुझे कस कर गले लगा लिया और मुझे चूमने लगी। मैंने भी मौके को गंवाया नहीं और उनके होठों को चूसने लग गया। मैं पहली बार किसी आंटी को चूम रहा था और मुझे आंटी को चूमने में काफी मज़ा आ रहा था। उनके होंठ एकदम किसी जवान लड़की की तरह थे, एकदम वही मज़ा मिल रहा था मुझे। अब आंटी ने मुझे बिस्तर पे बिठा दिया और मेरे सामने घुटने के बल बैठ गई और मेरी पैंट की ज़िप खोलने लगी। मैं खड़ा हुआ और जल्दी से ज़िप खोल कर उनके सामने मैंने अपना लंड लटका दिया। आँटी बोली- काफी अच्छा है तुम्हारा लंड ! और फिर उसे पकड़ कर दबाने लग गई। उनके दबाने से तो मेरे अंग अंग में करंट सा दौड़ पड़ा, अब कुछ देर के बाद उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और उसे कस कस कर चूसने लगी। वो एकदम उनकी तरह चूस रही थी जैसे ब्लू फिल्म में चूसते हैं, एकदम सर को आगे पीछे कर कर के चूस रही थी। मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरा लंड चूसती रही, कुछ देर के चूसने के बाद उन्होंने मेरी पैंट और फिर शर्ट दोनों उतार दी और मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगी, फिर एक हाथ से मेरे लंड को दबाए जा रही थी। कुछ देर के बाद मैंने उन्हें लेटा दिया और उनके चुचों को ब्लाउज़ के ऊपर से ही काटने लगा। थोड़ी देर काटने के बाद उन्होंने खुद अपनी ब्लाउज़ उतार दी और फिर मुझे चूसने को कहा। मैं उनके एक चुच्चे को चूसता तो दूसरे को मसलता रहता। दस मिनट तक मैं उनकी चूचियों को गर्म करता रहा और वो दस मिनट तक सिसकारियाँ भरती रही। मैं अब उठा और उनके पेटीकोट के अंदर सर डाल दिया और उनकी पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को हल्के हल्के काटने लग गया। उनकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और उसमें से महक आ रही थी जैसे चूत में से आती है। मैं उनकी पेटीकोट के अंदर ही पगला गया और उनकी पेंटी की बगल में से उनकी चूत में उंगली करने लगा। पाँच मिनट के बाद मैंने अपना सर बाहर निकाला और उनकी पेटीकोट के साथ साथ उनकी पेंटी भी उतार दी। अब आंटी मेरे सामने पूरी नंगी थी, उनकी चूत पर काफी बाल थे, पर मुझे उससे कुछ फर्क नहीं पड़ा। मैं दोबारा उनके चुचों पर टूट पड़ा और उन्हें कस कस कर चूसने लगा। वो अब सिसकारियों पे सिसकारियाँ भरने लगी- ओह ह्मम्म क्या मज़ा आ रहा है और जोर से चूसो इसे, खा जा इसे ऊह ओऊ हम्म्म येह्ह्ह्ह किये जा रही थी। मैं उन्हें चूमते चूमते उनकी चूत की तरफ आ गया, और फिर उनके चूत के बालों को एक तरफ किया और उनकी चूत में जीभ रगड़ने लग गया। उन्होंने मेरे सर पर हाथ रखा और मुझे अपनी चूत पर कस के दबा लिया, मैं उनकी चूत को और कस के रगड़ने लगा, मैं बीच बीच में उनकी चूत की पंखुड़ियों को अपने होठों से काटने लगा और उनकी चूत की छेद को में अपने जीभ से धकेल भी देता बीच बीच में। जितने बार उनकी छेद में जीभ से धक्का देता उतनी बार वो सिकुड़ जाती और उफ्फ्फ्फ्फ़ आह करने लग जाती। अब वो बोली- और कब तक से चूसेगा, जल्दी से अपना प्यारा लंड डाल दे, मैं और नहीं रुक सकती, जल्दी कर। मैं उठा और उनकी चूत पर लंड सटा दिया और धक्का दिया, पहले जब लंड घुसा तब वो हल्का सा चीखी और फिर शांत हो गई। मैंने धक्का देना शुरु कर दिया और कुछ 8-10 धक्कों के बाद वो भी अपना गांड उठा उठा कर मुझे अपनी चूत देने लगी। उन्होंने मुझे कस के पकड़ लिया, उनकी उंगलियों के नाख़ून मुझे चुभने लगे। मैं फिर भी उन्हें कस कस के धक्का देता गया और वो अपना गांड उठा उठा कर अपनी चूत देने लगी और मेरा लंड जल्दी जल्दी लेने लगी। वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी। मैंने उन्हें अब घोड़ी बनने के लिए बोला तो वो बोली- गांड नहीं दूंगी चूत मार ले। मैंने कहा- गांड नहीं मारनी, चूत ही मारूंगा मगर पीछे से। वो बोली- ठीक है। और फिर घोड़ी बन गई, मैंने पीछे से उनकी चूत में लंड घुसा दिया, मैं अब लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर कर रहा था। मैं फिर एकदम से रुक गया और एक ही झटके में मैंने लंड चूत से हटा के गांड में दे दिया और उनकी गांड फट गई। वो एकदम से बुरी तरह चीख उठी और मुझे गालियाँ देने लगी, बोली- कुत्ते, तुझे मना किया था न गांड में नहीं तो फिर क्यों दिया? मैंने उनकी बात नहीं सुनी और गांड मारता रहा, करीब दस मिनट बाद वो खुद अब अपनी गांड पीछे की तरफ धकेलने लगी, मैं आगे की तरफ शोट मारता और वो पीछे की तरफ ! हम दोनों पूरा मज़ा ले रहे थे, इसमे भी वो एक बार झड़ गई और फिर कुछ देर के बाद मैं भी उनकी गांड में झड़ गया। जब मैंने लंड निकाला तो कुछ पलों के बाद उनकी गांड से मेरा मुठ निकलने लग गया, उन्होंने अपनी गांड में उंगली फेरी और मेरे मुठ को उंगलियो से लेकर चाट गई। मैंने फिर उनके मुँह में अपना लंड दे दिया और साफ़ करने को बोला। उन्होंने मेरे लंड को एकदम साफ़ कर दिया और हम दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे लेट कर चूमते रहे। फिर मैंने उन्हें कहा- अब मैं चलता हूँ फिर कभी और करेंगे। मैं उठा और कपड़े पहन लिए और वो भी अपनी साड़ी पहनने लगी, और फिर हम पाँच मिनट में ठीक ठाक हो गए। मैंने आंटी से पूछा- अंकल, तो कल मस्त मजा दे रहे थे फिर मेरी जरुरत क्यों पड़ी? आंटी बोली- उनका तरीका मस्त है पर जल्दी झड़ जाते हैं, और सिर्फ हफ़्ते में एक बार ही पेलते हैं। मुझसे नहीं रहा जाता, एक तो जल्दी भी झड़ जाते हैं और एक हफ्ता बैठ कर मुठ जमा करते हैं। मैं उनको कुछ पल तक देखता रहा और फिर एक चुम्मी देके चला गया। इसके बाद तो मैंने आंटी को काफी बार पेल चुका हूँ। दोस्तो कैसी लगी मेरी कहानी. आपके जवाब के इंतेज़ार में ... आपका अपना रविराम69 (मुसाफिर)